लंबे समयान्तराल के बाद भारतीय मिट्टी पर अंपायर निर्णय समीक्षा प्रणाली (डीआरएस) को लागू किया गया। भारत और इंग्लैंड के बीच राजकोट में चल रही टेस्ट सीरीज के दौरान डीआरएस को भारत में लागू किया गया। इस टेस्ट मैच में अंपायरिंग में कई बार ड्रामा देखने को मिला। मेजबान टीम भारत इस सिस्टम की जटिलताओं से परिचित नहीं था। भारत की दूसरी पारी में चेतेश्वर पुजारा को दिये गए आउट जैसे गलत फैसलों को टालने के लिए, पूर्व भारतीय कप्तान व महान खिलाड़ी सचिन तेंदुलकर ने तीसरे अंपायर को निर्णय के बारे में नहीं पूछने के बावजूद हस्तक्षेप करने की बात कही। 43 वर्षीय तेंदुलकर ने कहा “राजकोट में पुजारा के लिए दिये गए फैसले पर कुछ सवाल खड़े हुए और लोगों ने कहा कि रिप्ले में गेंद अगर लेग स्टम्प से बाहर टप्पा खाते हुए दिख रही है, तो आउट बल्लेबाज द्वारा तीसरे अंपायर को नहीं पूछने के बाद भी टीवी अंपायर को हस्तक्षेप करना चाहिए क्योंकि डीआरएस सही फैसले लेने के लिए ही उपयोग में लिया जाता है।“ पूर्व भारतीय कप्तान ने कहा “इस तरह सही फैसलों में निरंतरता बनी रहती है और तीनों अंपायर मिलकर एक टीम के रूप में काम करते हैं। पूरा सिस्टम स्थिरता बनाने के लिए लागू किया गया है और हम यह प्राप्त करते हैं तो हमारे लक्ष्यों तक पहुँच सकते हैं।“ डीआरएस को स्थायी तौर पर लागू करने के सवाल पर तेंदुलकर ने कहा “अगर बीसीसीआई ने इसका अध्ययन किया है, वे इस पर पूर्णतया यकीन करते हैं तो क्यों नहीं। मैं समझता हूँ कि यह एक सकारात्मक कदम है। विश्व में सब जगह चीजों में निरन्तरता की आवश्यकता थी, कहीं स्निको मीटर था तो कहीं हॉटस्पॉट।“ पूर्व मास्टर ब्लास्टर ने कहा “कहीं कोई एकरूपता नहीं थी। जब आप टेस्ट क्रिकेट खेलते हो तो आपको विश्व में सब जगह चीजों को प्रमाणित करना होता है, जब निर्णय समीक्षा प्रणाली क्रिकेट में अच्छा हिस्सा बन गया है, तो इसे विश्व में सभी जगहों पर लागू करना चाहिए। इसलिए जब भी आप कोई भी मैच खेल रहें हों तो उपलब्ध तकनीक के आधार पर आप सुनिश्चित रह सकें।“ गौरतलब है कि राजकोट में चेतेश्वर पुजारा को पहली पारी में आउट देने के बाद डीआरएस में नॉट आउट दिया गया, जबकि दूसरी पारी में भी नॉट आउट होने पर पुजारा बिना रिव्यू के ही चले गए थे।