सौरव गांगुली ने अपने वनडे क्रिकेट में शानदार प्रदर्शन किया है लेकिन उनका प्रदर्शन उनकी कप्तानी के आगे फीका पड़ गया। गांगुली ने अपने वनडे करियर में 311 वनडे मैचों में 11363 रन बनाये हैं और भारत के लिए इस प्रारूप के सबसे सफल खिलाड़ियों में से एक हैं। गांगुली के अंदर सिक्स लगाने की काबिलियत शानदार थी। इसके बावजूद वनडे क्रिकेट में उनका स्ट्राइक रेट 73.7 का है। जो की उनकी काबिलियत के हिसाब से काफी कम है।
गांगुली ने कप्तान के तौर पर भारतीय टीम को एक नए स्तर पर ले गए और कई यादगार जीत दिलाई। हालाँकि इसके बावजूद कई ऐसे मैच रहे जहाँ गांगुली ने काफी धीमी बल्लेबाजी की और इसका खामियाजा भारत को मैच हारकर उठाना पड़ा।
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आइये नजर डालते हैं ऐसे ही 3 मौको पर जहाँ गांगुली की धीमी बल्लेबाजी भारत की हार की वजह बनी:
#1 1996 में टाइटन कप मैच बनाम दक्षिण अफ्रीका - 54 (104)
1996 में दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ टाइटन कप के एक महत्वपूर्ण मैच में, भारतीय टीम जयपुर में 250 रन के लक्ष्य का पीछा कर रही थी। सलामी बल्लेबाज सचिन तेंदुलकर और सौरव गांगुली ने शतकीय साझेदारी कर टीम को ठोस लेकिन धीमी शुरुआत दिलाई। सचिन थके हुए लग रहे थे और 31वें ओवर में 93 गेंदों पर तीन चौकों की मदद से 64 रन बनाकर आउट हो गए। दोनों ने साझेदारी में शुरुआती विकेट के लिए 126 रन जोड़े जहां गांगुली ने सचिन की तुलना में धीमी गति से रन बनाए।
गांगुली 104 गेंदों पर 54 रन बनाकर आउट हो गए। उस समय टीम का स्कोर 148/3 था। गांगुली ने अपनी पारी में मात्र 3 चौके लगाए थे और काफी धीमी बल्लेबाजी की थी। भारत के लिए रन रेट को मैनेज करना काफी मुश्किल हो गया था। मोहम्मद अजहरुद्दीन ने 60 गेंदों में नाबाद 56 रन बनाए लेकिन भारत 27 रन से मैच हार गया। गांगुली अगर थोड़ी तेज बल्लेबाजी करते तो भारत इस मैच में बेहतर स्थिति में होता।