
पूर्व ऑस्ट्रेलियाई कप्तान माइकल क्लार्क (Michael Clarke) ने रिकी पोंटिंग (Ricky Ponting) से जुड़ा एक बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने बताया कि नेशनल टीम की कप्तानी मिलने के बाद उन्होंने किस तरह रिकी पोंटिंग को ऑस्ट्रेलियाई टीम से ड्रॉप होने से बचाया था।
दरअसल ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी जब कप्तानी छोड़ते हैं तो वो आगे नहीं खेलते हैं और आमतौर पर संन्यास ले लेते हैं। अगर देखा जाए तो ये लिस्ट काफी लंबी है। एलन बॉर्डर, मार्क टेलर, स्टीव वॉ और यहां तक कि माइकल क्लार्क ने भी खुद कप्तानी छोड़ने के बाद संन्यास ले लिया था।
हालांकि टेस्ट क्रिकेट के सबसे सफल कप्तानों में से एक रिकी पोंटिंग के मामले में ऐसा नहीं था। रिकी पोंटिंग ने 2011 वर्ल्ड कप के बाद ऑस्ट्रेलियाई टीम की कप्तानी छोड़ दी थी। इसके बाद माइकल क्लार्क को कप्तान बनाया गया था। कप्तानी छोड़ने के बाद पोंटिंग को माइकल क्लार्क का साथ मिला और उन्होंने पोंटिंग को टीम में बनाए रखा। उन्हें उनके अनुभव और योग्यता पर पूरा भरोसा था।
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रिकी पोंटिंग को लेकर माइकल क्लार्क का खुलासा
एक पोडकास्ट पर बातचीत के दौरान माइकल क्लार्क ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई चयनकर्ता रिकी पोंटिंग को ड्रॉप करना चाहते थे ताकि नए लीडर को एक फ्रेश माहौल मिल सके लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं होने दिया था। उन्होंने कहा,
जब मैं कप्तान बना तो फिर मैंने रिकी पोंटिंग का साथ दिया। चयनकर्ताओं ने कहा कि बहुत कम ही प्लेयर हैं जो कप्तानी छोड़ने के बाद टीम में रहते हैं। इसलिए अगर तुम कंफर्टेबल नहीं हो तो फिर रिकी पोंटिंग को टीम से बाहर जाना होगा। मैंने कहा कि मुझे रिकी पोंटिंग की जरुरत है। हमें ना केवल उनकी बैटिंग बल्कि टीम के एक कोच के तौर पर भी उनकी जरुरत है। इसलिए उन्हें टीम में बनाए रखने के लिए मैंने काफी कोशिश की। मेरे हिसाब से युवा प्लेयर्स को आगे बढ़ाने में उनका काफी योगदान रहा है। अगर वो अपनी 80 प्रतिशत क्षमता से भी बैटिंग करते तो किसी भी प्लेयर से बेहतरीन थे।
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