पूर्व भारतीय (India cricket team) विकेटकीपर बल्लेबाज सबा करीम (Saba Karim) का मानना है कि घरेलू किकेट ने कई प्रारूप खेलने वाले खिलाड़ियों को तैयार करने में बड़ी भूमिका निभाई है।
सबा करीम ने ऋषभ पंत (Rishabh Pant), केएल राहुल (KL Rahul) और मयंक अग्रवाल (Mayank Agarwal) के उदाहरण दिए, जिन्होंने लाल गेंद और सफेद गेंद क्रिकेट में प्रभाव छोड़ा।
राहुल ने इंग्लैंड के खिलाफ मौजूदा टेस्ट सीरीज में कुछ अच्छी पारियां खेली और दर्शाया कि उनमें खेल के अनुरूप खुद को ढालने की क्षमता है।
शानदार शतक पोडकास्ट में बातचीत करते हुए सबा करीम ने बताया कि विराट कोहली के नेतृत्व में खिलाड़ियों में काफी आत्म-विश्वास है, जो कि पहले के दिनों में खिलाड़ियों में नहीं होता था।
सबा करीम ने कहा, 'आज, पंत, मयंक और राहुल को कई प्रारूपों का अनुभव है, जो कि उन्होंने घरेलू स्तर से हासिल किया है। यह फायदा है, जिसकी वजह से वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रदर्शन कर रहे हैं। विराट कोहली की आक्रमकता वाले नेतृत्व में भारतीय टीम का यह कल्चर बन गया है।'
करीम ने आगे कहा, 'आज हमारे पास पहले की तुलना में ज्यादा खिलाड़ी हैं, जो प्रतिभाशाली हैं। सभी खिलाड़ियों में विश्वास है कि वह किसी अन्य देश को उनके घर में मात दे सकते हैं।'
भारत से कोई देश प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता: सबा करीम
सबा करीम ने कहा कि भारत के पास गुण में इतनी गहराई है कि किसी अन्य देश के लिए कई प्रारूप वाली एकादश को मात देना मुश्किल है। करीम ने प्रकाश डाला कि कैसे भारत ने लाल गेंद में खिलाड़ियों को मौका दिया, जिन्होंने सफेद गेंद क्रिकेट में बेहतर प्रदर्शन किया।
सबा करीम का मानना है कि इंग्लैंड की टीम गुणी खिलाड़ियों को खोजने में इसलिए संघर्ष कर रही है क्योंकि वह कई-प्रारूप वाले खिलाड़ियों को मौका नहीं दे रही है।
करीम ने कहा, 'अगर हम कई प्रारूप वाले खिलाड़ियों की प्लेइंग XI बनाए तो कोई अन्य देश हमसे स्पर्धा नहीं कर सकता। कई देश आज अपने सफेद गेंद खिलाड़ियों को लाल गेंद में खेलने देने से परहेज कर रहे हैं। इंग्लैंड को अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत है। उन्हें ऐसे खिलाड़ियों को मौका देने की जरूरत है, जो किसी भी प्रारूप में बेहतर प्रदर्शन करें।' भारत और इंग्लैंड के बीच तीसरा टेस्ट 25 अगस्त से हेडिंग्ले में खेला जाएगा।