टीम इंडिया के ऑलराउंडर रविंद्र जडेजा ने वो समय याद किया जब राष्ट्रीय टीम से बाहर हुए थे और उन्हें बिलकुल भी अंदाजा नहीं था कि वापसी कैसे करना है। जडेजा ने टेस्ट के साथ-साथ वनडे टीम से भी अपनी जगह गंवा दी थी। करीब डेढ़ साल तक वह भारतीय टीम के अंदर-बाहर होते रहे, लेकिन प्लेइंग XI में जगह नहीं मिली।
रविंद्र जडेजा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत में कहा, 'ईमानदारी से वो डेढ़ साल में काफी ऐसा समय गुजरा जब मुझे रात भर नींद नहीं आई। उस समय मुझे याद है कि सुबह 4-5 बजे तक जागता था। मैं सोचता रहता था कि क्या करूं, कैसे वापसी करूं? मैं सो नहीं पाता था। मैं लेटा रहता था, लेकिन जागा ही रहता था।'
रविंद्र जडेजा ने आगे कहा, 'मैं टेस्ट टीम में था, लेकिन जब विदेशी दौरों पर रहे तो खेलने का मौका नहीं मिलता। मैं वनडे टीम में नहीं था। मैं घरेलू क्रिकेट भी नहीं खेल पा रहा था क्योंकि भारतीय टीम के साथ यात्रा कर रहा था। मुझे अपने आप को साबित करने के लिए कोई मौका ही नहीं मिल रहा था। मैं बस सोचता रहता था कि वापसी कैसे करूं।'
इस तरह जडेजा के लिए चीजें बदलीं
इंग्लैंड के खिलाफ 2018 में पांचवें टेस्ट ने जडेजा के लिए सबकुछ बदल दिया और उन्हें काफी विश्वास मिला। विशेषकर उस समय जब वो संघर्ष कर रहे थे और सीमित ओवर टीम से बाहर थे।
बाएं हाथ के स्पिनर अब भारतीय प्लेइंग इलेवन में पहली पसंद बन चुके हैं। बहरहाल, तब जडेजा ने नंबर-8 पर आकर 156 गेंदों में नाबाद 86 रन बनाए थे। भारतीय टीम इंग्लैंड की पहली पारी 332 के स्कोर का पीछा कर रही थी। भारत ने 160 रन पर छह विकेट गंवा दिए थे और तब जडेजा ने धुआंधार पारी खेली थी।
जडेजा की पारी के बावजूद भारत को पहली पारी में बढ़त सहन करनी पड़ी और मुकाबला 188 रन से गंवाया। टीम इंडिया को पांच मैचों की टेस्ट सीरीज में 1-4 की शिकस्त झेलनी पड़ी।
जडेजा विजेता बनकर उभरे
जडेजा ने कहा, 'उस टेस्ट ने मेरे लिए सबकुछ बदल दिया था। मेरा प्रदर्शन, विश्वास सबकुछ पूरा बदल गया। जब आप इंग्लैंड की परिस्थितियों में सर्वश्रेष्ठ गेंदबाजी आक्रमण के सामने रन बनाओ तो इससे आपके खेल पर प्रभाव पड़ता है और विश्वास में बढ़ोतरी होती है। इससे आपको महसूस होता है कि आपकी तकनीक अच्छी है और आप दुनिया में कही भी रन बना सकते हैं।' जडेजा ने अब तक 51 टेस्ट, 168 वनडे और 50 टी20 इंटरनेशनल मैच खेले हैं।