ऑस्ट्रेलिया ने 5 मैचों की सीरीज में 0-2 से पिछड़ने के बाद बेहतरीन वापसी की और 3-2 से धमाकेदार जीत दर्ज की। इसके साथ ही भारत में 2009 के बाद उनकी यह पहली वनडे सीरीज जीत भी है। हालांकि भारत के लिए यह हार काफी गलत समय पर आई है।
वर्ल्ड कप से पहले खेले अपने आखिरी वनडे मैच में भारत ने एक बार फिर काफी प्रयोग किए, जिसका खामियाजा मेजबान टीम हार के रूप में चुकाया। भारत को सीरीज के निर्णायक मैच में 35 रनों से हार का सामना करना पड़ा।
ऑस्ट्रेलिया ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 272-9 का स्कोर बनाया, जिसके जवाब में भारतीय टीम 237 रन बनाकर ऑलआउट हो गई।
आइए नजर डालते हैं इस मैच में भारत की करारी हार के 3 अहम कारणों पर:
#3) ऑस्ट्रेलिया का जबरदस्त प्रदर्शन
ऑस्ट्रेलिया ने इस पूरी सीरीज में हर क्षेत्र में जबरदस्त खेल दिखाया है। भले ही उन्हें पहले दो वनडे में हार का सामना करना पड़ा, लेकिन कभी भी वो मैच से बाहर नहीं दिखाई दिए। इस मैच में भी उन्होंने लगातार अच्छा प्रदर्शन करके दिखाया।
सबसे पहले उस्मान ख्वाजा और पीटर हैंड्सकॉम्ब ने शानदार पारी खेलते हुए टीम को सधी हुई शुरूआत दिलाई। उसके बाद बीच में पारी लड़खड़ाने के बावजूद अंतिम ओवरों में तेज बल्लेबाजी करते हुए सम्मानजनक स्कोर तक पहुंचने में भी वो कामयाब हुए।
गेंद के साथ भी उन्होंने महत्वूपर्ण समय में विकेट चटकाए, जिससे भारत के ऊपर दबाव बना और वो ही मेजबान टीम की हार का अहम कारण बना।
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# जरुरत से ज्यादा उपयोग करना
वर्ल्ड कप जितना नजदीक आ रहा है, उतना ही ज्यादा भारतीय टीम प्रयोग कर रही है और उसका खामियाजा उन्हें हार के साथ चुकाना पड़ रहा है। सीरीज के निर्णायक मैच में भी टीम ने अपनी सर्वश्रेष्ठ इलेवन नहीं खिलाई और सिर्फ एक पक्ष को मजबूत करने के ऊपर ध्यान दिया।
भारत के पास भले ही गेंदबाजी के लिए 7 विकल्प मौजूद थे, लेकिन टीम की बल्लेबाजी काफी अनुभवहीन और कमजोर नजर आ रही थी। इसके अलावा टीम काफी समय से युजवेंद्र चहल और कुलदीप यादव को साथ में नहीं खिला रही है, जिससे दोनों के प्रदर्शन पर फर्क देखने को मिल रहा है।
साथ ही में धोनी को सीरीज के आखिरी दो मैच में आराम देने का फैसला भी समझ नहीं आया, खासकर तब जब सीरीज भारत ने जीती नहीं थी। चौथे और पांचवें वनडे में धोनी की कमी काफी खली। साथ ही में केएल राहुल को फिट करने के लिए कोहली का 4 नंबर पर खेलने का फैसला भी समझ में नहीं आया। शायद वर्ल्ड कप के ऊपर ज्यादा ध्यान देने के कारण ही भारत को लगातार तीसरी सीरीज (दो टी20 और एक वनडे) में हार का सामना करना पड़ा है।
# मिडिल ऑर्डर का फ्लॉप होना
भारतीय टीम हमेशा से ही रोहित शर्मा, शिखर धवन और विराट कोहली के ऊपर काफी निर्भर करती है। हालांकि वो नहीं चलते, तो टीम का मध्यक्रम भी ज्यादा योगदान नहीं दे पाता और सीरीज के अहम मुकाबले में भी कुछ ऐसा ही हुआ।
शिखर धवन (12) और विराट कोहली (20) जल्दी आउट हो गए थे तो मध्यक्रम के ऊपर जिम्मेदारी थी कि वो रोहित शर्मा के साथ मिलकर टीम को जीत तक लेकर जाए। हालांकि पहले ऋषभ पंत (16) और फिर विजय शंकर (16) भी ज्यादा देर तक टिक नहीं पाए और दोनों आउट हो गए। इसके बाद रोहित (56) के ऊपर भी दबाव बढ़ने लगा और वो खराब शॉट खेलकर आउट हो गए।
यहां से जाधव और भुवनेश्वर कुमार ने मिलकर भारत को मैच में बनाए रखा, लेकिन मैच काफी देर पहले ही भारत के हाथ से निकल गया था।