क्रिकेट जुनून और लगन का खेल है। इंटरनेशनल लेवल तक पहुंचने के लिए खिलाड़ी काफी मेहनत करते हैं और फिर वहां पहुंचने के बाद भी उन्हें अपना नाम बनाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है। जब कोई खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर खेलता है तो उसे पूरी दुनिया देखती है और उसके अच्छे खेल पर उसकी सराहना भी करती है, लेकिन मैदान पर या मैदान के बाहर किए जाने वाले उसके कामों से उसकी छवि भी काफी जल्दी खराब होती है।
पिछले 2-3 दशक से क्रिकेट में फिक्सिंग का भूत काफी ज़्यादा चल गया है और कई खिलाड़ी इसके चपेट में आकर अपना करियर भी बर्बाद कर चुके हैं। कुछ खिलाड़ी इंटरनेशनल लेवल पर अपने देश के लिए खेलते हुए फिक्सिंग के आरोप में पकड़े गए हैं और उनका करियर खत्म हो गया है तो वहीं कुछ खिलाड़ी घरेलू लीग में भी फिक्सिंग करके अपना करियर खत्म कर चुके हैं।
एक नजर डालते हैं कुछ बड़े क्रिकेटर्स पर जिन्हें फिक्सिंग के चलते क्रिकेट से आजीवन बैन कर दिया गया था।
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#5 मनोज प्रभाकर
मनोज प्रभाकर को भारत के बेहतरीन ऑलराउंडर्स में से एक माना जाता था और उनकी गेंदबाजी कमाल की थी। भारत के लिए 96 टेस्ट और 157 वनडे विकेट लेने वाले प्रभाकर टेस्ट और वनडे दोनों में भारत के लिए शानदार काम करते थे।
1996 वर्ल्ड कप के बाद प्रभाकर को इंग्लैंड दौरे के लिए भारतीय टीम में नहीं चुना गया जिसके बाद उन्होंने उस समय टीम के कप्तान मोहम्मद अजहरुद्दीन पर मैच फिक्सिंग का आरोप लगाया। उन्होंने 1999 में तहलका के स्टिंग ऑपरेशन में भी हिस्सा लिया और बीसीसीआई के खिलाफ आवाज उठाई।
इसके बाद बीसीसीआई ने जांच कराई और खुद प्रभाकर को ही फिक्सिंग का दोषी पाया जिसके बाद उन्हें आजीवन के लिए बैन कर दिया गया।
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