क्रिकेट में हमेशा ही कहा जाता है कि "Catches Win Matches"। समय के साथ साथ, यह बात हमेशा साबित भी होती रही कि फील्डिंग किसी भी मैच में कितनी अहम भूमिका निभाती है। स्टीव वॉ की वो बात कौन भूल सकता है, जब उन्होंने कहा, "तुमने कैच नहीं, बल्कि मेट वर्ल्ड कप को अपने हाथ से छोड़ दिया है।" यह बात उन्होंने तब कही, जब हर्षल गिब्स ने मिड-विकेट पर एक आसान कैच ड्रॉप कर दिया।
वो मैच 1999 वर्ल्ड कप के सुपर सिक्स का आखिरी मैच था और ऑस्ट्रेलिया 272 रनों का पीछा कर रही थी। उस वक़्त स्टीव वॉ 56 रन बनाकर खेल रहे थे, तभी उन्हें गिब्स ने जीवनदान दिया। उसके बाद ऑस्ट्रेलिया ने ना सिर्फ वो मैच जीता, बल्कि उन्होंने टूर्नामेंट भी अपने नाम किया।
यह भी पढ़ें: युवराज सिंह ने आज ही के दिन अपने अंतर्राष्ट्रीय करियर की आखिरी पारी खेली थी
इस बात में तो कोई शक नहीं हैं कि फील्डिंग इस गेम का एक जरूरी अंग बन चुका है। सुरेश रैना, रविंद्र जडेजा, मनीष पांडे, विराट कोहली, हार्दिक पांड्या यह सब मौजूदा दौर में भारत के सर्वश्रेष्ठ फील्डर हैं।
हालांकि भारतीय फील्डर्स द्वारा पकड़े गए ऐसे कुछ लाजवाब कैच हैं, जिसने भारत की क्रिकेट को बदलकर रख दिया।
इस लिस्ट में हम भारतीय खिलाड़ी द्वारा लिए गए ऐसे ही कैच पर नजर डालेंगे:
#) श्रीसंत vs पाकिस्तान (2007)
2007 टी20 वर्ल्ड कप के फाइनल में भारत और पाकिस्तान का मुकाबला जोहन्सबर्ग में हुआ। पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत ने गौतम गंभीर के 54 गेंदो पर 75 रनों की बदौलत 157 रनों का स्कोर खड़ा किया। उसके जवाब में पाकिस्तान ने मोहम्मद हफीज़ और कामरान अकमल का विकेट जल्दी गंवा दिया था, लेकिन उसके बाद टीम ने अपनी पारी संभाली और लक्ष्य की तरफ आगे बड़े और एक समय तो ऐसा लग रहा था कि मिस्बाह उल हक़ पाकिस्तान को यह फ़ाइनल जिता देंगे।
आखिरी ओवर में पाकिस्तान को जीत के लिए 13 रनों की दरकार थी। हालांकि पाकिस्तान के पास सिर्फ एक विकेट हाथ में था। पहली गेंद वाइड डालने के बाद, जोगिंदर शर्मा ने मिस्बाह को अगली गेंद पर बीट करा दिया, ओवर की दूसरी गेंद पर मिस्बाह ने लॉन्ग ऑफ के ऊपर सीधा छक्का मार दिया। आखिरी तीन गेंदों पर पाकिस्तान को जीतने के लिए चाहिए थे 6 रन, मिस्बाह ने अगली गेंद पर स्कूप शॉट खेला और गेंद डीप फ़ाइन लेग पर गई और वहाँ खड़े श्रीसंत ने कैच को पकड़ लिया। उस कैच की वजह से भारत 2007 का टी-20 विश्व कप अपने नाम कर पाया।
यह भी पढ़ें: युवराज सिंह की 3 ऐसी पारियां जिन्हें फैंस कभी नहीं भूल सकते
#3) युवराज सिंह Vs दक्षिण अफ्रीका (2002)
2002 के चैंपियंस ट्रॉफी के पहले सेमीफाइनल में भारत का सामना दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ कोलंबो में हुआ था। भारत के कप्तान सोरव गांगुली ने टॉस जीतकर पहले बल्लेबाज़ी का फ़ैसला किया। भारत ने वीरेंदर सहवाग के 59 रन और युवराज सिंह के 62 रनों की बदौलत टीम ने 261 रनों का स्कोर खड़ा किया।
लक्ष्य का पीछा करते हुए एक समय दक्षिण अफ्रीका टीम का स्कोर 192-1 था और वो जीत के काफी करीब थे। उनको जीतने के लिए 71 गेंदो पर 68 रन की दरकार थी और उनके पास अभी भी 9 विकेट हाथ में थे। हालांकि लक उस समय भारत के साथ था और गिब्स रिटायर्ड हर्ट हो गए। मैच का पासा तब पलटा, जब हरभजन की गेंद पर जॉनटी रोड्स ने गेंद को स्वीप किया, लेकिन वो उसे टाइम नहीं कर पाए और युवराज ने डाइव करते हुए शानदार कैच पकड़ा और टीम की उम्मीद को मैच में जीवित रखा।
उसके बाद मैच में ऐसा ट्विस्ट आया कि साउथ अफ्रीका की टीम ने लगातार अंतराल पर विकेट गंवा दिए और अंत में वो सिर्फ 6 विकेट पर 251 रन ही बना सकी। इंडिया ने बाद में जाकर श्रीलंका के साथ ट्रॉफी को जीता, क्योंकि दोनों टीमों के बीच होने वाला फ़ाइनल बारिश में धुल गया।
#1 कपिल देव Vs वेस्टइंडीज (1983)
1983 में वर्ल्ड कप ने भारत की क्रिकेट की दिशा और दशा दोनों बदलकर रख दिया था। कपिल देव की कप्तानी वाली भारतीय टीम टूर्नामेंट की अंडरडॉग थी और जब वो फ़ाइनल में पहुंचे, तो सब काफी हैरान हुए थे। भारत ने वेस्टइंडीज के सामने 184 रनों का लक्ष्य रखा। भारत के लिए मदन लाल और बलविंदर संधू ने शानदार शुरुआत की और गॉर्डन ग्रेनेज को 1 रन पर और डेस्मंड हेन्स को 13 रन पर आउट कर दिया।
हालांकि विव रिचर्ड्स उस समय 33 रन बनाकर खेल रहे थे, जिमसे 7 चौके शामिल थे और वो कभी भी मैच को पलट सकते थे। भारत को अगर यह मैच जीतना था, तो उसे कुछ अलग करने की ज़रूरत थी। कप्तान कपिल देव ने इसकी ज़िम्मेदारी खुद उठाई और विव रिचर्ड्स का एक शानदार कैच पकड़ कर उन्हें आउट कर दिया। कपिल देव मिड-विकेट पर खड़े थे और उन्होंने पीछे जाते हुए एक शानदार कैच पकड़ा और उसके बाद भारत की क्रिकेट का मानों चेहरा ही बदल गया।