वर्ल्ड कप 2019 रोमांच से भरा रहा। कुछ खिलाड़ियों ने जहां टूर्नामेंट के अंत तक शानदार खेल दिखाया, वहीं कुछ फिसड्डी भी साबित हुए। कुछ ऐसे भी खिलाड़ी रहे जिन्हें ज्यादा मैच नहीं खेलने को मिले फिर भी उन्हें जितने भी मौके मिले उसमें उन्होंने बेहतरीन प्रदर्शन किया।
आज हम ऐसे ही 7 खिलाड़ियों की बात करेंगे जिनका वर्ल्ड कप में बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता था।
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7. हारिस सोहेल - पाकिस्तान
जब पाकिस्तान की उम्मीदें खत्म होने की कगार पर थीं, तब सोहेल को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ वापस लाया गया। उन्होंने उस मैच में एक धमाकेदार पारी खेली। उनकी 59 गेंदों की 89 रन की पारी ने पाकिस्तान को 49 रनों की जीत दिलाने में मदद की। सोहेल की सबसे अच्छी पारी न्यूजीलैंड के खिलाफ रही, जिससे पाकिस्तान रोमांचक मैच में लक्ष्य का पीछा करने में सफल रही। एक कठिन पिच पर 238 के लक्ष्य का पीछा करते हुए, पाकिस्तान ने 25 ओवर में 110-3 का स्कोर बना लिया था। यहां से सोहेल और बाबर आज़म ने पाकिस्तान की उम्मीदों को जिंदा रखने वाली 126 रनों की मैच जिताऊ साझेदारी की।
इन दोनों पारियों में, सोहेल ने बीच के ओवरो में विकेटों की झड़ी के बाद पारी को सहारा दिया। पाकिस्तान की लंबे समय से चली आ रही समस्या बीच के ओवरों में विकेट खोने की रही है और अगर सोहेल सभी मैचों में वहां मौजूद होते नतीजा कुछ और हो सकता था।
6. केमार रोच - वेस्टइंडीज़
वेस्टइंडीज़ के खराब प्रदर्शन के कारणों में से एक यह भी था कि उनके सबसे अनुभवी तेज गेंदबाज केमार रोच शुरुआती एकादश से अनुपस्थित थे। रोच ने साल 2019 की शानदार शुरुआत की थी, जब उन्होंने विंडीज को टेस्ट सीरीज में इंग्लैंड पर 2-1 से जीत दिलाई। लेकिन उन्हें विश्व कप की शुरुआती एकादश में मौका नहीं मिला।
उन्हें मिले सीमित अवसरों में वो नई गेंद के साथ काफी प्रभावी रहे थे। उनकी 3.67 की इकॉनमी टूर्नामेंट में सर्वश्रेष्ठ (3 ओवर न्यूनतम) थी। उन्होंने भारत और अफगानिस्तान के खिलाफ मैचों में महत्वपूर्ण विकेट चटकाए थे। उनकी अनुपस्थिति में बांग्लादेश और ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ टीम को जीत की स्थिति से हार का सामना करना पड़ा था।
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5. अविष्का फर्नांडो - श्रीलंका
स्कूल क्रिकेट से सीधे अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट का सफर करने वाले फ़र्नांडो को लेकर श्रीलंका में हर कोई उत्सुक था। लेकिन उन्हें विश्व कप के पहले 5 मैचों में मौका नहीं मिला।
मौका मिलने पर उन्होंने इंग्लैंड के खिलाफ 39 गेंदों पर 49 रन की पारी खेली। इसके बाद वेस्टइंडीज के खिलाफ़ उन्होंने शानदार शतक जड़ा। आईसीसी की तरफ से उनको राइजिंग स्टार का खिताब मिला।
4. ड्वेन प्रिटोरियस
चोटों से जूझ रही दक्षिण अफ्रीकी टीम को मजबूरी में दो तेज गेंदबाजी ऑल राउंडर्स के साथ उतरना पड़ा। प्रिटोरियस को शुरुआती मैचों में मौका नहीं मिला। श्रीलंका के खिलाफ टीम में शामिल किए जाने के बाद उन्होंने 10 ओवर में 25 रन देकर 3 विकेट लिए, और टीम को जीत दिलाई। इसके बाद ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ मैच में उन्होंने स्मिथ और वार्नर के विकेट लिए और जीत में महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। अगर उनको पहले मौका मिलता तो शायद दक्षिण अफ्रीका का प्रदर्शन बेहतर होता।
3. शाहीन अफरीदी
शाहीन अफरीदी को शुरुआती मैचों में मौका नहीं दिया गया। हसन अली के महंगे साबित होने के बाद उनको मौका दिया गया और उन्होंने न्यूज़ीलैंड के खिलाफ 4 विकेट लिए। इसके बाद अफ़ग़ानिस्तान और बांग्लादेश के खिलाफ भी उन्होंने अपना अच्छा प्रदर्शन जारी रखा। उन्होंने 5 मैचों में 16 विकेट लिए। अगर उनको पहले मौका मिला होता तो शायद पाकिस्तान की स्थिति कुछ अच्छी होती।
2.मोहम्मद शमी
मोहम्मद शमी को भुवनेश्वर कुमार के चोटिल होने के बाद अफ़ग़ानिस्तान के खिलाफ मौका मिला और उन्होंने हैट्रिक समेत कुल 4 विकेट लेकर अपनी छाप भी छोड़ी। इसके बाद उनको इंग्लैंड के खिलाफ मौका मिला जहां उन्होंने 5 विकेट लेकर टीम को मैच में वापसी कराई थी। शमी ने 4 मैचों में कुल 14 विकेट लिए। हालांकि इसके बावजूद उन्हें सेमीफाइनल मुकाबले में खेलने का मौका नहीं मिला।
1. रविन्द्र जडेजा
जडेजा को टूर्नामेंट के दूसरे भाग में विशेष भूमिका निभाने की उम्मीद की जा रही थी क्योंकि पिचें धीमी हो गई थीं। लेकिन भारत ने दो कलाई के स्पिनरों के साथ विश्व कप की शुरुआत की। हैरानी की बात यह है कि टीम प्रबंधन ने जडेजा को श्रीलंका के खिलाफ आखिरी लीग मैच तक मौका नहीं दिया था, जबकि कुलदीप यादव और युजवेंद्र चहल लगातार महंगे साबित हो रहे थे और विकेट भी लेने में नाकामयाब हो रहे थे।
हालांकि आखिरी मैच में कसी हुई गेंदबाजी करके उन्होंने सेमीफाइनल मैच में अपना स्थान बनाया। वह जडेजा ही थे जिनकी वजह से भारत सेमीफाइनल जीतने के करीब पहुंचा था। उन्होंने 59 गेंदों में 77 रनों की पारी खेली थी। इसके अलावा जडेजा टूर्नामेंट के सर्वश्रेष्ठ क्षेत्ररक्षक भी थे, जिनहोंने कुल मिलाकर फील्डिंग में 41 रन बचाए।
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