आईपीएल का 12वां सीजन रोमांच से भरपूर रहा है। इस सीजन में भले ही चेन्नई सुपरकिंग्स और दिल्ली कैपिटल्स ने सबसे पहले प्लेऑफ के लिए क्वालिफाई किया हो लेकिन मुंबई इंडियंस ने अपने शानदार प्रदर्शन से यह बता दिया है कि वो भी किसी से कम नहीं। यह टीम अब अंकतालिका में सबसे ज्यादा अंकों के साथ शीर्ष पर है।
यही नहीं मुंबई इंडियंस ने क्वालिफायर के पहले मुकाबले में चेन्नई सुपरकिंग्स को शानदार तरीके से हराकर फाइनल में जगह बना ली है। इसका मतलब यह है कि मुंबई इंडियंस या तो इस बार भी आईपीएल की ट्रॉफी जीतकर घर ले जाएगी या फिर फाइनल मैच हारकर दूसरे नंबर पर रहेगी। मुंबई इंडियंस के साथ सबसे खास बात यह है कि हर सीजन की तरह ही इस बार भी मुंबई इंडियंस ने शुरुआत थोड़ी धीमी की थी लेकिन फिर ऐसी रफ्तार पकड़ी कि सीधा फाइनल में जगह बना ली।
आज हम आपको मुंबई इंडियंस की टीम की सफलता से जुड़े पांच कारणों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिसके बल पर उन्होंने पहले प्लेऑफ में जगह बनाई और उसके बाद सीधे फाइनल का टिकट कटाया। जानिए उन पांच कारणों के बारे में-
खिलाड़ियों की नीलामी में चालाकी
मुंबई इंडियंस की सफलता का सबसे बड़ा कारण यह है कि नीलामी के दौरान यह फ्रेंचाइजी खिलाड़ियों के चयन में भी चालाकी बरतती है। जैसे इस बार टीम में शामिल किए गए क्विंटन डी कॉक ने इस टीम के लिए अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है। क्विटंन इस बार के सीजन में मुंबई की ओर से सबसे ज्यादा 500 रन बनाए हैं। इससे पहले यह बल्लेबाज रॉयल चैलेंजर्स बैंगलोर के लिए खेलता था।
वहीं दूसरा पक्ष जयंत यादव के साथ जुड़ा है। जयंत यादव को भले ही टीम की ओर से सीमित मैच खेलने का अवसर मिला हो लेकिन उन्होंने अपने आपको बखूबी साबित किया है। इसके अलावा मुंबई इंडियंस का अपने पूर्व के खिलाड़ियों को अपने पास रखना, सबसे बेहतरीन फैसला था। क्योंकि इन्हीं खिलाड़ियों की बदौलत ही मुंबई इंडियंस तीन बार आईपीएल का खिताब जीत चुकी है। ऐसे में मुंबई इंडियंस का यह पहलू उसे इस सीज़न के फाइनल में शामिल कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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टीम का वातावरण
किसी भी टीम की सफलता के लिए यह जरूरी होता है कि मैदान के बीच सभी खिलाड़ियों के बीच कैसा वातावरण है। मुंबई की टीम में यह चीज बखूबी देखने को मिलती है। इस टीम का प्रत्येक खिलाड़ी अपनी टीम के पक्ष में जिस तरह से बोलता है और उसके लिए जिस तरह से खेलता है। उससे यह स्पष्ट होता है कि टीम का वातावरण खिलाड़ियों के पक्ष में है।
साथ ही टीम के मालिक और टीम के कप्तान की ओर से बनाया गया माहौल भी खिलाड़ियों के प्रदर्शन पर असर डालता है। इसका सबसे बड़ा उदाहरण है कि जब पहले दो लीग मैच के बाद मुंबई को 6 दिन का समय मिला था, तो उनके बीच 4 दिन टीम के खिलाड़ियों को छुट्टी दी गई। इसी वजह से मुंबई ने अपने अगले मुकाबले में चेन्नई सुपरकिंग्स को करारी मात दी थी और लगातार जीत और कुछ हार के बाद फाइनल में अपनी जगह पक्की की।
रोहित शर्मा की कप्तान के रूप में क्षमता
रोहित शर्मा ने अपने कार्यकाल में टीम को आईपीएल का चैंपियन भी बनाया, जो यह साबित करता है कि उनके अंदर एक कुशल कप्तान बनने की क्षमता है। यही नहीं रोहित को इस टीम की कप्तानी मिलने के बाद उनकी और टीम दोनों की किस्मत बदल गई। जिस तरह से रोहित शर्मा कप्तानी करते हैं और अपने खिलाड़ियों की क्षमता का इस्तेमाल करते हैं। वह बेहद सराहनीय है।
इसका सबसे बढ़िया उदाहरण चेन्नई सुपरकिंग्स के खिलाफ 7 मई को पहले क्वालिफायर मैच के दौरान देखने को मिला। उस दौरान जसप्रीत बुमराह के 18वें और 20वें ओवर को छोड़कर किसी भी अन्य गेंदबाज को ट्रॉटपर दो ओवर नहीं दिए गए। इस बदलाव ने काम किया और रोहित शर्मा की टीम ने चेन्नई को हराकर फाइनल में जगह बना ली।
हार्दिक पांड्या की ताकत
मुंबई इंडियंस के पास हार्दिक पांड्या के रूप में सबसे बेहतरीन आलराउंडर खिलाड़ी मौजूद है। पांड्या ने भी साल दर साल गेंद और बल्ले दोनों के साथ ही बेहतरीन प्रदर्शन किया है। इस सीजन में पांड्या ने सबसे लाजवाब पारी केकेआर के खिलाफ खेली थी, जिसमें उन्होंने मात्र 34 गेंदों में 91 रनों की तूफानी पारी खेल सभी को चौका दिया था।
इस सीजन में पांड्या ने मुंबई की ओर से सभी मैचों में 14 विकेट लेने के साथ ही 386 रन भी बनाए हैं। इसके अलावा उन्होंने अपनी पहचान टीम के सबसे बेहतरीन फिनिशर के रूप में भी बनाई है। इस सीजन में टीम की ओर से सबसे बेहतरीन स्ट्राइक रेट भी उन्हीं का रहा है। ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता है कि मुंबई इंडियंस को फाइनल में पहुंचाने में पांड्या ने अपना सर्वश्रेष्ठ योगदान दिया है।
दमदार गेंदबाजी इकाई
मुंबई इंडियंस की इस सीजन में सफलता के पीछे सबसे बड़ी ताकत उनकी गेंदबाजी रही है। इस टीम में जसप्रीत बुमराह, जेसन बेहरनडॉर्फ, लसिथ मलिंगा और हार्दिक पांड्या जैसे बेहतरीन तेज गेंदबाज तो शामिल हैं ही। साथ ही क्रुणाल पांड्या, राहुल चाहर और जयंत यादव जैसे स्पिन गेंदबाज भी शामिल रहे हैं। जिन्होंने ज्यादातर मैचों में विपक्षी टीमों को कम स्कोर पर ही रोका और अपनी टीम को जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
यही नहीं मुंबई के गेंदबाजों ने पिच की गहराई को अच्छी तरह से समझकर उसके अनुकूल ही गेंदबाजी की। जिसका परिणाम यह रहा कि विपक्षी टीमों के बल्लेबाज इन गेंदबाजों के सामने फीके साबित हुए।