रोहित शर्मा ने श्रीलंका के खिलाफ दूसरे टेस्ट में नाबाद 102 रन और फिर दिल्ली टेस्ट की पहली पारी में 65 रन बनाकर टेस्ट मैचों में भी अपने लिए कई मौके बना लिये हैं। रोहित लगभग 500 दिनों के बाद टेस्ट में वापसी करते हुए अपने सर्वश्रेष्ठ और बेहतरीन फॉर्म में दिख रहे हैं। रोहित सीमित ओवरों के क्रिकेट में भारतीय बल्लेबाजी लाइन-अप के मुख्य आधार हैं और उन्होंने शीर्ष क्रम पर बल्लेबाजी करते हुए कई रन बनाए हैं। हालांकि वह टेस्ट टीम में अंदर-बाहर होते रहे हैं अगर उन्हें लंबे समय तक टीम में रहने का मौका मिले तो विपक्षी टीम में कहर पैदा कर सकते है। दक्षिण अफ़्रीका दौरे पर भी चयनकर्तताओं ने रोहित शर्मा को टेस्ट टीम में जगह दी है, इसके अलावा भविष्य में टीम इंडिया के विदेशी दौरों को ध्यान में रखते हुए आज हम बतायेंगे कि आखिर क्यों रोहित को अंतिम-11 में होना चाहिए:
#5 बड़े रनों की भूख
रोहित के पास सैकड़ों को बड़े शतकों में परिवर्तित करने की कला है। उनके नाम वनडे में 15 शतक हैं और इनमें से अधिकतर का स्कोर 125 से अधिक है, जो खेल के छोटे प्रारूप में शानदार है। मुम्बई का यह बल्लेबाज बल्लेबाजों के एक विशिष्ट वर्ग का हिस्सा हैं जिन्होंने वनडे में 4 या उससे अधिक 150 रन बनाए हैं। महान सचिन तेंदुलकर कुल 5 बार 150 से अधिक रनों के साथ अपने नाम यह रिकॉर्ड किए हुए हैं। रोहित वनडे में 2 दोहरा शतक बनाने वाले एकमात्र बल्लेबाज हैं, जहां कुछ खिलाड़ियों के टेस्ट में भी दोहरे शतक नहीं हैं वहीं रोहित वनडे में दो बार दोहरे शतक के साथ इकलौते खिलाड़ी हैं। बड़े शतक बनाने की उनकी भूख एक अच्छा संकेत है जो यह दर्शाती है कि वह टेस्ट में लंबी पारी खेल सकते हैं, जो कि विदेशी परिस्थितियों में उपयोगी साबित हो सकती है।
#4 अच्छी फ़ॉर्म और नेतृत्व क्षमता
2017 में रोहित शर्मा ने अब तक 18 मैचों में 67.25 के औसत से 1076 रन बनाए हैं। वह इस साल वनडे में 5 शतकों के साथ कोहली के बाद दूसरे नंबर के बल्लेबाज रहे हैं। उन्होंने टेस्ट में अपनी अच्छी फॉर्म जारी रखा है और इस साल नागपुर में श्रीलंका के खिलाफ मिले एक मौका को हासिल कर एक शानदार शतक बना दिया। अपने तरकश में एक और नगीना जोड़ते हुए वह श्रीलंका के खिलाफ तीन मैचों की एकदिवसीय श्रृंखला और 3 मैचों की टी20 सीरीज़ में पहली बार भारतीय टीम का नेतृत्व करेंगे जो 10 दिसंबर से खेली जाएगी । इसलिए विदेशी सरज़मीं पर टेस्ट में न केवल उनका फॉर्म महत्त्वपूर्ण होगा बल्कि कप्तानी के कौशल को खेल के सबसे लंबे प्रारूप में अच्छा इस्तेमाल किया जा सकता है। हाल ही में विराट कोहली ने न्यूजीलैंड के खिलाफ टी20 श्रृंखला के निर्णायक मैच के दौरान रोहित शर्मा की समय-समय पर दी गई सलाह की प्रशंसा की जिसमें उन्होंने कोहली को बुमराह को अंतिम दूसरा ओवर देने का सुझाव दिया जिसके परिणामस्वरूप भारत ने श्रृंखला जीत ली। अपने नेतृत्व के कौशल और अच्छे फार्म के साथ रोहित विदेशी सरजमीं पर भारतीय टेस्ट टीम के लिए एक बड़ी संपत्ति हो सकती है।
#3 तकनीक और कौशल
रोहित शर्मा अपनी उत्कृष्ट तकनीक के लिए व्यापक रूप से जाने जाते हैं और जब अपनी धुन में होते हैं तब असाधारण शॉट लगाते हैं। जब गेंद पर टाइमिंग की बात आती है तो वह दुनिया के सबसे बेहतरीन बल्लेबाज हैं। उनके पास शॉट्स की कई विविधताएं हैं और ऑस्ट्रेलिया व साउथ अफ्रीका की पिच जहां पर अतिरिक्त बाउंस मिलता है वहां उनके पास पुल शॉट को खेलने की क्षमता है। रोहित ने यह दिखाया है कि वह शॉर्ट बॉल के खिलाफ पूरी तरह से तैयार है जहां अधिकतर बल्लेबाज शॉर्ट गेंद के खिलाफ संघर्ष करते नजर आते है। मुंबई का ये खिलाड़ी बैकफुट पर बहुत मजबूत है जिससे उन्हें गेंद के उछाल पर विशेष रूप से अच्छी तरह से शॉट्स खेलने की अनुमति मिलती है जिसमें बैकफुट पंच और कट शामिल हैं। वह स्पिनरों को अच्छी तरह से खेलते हैं और अगर आवश्यक हो तो उनपर हमला करने से पीछे नहीं रहते। रोहित, ऑस्ट्रेलिया, इंग्लैंड, न्यूजीलैंड और दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ पहले ही कुछ टेस्ट खेल चुके हैं, जिसने उन्हें विदेशी स्थिति के लिए एक अच्छा उम्मीदवार बना दिया है।
#2 सभी परिस्थितियों में समान्य खेल खेलने की क्षमता
रोहित की ताकत उनके प्राकृतिक खेल में है, जो लगातार विपक्षी टीम पर हमला करते हुए नज़र आते हैं। दवाब की स्थिति में आक्रामक क्रिकेट खेलने की क्षमता विदेशी पिचों पर भारी लाभांश दे सकती है। 2015 में भारत श्रीलंका टेस्ट सीरीज़ में एक क्लासिक उदाहरण को दिखाया जा सकता है, जब सीरीज 1-1 की बराबरी पर थी। भारत बेहद मुश्किलों से घिरा हुआ था जब रोहित बल्लेबाजी करने उतरे तब दूसरी पारी में टीम इंडिया 7 रन पर 3 विकेट खो चुकी थी। मुश्किल हालात और कठिन बल्लेबाजी परिस्थिति को दरकिनार कर उन्होंने हमले के लिए अपने प्राकृतिक खेल का पालन किया और पारी को संभालते हुए शानदार अर्धशतक बनाया, जिससे भारत को बचाव का एक महत्वपूर्ण आधार मिला। नतीजतन, भारत ने श्रीलंका की धरती पर श्रृंखला 2-1 से जीती।
#1 कमज़ोर मध्यक्रम को मज़बूत बनाना
अगर भारत को विदेशी परिस्थितियों पर जीत हासिल करनी है तो भारत के पास खेल के सबसे लंबे प्रारूप में एक मजबूत मध्य क्रम होना चाहिए। मौजूदा स्थिति को देखते हुए, शीर्ष 4 बल्लेबाजों को छोड़कर भारतीय मधयक्रम की बल्लेबाजी अच्छी नहीं दिखती है। ये कमी ईडन गार्डन्स में खेले गए पहले टेस्ट में पूरी तरह से उजागर हो गई थी और ये हालात विदेशी दौरे में भी अलग नहीं होंगे। अजिंक्य रहाणे का फॉर्म पिछले दो टेस्ट में 4, 0 और 2 जैसे कम स्कोर के साथ चिंतित रहा है। वह पिछली बार भारत के सर्वश्रेष्ठ विदेशी बल्लेबाज रहे थे। लिहाज़ा विदेशी दौरों पर रविचन्द्रन अश्विन, रिद्धिमान साहा और रवींद्र जडेजा के ऊपर बल्ले से ज़्यादा ज़िम्मेदारी संभालना एक कठिन काम होगा। भारत को नंबर-6 पर एक उपयुक्त बल्लेबाज की जरूरत है और अपने मौजूदा फॉर्म के साथ रोहित शर्मा इस नंबर के लिए सही उम्मीदवार हैं। पुछल्ले बल्लेबाजों के साथ खेलने की उनकी क्षमता भी सहायक साबित हो सकती है भारत को मध्य क्रम के ढहने से सावधान रहने की आवश्यकता है जो कि पिछले कुछ विदेशी दौरों में चिंता का कारण रहे थे। भारत विदेशी परिस्थितियों में सिर्फ 5 बल्लेबाजों के साथ खेलने का जोखिम नहीं ले सकता। मध्यक्रम की परेशानी और हालिया फॉर्म को ध्यान में रखते हुए रोहित को दक्षिण अफ्रीका दौरे पर अंतिम एकादश में होना चाहिए। लेखक- प्रथमेश पाटिल अनुवादक- सौम्या तिवारी