सिडनी में ऑस्ट्रेलिया (Australia Cricket Team) के खिलाफ तीसरे टेस्ट मैच के लिए भारतीय टीम (Indian Cricket Team) में दो बड़े बदलाव हुए। इनमें से एक बदलाव टीम को मजबूरन करना पड़ा तो वहीं दूसरा बदलाव टीम कॉम्बिनेशन की वजह से किया गया। तेज गेंदबाज उमेश यादव मेलबर्न टेस्ट मैच के दौरान चोटिल हो गए थे और इसी वजह से उनकी जगह युवा तेज गेंदबाज नवदीप सैनी को मौका दिया गया। सैनी का ये पहला टेस्ट मुकाबला है।
वहीं सलामी बल्लेबाज मयंक अग्रवाल को ड्रॉप कर दिया गया और उनकी जगह रोहित शर्मा को शामिल किया गया जो टेस्ट टीम के उप कप्तान हैं। कप्तान अजिंक्य रहाणे ने कहा था कि रोहित शर्मा सिडनी टेस्ट मैच में ओपनिंग का जिम्मा संभालेंगे और इसी वजह से शायद मयंक अग्रवाल को ड्रॉप करना पड़ा।
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मयंक अग्रवाल को सीरीज के पहले दोनों मुकाबलों में खेलने का मौका मिला था लेकिन वो बड़ी पारी नहीं खेल पाए थे। दोनों ही मैचों में वो सस्ते में आउट हो गए थे और खराब फॉर्म की वजह से ही उन्हें टीम से बाहर कर दिया गया। हालांकि मयंक अग्रवाल को तीसरे टेस्ट मैच से ड्रॉप करना शायद सही फैसला नहीं है। हम आपको बताते हैं कि क्यों मयंक अग्रवाल को बाहर नहीं किया जाना चाहिए था।
3 कारण क्यों मयंक अग्रवाल को सिडनी टेस्ट मैच से ड्रॉप नहीं किया जाना चाहिए था
1.टीम से ड्रॉप होने से खिलाड़ी के आत्मविश्वास में कमी
अगर किसी खिलाड़ी को कुछ ही मैच के बाद ड्रॉप कर दिया जाए तो उसके अंदर असुरक्षा की भावना आ जाती है। उसे लगता है कि अगर मैंने इस मुकाबले में अच्छा प्रदर्शन नहीं किया तो मुझे ड्रॉप कर दिया जाएगा। इससे उसके मन में एक डर पैदा हो जाता है और वो फिर खुलकर नहीं खेल पाता है। ये चीज मयंक अग्रवाल के साथ भी हो सकती है। टीम से ड्रॉप होने से उनका कॉन्फिडेंस गिर सकता है।
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2.युवा बल्लेबाज के तौर पर ज्यादा मौके दिए जाने की जरुरत
मयंक अग्रवाल अभी एक युवा बल्लेबाज हैं। उनका टेस्ट करियर ज्यादा बड़ा नहीं है। ऑस्ट्रेलिया के पिछले दौरे पर ही उन्होंने मेलबर्न में अपना डेब्यू किया था और शानदार पारी खेली थी। ऐसे में मयंक अग्रवाल को ज्यादा मौके दिए जाने की जरुरत है। वो एक बेहतरीन बल्लेबाज हैं और अगर उन्हें बार-बार मौके मिलें तो वो खुद को साबित कर सकते हैं। अगर उन्हें महज दो मैचों के बाद ड्रॉप कर दिया गया तो फिर वो बड़े बल्लेबाज नहीं बन पाएंगे।
3.बार-बार टीम में बदलाव से बाकी खिलाड़ियों के अंदर असुरक्षा की भावना
अक्सर ऐसा देखा गया है कि जब किसी टीम में बार-बार बदलाव होते हैं तो फिर सभी खिलाड़ियों के अंदर एक असुरक्षा की भावना आ जाती है और उसका असर उनके परफॉर्मेंस में भी देखने को मिलता है। मयंक अग्रवाल को टीम से नहीं ड्रॉप किया जाना चाहिए था, बल्कि उन्हें एक और मौका देकर रोहित शर्मा या शुभमन गिल को मिडिल ऑर्डर में खिलाया जा सकता था। इससे एक निरंतरता बनी रहती।