Rishabh Pant LSG Captain Might Be Wrong Move: IPL 2025 से पहले लखनऊ सुपर जायंट्स (LSG) ने ऋषभ पंत को अपना कप्तान नियुक्त किया है। नीलामी में LSG ने 27 करोड़ रुपये की राशि खर्च करके पंत को खरीदा था और उन्हें लीग का सबसे महंगा खिलाड़ी बनाया था। IPL और इंटरनेशनल क्रिकेट में पंत ने अच्छी सफलता हासिल की है। IPL 2020 की उपविजेता रही दिल्ली कैपिटल्स टीम का वह हिस्सा रहे थे। 2024 में उन्होंने भारतीय क्रिकेट टीम के साथ टी-20 विश्व कप भी जीता था। भले ही पंत वर्तमान समय के सबसे बड़े मैच विनर्स में से एक हैं, लेकिन उन्हें कप्तान बनाना LSG के लिए एक गलत फैसला साबित हो सकता है। आइए जानते हैं इसके पीछे के तीन अहम कारण।
#3 विदेशी कप्तानों के विकल्प
LSG ने नीलामी में ऐडन मारक्रम, डेविड मिलर और मिचेल मार्श जैसे विदेशी दिग्गजों को खरीदा था। इसके साथ ही टीम में निकोलस पूरन भी मौजूद थे जिन्होंने पिछले सीजन केएल राहुल की गैरमौजूदगी में टीम की कप्तानी संभाली थी।
हेड कोच जस्टिन लैंगर की मौजूदगी से मार्श को कप्तान बनाया जा सकता था। दूसरी ओर मारक्रम और पूरन के पास भी इंटरनेशनल क्रिकेट और IPL दोनों में कप्तानी करने का अनुभव है। मार्श ने भी पिछले साल टी-20 विश्व कप में ऑस्ट्रेलिया की कप्तानी की थी।
#2 कप्तान रहते हुए बल्ले से औसत प्रदर्शन
जहां कुछ खिलाड़ियों का प्रदर्शन कप्तान बनने के बाद और बेहतर होता है तो वहीं कुछ खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर कप्तानी का दबाव हावी हो जाता है। दिल्ली कैपिटल्स की तीन सीजन कप्तानी करते हुए पंत एक भी बार 500 रनों के आंकड़े को सीजन में नहीं छू पाए। दूसरी ओर 2018 में जब पंत टीम के कप्तान नहीं थे तो उन्होंने 14 पारियों में लगभग 53 की औसत और 174 की स्ट्राइक रेट के साथ 684 रन बनाए थे। इससे साफ पता चलता है कि जब पंत के ऊपर किसी तरह का दबाव नहीं होता है तो उनका व्यक्तिगत प्रदर्शन काफी दमदार रहता है।
#1 दिल्ली कैपिटल्स को प्लेऑफ में ले जा पाने में विफलता
IPL में सभी फ्रेंचाइजियों का पहला लक्ष्य प्लेऑफ में जाना ही होता है। केएल राहुल की कप्तानी में LSG तीन में से दो सीजन प्लेऑफ में पहुंची थी। तीन सीजन दिल्ली की कप्तानी करने के बावजूद पंत केवल एक ही सीजन में टीम को प्लेऑफ तक लेकर जा पाए थे। 2021 के बाद वह दिल्ली को प्लेऑफ में नहीं ले जा पाए। LSG की टीम रिजल्ट को लेकर बहुत ही ज्यादा आक्रामक है तो ऐसे में पंत के ऊपर कप्तान के तौर पर रिजल्ट देने का भी दबाव रहने वाला है।