दक्षिण अफ्रीका के पूर्व खिलाड़ी एश्वेल प्रिंस ने नस्लीय भेदभाव पर बयान दिया है। एश्वेल प्रिंस ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के ऑस्ट्रेलिया दौरे पर हमें नस्लीय टिप्पणियों का सामना करना पड़ा था। आगे उन्होंने कहा कि दक्षिण अफ्रीका के कप्तान को उस समय बताया गया था लेकिन मामले में कुछ नहीं हुआ।
एश्वेल प्रिंस ने 2005 के ऑस्ट्रेलिया दौरे का जिक्र करते हुए कहा कि सीमा रेखा पर हमारे ऊपर नस्लीय टिप्पणियाँ की गई थी। इसके बाद दक्षिण अफ्रीका के कप्तान से शिकायत करने पर कहा गया कि कुछ लोग ऐसा बोल रहे हैं इसलिए मैदान पर चलते हैं।
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दक्षिण अफ्रीका की टीम में नहीं थी एकता
एश्वेल प्रिंस ने कहा कि दक्षिण अफ्रीका की टीम ने उस समय एकता नहीं दिखाई थी। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि दस साल तक मैंने जो देखा उसमें यही पाया कि टीम में एकता नहीं थी। प्रिंस ने ट्विटर के माध्यम से इन सभी बातों का खुलासा किया है।
लुंगी एनगिडी ने कहा था कि नस्लवाद को वैसे ही गंभीरता से लेना चाहिए जैसा दुनिया कर रही है। इसके बाद वेस्टइंडीज के पूर्व कप्तान डैरेन सैमी ने उनका समर्थन किया था। सैमी ने कहा कि इस मामले पर हम साथ हैं। सैमी ने नस्लवाद के खिलाफ बड़ा अभियान छेड़ा हुआ है।
गौरतलब है कि अमेरिका में अश्वेत व्यक्ति जॉर्ज फ्लॉयड की पुलिस कस्टडी में मौत के बाद नस्लवाद का मुद्दा जोर से उठा था। इसके बाद वेस्टइंडीज के कई खिलाड़ियों ने अपने साथ घटी घटनाओं का जिक्र करते हुए ब्लैक लाइव्स मैटर का अभियान भी चलाया था। इसका समर्थन करने के लिए इंग्लैंड के खिलाफ पहले टेस्ट में वेस्टइंडीज के खिलाड़ी काला फीता बांधकर मैदान पर उतरे थे। दक्षिण अफ्रीका की टीम में अश्वेत खिलाड़ियों के लिए आरक्षण की व्यवस्था भी है। क्रिकेट में नस्लवाद के खिलाफ डैरेन सैमी ने सबसे पहले आवाज उठाई थी।