हर क्रिकेटर का सपना होता है कि वह अपने करियर में खेल के शिखर तक जाए और अपने शानदार प्रदर्शन और रिकॉर्ड्स के बल पर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवा दे। यही कारण है कि कोई भी क्रिकेटर अपने देश के लिए हमेशा अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करता है। कुछ क्रिकेटर अपने पूरे करियर में शानदार प्रदर्शन करते हैं और कुछ इस प्रदर्शन को नियमित नहीं रख पाते।
शानदार प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ियों को हर मैच में मैन ऑफ द मैच और पूरी सीरीज में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाड़ी को मैन ऑफ द सीरीज चुना जाता है, जो कि उस खिलाड़ी के लिए सुनहरी याद के लिए होता है। हालांकि यह उपलब्धियां अगर विश्वकप जैसे बड़े टूर्नामेंट में अर्जित की गई हों, तब तो इसका महत्व काफी ज्यादा हो जाता है।
अक्सर यह देखा जाता है कि विश्वकप जीतने वाली टीम के ही किसी खिलाड़ी को मैन ऑफ द टूर्नामेंट चुना जाता है, क्योंकि वह टीम उसी खिलाड़ी के बल पर पूरे टूर्नामेंट में बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए खिताब जीतती है। हालांकि विश्वकप के इतिहास में तीन मौके ऐसे भी आए हैं, जब मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब विश्वकप जीतने वाली टीम के खिलाड़ी को नहीं मिला, बल्कि यह टूर्नामेंट से बाहर होने वाली किसी टीम के खिलाड़ी को मिला।
आज हम आपको 3 ऐसे ही शानदार खिलाड़ियों के बारे में बताने जा रहे हैं, जिन्होंने विश्वकप खिताब जीतने वाली टीम का हिस्सा न रहते हुए भी टूर्नामेंट में मैन ऑफ द सीरीज का खिताब अपने नाम किया, जानिए कौन हैं वो 3 खिलाड़ी-
मार्टिन क्रो- 1992
1992 के विश्वकप में पहला ऐसा मौका आया, जब मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब एक ऐसे खिलाड़ी को दिया गया, जो कि विनिंग टीम का हिस्सा नहीं था, बल्कि किसी और टीम का खिलाड़ी था। हम बात कर रहे हैं न्यूजीलैंड के पूर्व कप्तान मार्टिन क्रो की। जिन्होंने 1992 के विश्वकप में शानदार प्रदर्शन किया था। उन्होंने पूरे टूर्नामेंट में 456 रन बनाए थे, जिसके बल पर न्यूजीलैंड उस टूर्नामेंट मे सेमीफाइनल तक पहुंची थी।
अपने 13 साल लंबे क्रिकेट करियर में क्रो ने बेहतरीन प्रदर्शन किया। उन्होंने 1992 में अपनी टीम की ओर से सबसे बेहतरीन प्रदर्शन किया था। जिसकी वजह से कीवी टीम उस टूर्नामेंट के सेमीफाइनल तक पहुंची, हालांकि फाइनल खिताब जीतने में नाकाम रही। क्रो को उनके इस शानदार प्रदर्शन के लिए ही टूर्नामेंट के अंत में मैन ऑफ द सीरीज का खिताब दिया गया।
लांस क्लूजनर - 1999
1992 के बाद 1999 के क्रिकेट विश्वकप में भी एक ऐसे खिलाड़ी को मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब प्रदान किया गया, जो कि उस विश्वकप की विनिंग टीम का हिस्सा नहीं था। 1999 में मैन ऑफ द टूर्नामेंट का खिताब दक्षिण अफ्रीका के शानदार खिलाड़ी लांस क्लूजनर को प्रदान किया गया था।
उस टूर्नामेंट में लांस क्लूजनर ने साउथ अफ्रीका की ओर से शानदार बल्लेबाजी के साथ ही गेंदबाजी में भी बेहतरीन प्रदर्शन दिखाया था। उन्होंने उस विश्वकप में 281 रन बनाने के साथ ही 17 विकेट भी झटके थे। यही नहीं उनके शॉट इतने जबरदस्त होते थे कि गेंद स्टेडियम के बाहर पहुंच जाती थी, क्लूजनर की इस प्रतिभा ने क्रिकेट प्रशंसकों और अन्य खिलाड़ियों समेत सभी को काफी प्रभावित करने का काम किया।
सचिन तेंदुलकर - 2003
तीसरा मौका था 2003 के विश्वकप का, जब ऑस्ट्रेलिया के विश्वकप खिताब जीतने के बावजूद भारत के मास्टर ब्लास्टर सचिन तेंदुलकर को मैन ऑफ द टूर्नामेंट के खिताब से नवाजा गया। इस टूर्नामेंट में भारत ने मास्टर ब्लास्टर सचिन के बल पर ही टूर्नामेंट में शानदार प्रदर्शन किया था। जबकि सचिन ने शानदार बल्लेबीज का नजारा पेश करते हुए उस विश्वकप में रनों की बारिश कर दी और पूरे टूर्नामेंट में कुल 673 रन बनाए।
इतने ज्यादा रनों के लिहाज से यह किसी भी एक खिलाड़ी के लिए सबसे शानदार विश्वकप रहा था। यही नहीं सचिन ने उस टूर्नामेंट में 2 विकेट भी अपने नाम किए थे, जो शायद बहुत कम लोगों को पता होगा। सचिन हमेशा से ही भारत की ओर से शानदार प्रदर्शन करते आए हैं लेकिन उस विश्वकप में इस शानदार प्रदर्शन के लिए उन्हें टूर्नामेंट के अंत में मैन ऑफ द सीरीज का खिताब दिया गया।