क्रिकेट में नस्लभेदी कमेंट्स करने की बातें लम्बे समय से देखी जा रही है और इसमें सुधार लाने की मांग भी बराबर उठती रही है लेकिन सुधार आने में अब भी समय लगेगा। वेस्ट, इंडीज और एशियाई मूल के खिलाड़ियों को अन्य देशों में खेलने के लिए जाने के बाद नस्लभेद का सबसे ज्यादा सामना करना पड़ता है। आईसीसी ने भी इसे रोकने की कवायद में कोई ठोस नियम अब तक नहीं बनाया है। हालांकि गलती करने वाले खिलाड़ी या दर्शकों को सजा जरुर दी जाती रही है लेकिन इससे नस्लभेद में ज्यादा कोई फर्क देखने को नहीं मिला।
ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड या न्यूजीलैंड में खिलाड़ी और दर्शक दोनों नस्लभेद में शामिल रहते हैं। पढ़े-लिखे होने का दंभ भरने वाले इन देशों में विदेशों से आए खिलाड़ियों के साथ इस तरह की घटनाएं कई बार देखने को मिली है। इस आर्टिकल में उन पर बात की गई। यहाँ ऑस्ट्रेलिया में खिलाड़ियों या दर्शकों द्वारा की गई तीन नस्लभेदी घटनाओं का जिक्र है।
ग्लेन मैक्ग्रा ने जयसूर्या की दी गाली
सनथ जयसूर्या ने 1996 में ग्लेन मैक्ग्रा के बारे में अपने टीम के खिलाड़ियों से कहा था कि मुझे मैक्ग्रा ने गाली दी है। हालांकि ऑस्ट्रेलिया की पूरी टीम ने उस समय मामले इसे नहीं माना। जयसूर्या ने मैक्ग्रा पर नस्लीय गाली देने का आरोप जड़ा था। एक महान खिलाड़ी से ऐसा व्यवहार अपेक्षित नहीं था लेकिन ऑस्ट्रेलिया के सभी खिलाड़ियों की फितरत में ऐसा होता है।
मोईन अली को आतंकी बताना
इंग्लैंड के खिलाड़ी मोईन अली के साथ 2015 के एशेज में ऐसा हुआ था। ऑस्ट्रेलिया के एक खिलाड़ी ने मोईन अली को ओसामा कहा था। ओसामा बिन लादेन से उन्हें जोड़ दिया गया था। मोईन अली ने तीन साल बाद अपनी आत्मकथा में इस घटना के बारे में जिक्र किया था। उन्होंने कहा कि मुझे ऐसा कहने के बाद काफी गुस्सा आया था।
जसप्रीत बुमराह और मोहम्मद सिराज पर टिप्पणी
सिडनी टेस्ट मैच में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ तीसरे दिन का खेल खत्म होने के बाद कुछ दर्शकों ने मोहम्मद सिराज और जसप्रीत बुमराह को नस्लीय बातें कही। भारतीय टीम ने एकजुट होकर मामला अम्पायरों और मैच रेफरी के पास लेकर गए और टीम मैनेजमेंट ने इसकी शिकायत भी दर्ज कराई। दोनों खिलाड़ियों को नस्लभेदी गालियों का सामना करना पड़ा था।