आईसीसी क्रिकेट विश्वकप 2019 अब समाप्त हो चुका है और इस टूर्नामेंट से पहले जैसा कहा जा रहा था, भारतीय टीम ने वैसा प्रदर्शन किया भी लेकिन अंतिम समय में निर्णायक मोड़ पर पहुंचकर टीम जीत हासिल करने में असफल रही। सेमीफाइनल में हार के बाद विश्वकप में उनका सफर खत्म हो गया।
भारत के टूर्नामेंट से बाहर होते ही कई तरह के सवाल खड़े होने लगे, जिसमें एक सवाल महेंद्र सिंह धोनी के संन्यास को लेकर तो दूसरा सीमित प्रारूप में भारतीय टीम की कप्तानी को लेकर था। क्रिकेट प्रशंसकों के एक बड़े वर्ग का मानना है कि सीमित प्रारूप में विराट कोहली से बेहतर कप्तानी रोहित शर्मा हो सकते हैं।
जबकि बहुत से लोगों का यह भी मानना है कि विराट कोहली को इतनी जल्दी कप्तानी से हटाना गलत फैसला साबित हो सकता है। यही नहीं इसके पीछे कई कारण भी हैं, जिन पर आज हम एक नजर डालने जा रहे हैं। जानिए क्या हैं वो मुख्य वजहें-
विश्वकप 2019 में फेल नहीं हुआ है भारत
भारतीय क्रिकेट टीम विश्वकप 2019 के लीग चरण के मुकाबलों में सबसे सफल टीम रही है, जिसने पाकिस्तान, ऑस्ट्रेलिया और साउथ अफ्रीका जैसी मजबूत टीमों को आसानी से हराया और उसे मात्र इंग्लैंड के खिलाफ हार का सामना करना पड़ा, जो कि एक मामूली अंतर से मिली हार थी। लीग चरण के मैचों में भारत ने 7 जीत के साथ अंक तालिका में सबसे ऊपर स्थान बनाया था और खिताब की प्रबल दावेदार बनी। हालांकि सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड के खिलाफ भारत की मध्य क्रम की बल्लेबाजी समस्या फिर से सामने आई लेकिन उसे पाटने का काम महेंद्र सिंह धोनी और रविंद्र जडेजा ने किया। इन दो शानदार खिलाड़ियों की बदौलत ही भारत ने सेमीफाइनल में न्यूजीलैंड को कड़ी टक्कर दी लेकिन मैच नहीं जीत सके। भारत के प्रदर्शन को देखकर यह नहीं कहा जा सकता है कि भारतीय टीम इस टूर्नामेंट में फेल साबित हुई है और इसके पीछे विराट कोहली की कप्तानी का योगदान भी अहम है।
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वनडे क्रिकेट के सफल कप्तान
विश्वकप 2019 में साउथ अफ्रीका के खिलाफ अपनी पहली जीत दर्ज करते ही विराट कोहली के खाते में एक रिकॉर्ड जुड़ गया। वह सबसे तेज 50 जीत दर्ज करने वाले पहले उपमहाद्वीपीय कप्तान और विश्व क्रिकेट में तीसरे कप्तान बन गए। कप्तान के रूप में उनकी जीत का प्रतिशत लगभग 74 प्रतिशत है, जो कि उनकी परिपक्वता को दर्शाता है। यही नहीं वह जरूरत के समय अपनी टीम की बल्लेबाजी की रीढ़ साबित हुए हैं और चेज करने में भी उन्हें महारथ हासिल है। उन्होंने अपनी बल्लेबाजी शैली को जिस तरह से ढाला है और एक सफल टीम का निर्माण किया, उसे देख यह नहीं कहा जा सकता कि वह एक असफल कप्तान साबित हुए हैं।
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इन मुद्दों की अनदेखी करना जरूरी
इस बार के विश्वकप के लिए जो भारतीय टीम चुनी गई थी, उसे लेकर काफी विवाद भी हुआ था और शायद अंबाती रायडू का संन्यास भी इसी की देन है। क्योंकि रायडू पर तरजीह देते हुए ही विजय शंकर को टीम में शामिल किया गया था लेकिन इसकी वजह से काफी विवाद भी हुआ। यही नहीं इसके अलावा चयनकर्ताओं ने मध्यक्रम में जिन बल्लेबाजों को चुना, वह असफल साबित हुए। फिर भी टीम ने काफी शानदार प्रदर्शन किया। वहीं अगर आने वाले विश्वकप 2023 की बात करें, तो उस समय कोहली की उम्र 34 साल होगी और उनके पास अनुभव भी काफी ज्यादा होगा। इसलिए इन गलतियों से सीख आगे की बेहतर तैयारी की जा सकती है।