आईसीसी क्रिकेट विश्वकप शुरू शुरू होने में अब दस दिन से भी कम का समय बचा रह गया है। इस बार के विश्वकप में कौन सी दो टीमें फाइनल में पहुंचेंगी और उनमें से कौन सी टीम खिताब अपने नाम करेगी, यह कहना अभी मुश्किल होगा। लेकिन विश्वकप इतिहास के सभी 11 फाइनल मैचों की तरह ही इस बार भी फाइनल में पहुंचने वाली टीमों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिलेगी। अभी तक ऑस्ट्रेलिया सबसे ज्यादा 5 बार इस खिताब पर कब्जा कर चुका है। जबकि सबसे पहले क्रिकेट खेलने की शुरुआत करने वाली इंग्लैंड क्रिकेट टीम एक बार भी विश्वकप नहीं जीत सकी है।
विश्वकप का फाइनल मैच खेलना अपने आप में काफी महत्वपूर्ण होता है। ऐसे में कोई भी टीम इस यादगार पल को अपना स्वर्णिम इतिहास बनाना चाहेगी। हालांकि इस बार भारत और इंग्लैंड को विश्वकप का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। खैर यह तो वक्त ही बताएगा कि 2019 का विश्वकप कौन सी टीम अपने देश ले जाएगी, लेकिन यह बात तो तय है कि हर बार की तरह इस बार भी दर्शकों को जबरदस्त फाइनल मैच देखने को मिलेगा।
आज हम आपको विश्वकप इतिहास के पांच सबसे यादगार फाइनल मैचों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसकी यादें आज भी लोगों के जहन में ताजा होंगी। जानिए कौन से हैं विश्वकप इतिहास के वो पांच यादगार फाइनल मैच-
#5 1996 - श्रीलंका बनाम ऑस्ट्रेलिया
1996 विश्वकप का फाइनल मैच 1975 के फाइनल मैच की तरह ही था। 1975 विश्वकप में टीम के निचले बल्लेबाजों ने जमकर रन बनाए थे और वेस्टइंडीज को शानदार जीत दिलाई थी। इसी तरह 1996 के विश्वकप में श्रीलंका ने फाइनल मैच में जीत हासिल की थी। इस मैच मे ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए स्कोरबोर्ड पर 7 विकेट के नुकसान पर 241 रन टांग दिए थे।
जिसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी श्रीलंका की टीम के शुरुआती बल्लेबाज सनथ जयसूर्या और रमेश कालूविथारना 23 रन के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गए। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया की जीत पक्की मानी जा रही थी लेकिन अरविंद डि सिल्वा ने शानदार शतक जड़ा और अपनी टीम की जीत पक्की कर दी। इस पारी के दौरान क्रीज पर उनका साथ कप्तान अर्जुन राणातुंगा ने दिया। जबकि असंका गुरुसिन्हा ने भी 65 रनों की शानदार पारी खेली थी। इन यादगार पारियों के बल पर श्रीलंका ने 22 गेंद शेष रहते ही वह फाइनल मैच जीत लिया था।
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#4 1983 - भारत बनाम वेस्टइंडीज
दूसरा सबसे यादगार फाइनल मैच भारत और वेस्टइंडीज के बीच 1983 के विश्वकप के दौरान खेला गया था। इस मैच में भारत के खिलाड़ी वेस्टइंडीज की अपेक्षा उतने ताकतवर नहीं थे। वेस्टइंडीज के पास मैल्कम मार्शल, माइकल होल्डिंग, जोएल गार्नर और एंडी रॉबर्ट्स जैसे दिग्गज गेंदबाज थे, तो वहीं गॉर्डन ग्रीनिज, विवियन रिचर्ड और क्लाइव लॉयड जैसे दिग्गज बल्लेबाज थे।
भारत ने इस मैच में वेस्टइंडीज के सामने 183 रनों का छोटा सा स्कोर खड़ा किया था। जिसमें के श्रीकांत ने सबसे ज्यादा 38 रनों की पारी खेली थी। इतने कम स्कोर को देख लग रहा था कि वेस्टइंडीज आसानी से जीत हासिल कर लेगी, लेकिन भारत की शानदार गेंदबाजी के सामने वेस्टइंडीज की टीम ने घुटने टेक दिए। भारत की ओर से उस फाइनल मैच मे मदन लाल और अमरनाथ जैसे गेंदबाजों ने 3-3 विकेट हासिल किए और 140 रनों के स्कोर पर ही वेस्टइंडीज को रोक दिया। उस मैच में मोहिंदर अमरनाथ को 3/12 विकेट लेने और 26 रन बनाने के लिए मैन ऑफ द मैच चुना गया।
#3 2011 – भारत बनाम श्रीलंका
कप्तान महेंद्र सिंह धोनी की अगुवाई में भारत दूसरी बार 2011 में विश्व चैंपियन बना था। भारत ने इस विश्वकप के फाइनल मैच में श्रीलंका पर 6 विकेट और 10 गेंद शेष रहते ही शानदार जीत दर्ज की थी। मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में खेला गया यह फाइनल मैच काफी यादगार था। श्रीलंका की टीम ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 274 रन बनाए थे, और महेला जयवर्धने ने शानदार शतक जड़ा था।
इसके जवाब में बल्लेबाजी करने उतरी भारतीय टीम की ओर से सचिन तेंदुलकर और वीरेंदर सहवाग फ्लॉप रहे थे। हालांकि गौतम गंभीर ने 97 रन बनाते हुए पारी को संभाला। इसके बाद कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने नाबाद 91 रनों की शानदार पारी खेली और जीत का छक्का भी लगाया। इसके साथ ही भारत ने 28 साल का सूखा खत्म करते हुए दूसरा विश्वकप जीता। युवराज सिंह को उनके आलराउंडर प्रदर्शन के लिए मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना गया।
#2 1992 – पाकिस्तान बनाम इंग्लैंड
1992 में पाकिस्तान और इंग्लैंड के बीच खेले गए फाइनल मैच को यादगार माना जाता है, क्योंकि जबरदस्त फॉर्म में चल रही इंग्लैंड पर पाकिस्तान ने शानदार जीत हासिल की थी। इससे पहले टूर्नामेंट के एक लीग मैच में पाकिस्तान को इंग्लैंड के हाथों बुरी तरह हार का सामना करना पड़ा था। वहीं फाइनल मैच में पाकिस्तान ने इंग्लैंड के सामने 250 रनों का लक्ष्य रखा था। जिस पर यह अनुमान लगाया जा रहा था कि बेहतरीन फॉर्म में चल रही इंग्लैंड आसानी से जीत हासिल कर लेगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
इंग्लैंड के शुरुआती 4 विकेट 69 रनों के स्कोर पर ही पवेलियन लौट गए, जिसके बाद नील फेयरब्रदर और एलन लैंब ने 72 रनों की साझेदारी की। हालांकि यह साझेदारी भी इंग्लैंड का कुछ भला नहीं कर पाई। पाकिस्तान की गेंदबाजी के सामने इंग्लैंड के बल्लेबाज जल्दी-जल्दी अपना विकेट गंवाते चले गए और 22 रन से मुकाबला गंवा दिया। इस मैच में वसीम अकरम को मैन ऑफ द् मैच अवॉर्ड मिला था, जिन्होंने 3 विकेट चटकाने के अलावा 33 रन भी बनाए थे।
#1 1987 – ऑस्ट्रेलिया बनाम इंग्लैंड
1987 के विश्वकप के फाइनल मैच को इंग्लैंड के बल्लेबाज माइक गेटिंग की रिवर्स स्वीप के कारण याद किया जाता है। कोलकाता के ईडन गार्डन्स में खेले गए इस मैच मे भले ही ऑस्ट्रेलिया ने इंग्लैंड पर 7 रनों के मामूली अंतर से जीत हासिल कर ली थी लेकिन यह मैच इंग्लैड के ही बल्लेबाज के कारण यादगार बन गया।
इस मैच में ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 253 रनों का स्कोर खड़ा किया और इंग्लैंड को जीत के लिए 254 रन चाहिए थे। इंग्लैंड का स्कोर एक समय 135/2 था और कप्तान माइक गेटिंग 41 रन बनाकर खेल रहे थे। उसी दौरान उन्होंने एलन बॉर्डर की गेंद पर रिवर्स स्वीप लगाने का प्रयास किया और अपना विकेट गंवा दिया। यहीं से इंग्लैंड के पारी की पतन की शुरूआत हो गई। पूरी टीम 246 रन ही बना पाई और मुकाबला गंवा दिया।