अनेक कारण हैं, जो फुटबॉल को सबसे लोकप्रिय खेल बनाते है। अगर हम उन कारणों की लिस्ट बनाये तो शायद वो कभी ख़त्म ही न हो।फीफा की स्थापना के बाद से, इस खेल ने प्रशंसकों को खुशी के साथ-साथ कई दुख के क्षण भी दिए हैं। कोलकाता में रहने वाले, कई कारणों से फुटबॉल की तरफ आकर्षित होते हैं। हर लेन में प्रचलित, महान फुटबॉल संस्कृति के अलावा जब बात विश्व फुटबॉल के प्रति प्रेम की आती है, तब कोलकाता को मिनी साउथ अमेरिका भी कहा जा सकता है।
युवा पीढ़ी को छोड़कर जिन्होंने नई सहस्राब्दी की शुरुआत के बाद फुटबॉल देखना शुरू किया, कोलकाता दो गुटों मे बटा हुआ हैं, अर्जेंटीना और ब्राज़ील। जहां अर्जेंटीना ने डिएगो माराडोना जैसे महान खिलाड़ी को विकसित किया तो वही सदियों से साम्बा फुटबॉल के आकर्षण ने कोलकाता को ब्राज़ील की तरफ आकर्षित किया।
कोलकाता तो बस एक उदहारण है। ब्राज़ील इस लोकप्रिय खेल के कई बेहतरीन पलो के पीछे का कारण रहा है। भले ही उनका स्तर हाल के समय मे गिरा हो लेकिन विश्व मे उनकी लोकप्रियता मे कोई कमी नहीं आई है। इसका कारण यह है कि वह लगातार विश्व के सामने शानदार खिलाड़ियों को प्रस्तुत करने में सक्षम रहे हैं।
यहाँ हम शीर्ष 10 खिलाड़ियों पर एक नज़र डालेंगे जिन्होंने उस प्रतिष्ठित पिली जर्सी को पहना: 10.जैरज़िन्हो'द हरिकेन' के नाम से दुनिया भर में मशहूर जैरज़िन्हो ने 1970 में ब्राजील की राष्ट्रीय टीम के सुनहरे दिनों के दौरान राइट फ्लेंक से हर डिफेंडर के मन में खौफ पैदा किया । 1970 के विश्व कप में खेलने वाली वह ब्राज़ील की टीम सबसे महान अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल टीमों में से एक मानी जाती है ।
जैरज़िन्हो उस टीम का महत्वपूर्ण हिस्सा थे और उन्होंने उस टूर्नामेंट के हर मैच में ब्राज़ील की तरफ से गोल मार कर एक नया रिकॉर्ड भी स्थापित किया। यह अनोखा रिकॉर्ड उन्होंने अल्सिदेस घिग्गिया से साथ साझा किया। 20 वीं शताब्दी के 100 महानतम खिलाड़ियों की सूची में विश्व फुटबॉल पत्रिका ने उन्हें 27 वां स्थान दिया। अपने बचपन में उन्होंने गैरिंका को अपना आदर्श माना। वह कई मायनों में राष्ट्रीय और बोटाफोगो की टीम मे गैरिंका की जगह लेने के हकदार थे। उन्होंने अपना प्रोफेशनल डेब्यू 15 साल की आयु में स्ट्राइकर के रूप में किया। उनके आदर्श गैरिंका उस समय बोटाफोगो की टीम मे राइट विंग से कमाल कर रहे थे तो जैरज़िन्हो को मजबूरन स्ट्राइकर के रूप में खेलना पड़ा। लेकिन गैरिंका के जाने के बाद अपनी स्पीड और बॉल कंट्रोल के कारण जैरज़िन्हो ने हर टीम की डिफेन्स को नष्ट कर दिया। जैरज़िन्हो ब्राज़ील की टीम में पेले के लिए एक सप्लाई लाइन के रूप में काम करते थे और उनकी स्पीड ने 1970 के विश्व कप में ब्राज़ील की जीत मे काफी अहम भूमिका निभाई। 9.रोनाल्डिन्हो कइयो के लिए 2005 से 2008 तक का वह समय था, जब रोनाल्डिन्हो फुटबॉल के किंग थे। वह पिच पर कुछ भी गलत नही करते थे। इस दौरान पूरी दुनिया उनके कदमो में थी, अद्भुत बॉल कंट्रोल और ड्रिबलिंग के कारण उन्होंने बार्सिलोना के लिए शानदार प्रदर्शन किया। हलाकि ब्राज़ील के लिए उनका प्रदर्शन बार्सिलोना जितना अच्छा नहीं रहा इसलिए वह हमारी सूचि में आठवें स्थान पर है। रोनाल्डिन्हो उस वक़्त चर्चा में आये जब ब्राज़ील ने 2002 का विश्व कप जीता। आखिरी टीम जो साम्बा फुटबॉल के आदर्शों पे खेली, उस टीम में रिवाल्डो, जुनिन्हो, रोनाल्डो और रोनाल्डिन्हो जैसे खिलाडी थे। जिन्होंने ब्राज़ील को ट्राफी दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बाकी खिलाडियों की तुलना मे रोनाल्डिन्हो उस समय कम प्रसिद्ध थे और टूर्नामेंट के शुरुआत में उतने प्रभावशाली भी नहीं रहे। क्वार्टर फाइनल मे इंग्लैंड के गोलकीपर डेविड सीमन को छकाते हुए उन्होंने फ्रीकिक से गोल मारा और उसके बाद से फिर उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उन्हें सिर्फ 2006 विश्व कप में ख़राब प्रदर्शन का खेद रहेगा। 8.रिवेलिनो रियाद महरेज़ ने पिछले साल अच्छे प्रदर्शन के बाद प्रीमियर लीग का बैस्ट प्लेयर ऑफ़ द इयर ख़िताब जीता जिसका इलास्टिको ड्रिबलींग मूव एक अभिन्न हिस्सा रहा। हलाकि, महरेज़ से बहुत पहले रिवेलिनो इस मूव के किंग थे और डिफेंडर्स को छकाने में इसका बखूबी इस्तमाल करते थे। रिवेलिनो के माता पिता इटली से थे जो फासिस्ट मुसोलिनी के शासनकाल के दौरान ब्राज़ील आ गए, उनका बचपन काफी गरीबी में गुजरा। ब्राज़ील के परिवेश में ढलने के लिए फुटबॉल उनके पास एक मात्र जरिया था। 1970 में रिवेलिनो ब्राज़ील की उस महान टीम में सेट पीस विशेषज्ञ थे। फ्री किक में घातक सटीकता होने के साथ-साथ वह लॉन्ग रेंज शूटिंग, पासिंग और क्लोज कंट्रोल के लिए भी विख्यात थे। 7.कार्लोस अल्बर्टो इस सूची में एक और खिलाडी उस टीम का हिस्सा थे जो 1970 विश्व कप में खेली थी, कार्लोस अल्बर्टो उस टीम के कप्तान थे। राइट बैक पर खेलने के बावजूद जो उस समय उतनी आकर्षक पॉजीशन नही मानी जाती थी, कार्लोस अल्बर्टो अपना नाम सर्वकालिक महान डिफेंडर्स में शामिल करने में कामयाब हुए। वह अटैकिंग फुल बैक रोल के मार्ग - निर्माता माने जाते है। अल्बर्टो का पल 1970 के विश्व कप के फाइनल में आया। ब्राजील 3 गोल दाग चुकी थी और आराम से जूल्स रिमेट ट्रॉफी की ओर बढ़ रही थी।एक मूव बना जिसमे सभी 11 खिलाडी शामिल थे, ब्राज़ील इटली के साथ आसानी से खेल रही थी जिसमे पेले और टोसटाओ महत्वपूर्ण भूमिका में थे। कुछ पास के बाद पेले के बेहतरीन खेल की बदौलत बॉल पेनल्टी बॉक्स के राईट में जा पहुंची। कार्लोस अल्बर्टो राइट बैक से भागते हुए आये और बॉल को सीधा गोल के अंदर पहुचा दिया। उन्हें यूएस सॉकर हॉल ऑफ़ फेम में भी जगह मिली और पेले द्वारा बनायीं गयी 100 सर्वश्रेस्ट खिलाडियों की सूची में भी थे। 6. रॉबर्टो कार्लोस हमारी सूची में दूसरे डिफेंडर, रॉबर्टो कार्लोस की महानता का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि जब वह रियल मेड्रिड से खेलते थे तब उनकी टीम ने कोई बैकअप लेफ्टबैक रखा ही नहीं। वह बहुत कम ही चोटिल होते थे और एक सीजन में कम से कम 50 मैच खेलते थे जो आधुनिक फुटबॉल में बहुत ही कम देखने को मिलता है। रॉबर्टो कार्लोस पॉवरफुल लेफ्ट लेग के लिए विश्व भर में जाने जाते थे और किसी भी गोलकीपर को बीट करने की काबिलियत रखते थे। उन्होंने फुटबॉल के नॉर्मल लॉ ऑफ़ फिजिक्स को फ़ेल कर दिया था और उनके शॉट्स गोलकीपर के लिए किसी बुरे सपने से कम नही थे। कोई भी फुटबॉल प्रेमी फ्रांस के खिलाफ किये गए उनके फ्री किक गोल को नहीं भूल सकता। 1998 का विश्व कप हारने के बाद, ब्राज़ील प्रतिशोध लेने के लिए बेचैन थी। रॉबर्टो कार्लोस की बेहतरीन परफॉरमेंस उस फ्री किक के साथ समाप्त हुई जिसने फ्रांस के गोलकीपर फेबियन बार्थेज़ को चौंका दिया। कार्लोस ने वह शॉट काफी दूर से मारा था लेकिन उसके पीछे काफी ताकत होने के कारण बॉल फार पोस्ट से गोल के अंदर चली गयी। उनकी टैकलिंग और सटीक क्रोसिंग ने उन्हें 2002 विश्व कप टीम का अहम हिस्सा बनाया। 5.रोनाल्डो नाज़ारियो डी लीमा जिन लोगों ने नब्बे के दशक के अंत में फुटबॉल देखना शुरू किया और ब्राज़ील का अपना समर्थन दिया, उसका केवल एक कारण था रोनाल्डो नाज़ारियो डी लीमा। वह आधुनिक समय में साम्बा फुटबॉल के समर्थक थे और विश्व के सबसे धातक फिनिशरों में से एक थे। 'एल फेनोमेनन' के पास सब कुछ था पेस, पॉवर, स्किल्स और दोनों पैरो से घातक फिनिशिंग की योग्यता। वह उन कुछ चुनिन्दा खिलाडियों में से है जो कट्टर प्रतिद्वंदी क्लब्स रियल मेड्रिड और बार्सिलोना, इंटरनज़िओनले और एसी मिलान के लिए खेले और दोनों तरफ के प्रशंसकों से बराबर वाह-वाही लूटी। रोनाल्डो 1994 में लाइमलाइट में आये जब उन्होंने 17 साल की उम्र में ब्राज़ील के साथ विश्व कप जीता। उन्होंने अपना प्रोफेशनल डेब्यू एक साल पहले क्रुजेरियो क्लब के लिए किया था। उन्होंने क्रुजेरियो से खेलते हुए कोपा दो ब्राजील टाइटल भी जीता, रोनाल्डो ने 47 मैचों में 44 गोल किए, जिसमे उन्होंने बाहिया के खिलाफ एक मैच में पांच गोल भी शामिल हैं।
1998 के विश्व कप में रोनाल्डो एक प्रमुख भूमिका में थे, वो ब्राज़ील की अग्रिम्पंक्ति की अगुआई कर रहे थे। उनके प्रदर्शन ने उनके विरोधियों को अचंभित और प्रशंसको को मोहित कर दिया। उन्होंने गोल्डन बूट अवार्ड भी जीता और फाइनल में जर्मनी के खिलाफ दो गोल करके इतिहास के पन्नो में अमर हो गए।
रोनाल्डो एक विश्व कप विजेता और एक महान खलाड़ी के रूप में रिटायर हुए।
यह खिलाड़ी 1982 की ड्रीम टीम में से है, फाइनल थर्ड में बेजोड़ विज़न और पासिंग के कारण ज़ीको हमारी इस सूची में जगह बनाने में कामयाब रहे। 1982 में ब्राज़ील की टीम के पास टैलेंटेड खिलाडियों की कमी नहीं थी लेकिन वह विश्व कप नहीं जीत पाए।
कप्तान सोक्रेटस के साथ मिडफील्ड में उन्होंने अहम पार्टनरशिप बनाई और उनके अंदर साउथ अमेरिकन फुटबॉलर के सभी गुण थे।
1999 में फीफा प्लेयर ऑफ़ द सेंचुरी ग्रैंड जूरी वोट में उन्हें आठवां स्थान मिला। उन्होंने ब्राज़ील के लिए 71 मैचों में 48 गोल किये। तीन विश्व कप में खेलने के बावजूद वह ट्राफी नहीं उठा पाए जिस वजह से वह उन महान खिलाडियों में गिने जाते है जो विश्व कप नहीं जीत पाए।
एक डॉक्टर जो पूरी पीढ़ी के लिए एक आइकन बन गया, सोक्रेटस अपनी कप्तानी और कौशल के कारण तीसरे पायदान पर आते है। अपनी मूछों और हेडबैंड के कारण वह पिच पर आसानी से पहचाने जा सकते थे। मेडिसिन में डिग्री होने के कारण उन्हें डॉक्टर के नाम से जाना जाता था। वह उस समय के चार महान मिडफील्डर्स में से एक थे जो किसी भी डिफेन्स को भेद सकते थे।
1982 के विश्व कप में वो ब्राज़ील के पोस्टर बॉय थे और एक महान ब्राज़ील टीम के कप्तान भी थे। ग्रुप स्टेज और पहले दौर को आसानी से पार करने के बाद दुसरे दौर में इटली के विरुद्ध उनकी टीम लडखडाई और उन्हें 3-2 से हार का सामना करना पड़ा। हालांकि सोक्रेट्स ने गोल मार कर अपनी टीम को 1 -1 की बराबरी जरुर दिलाई लेकिन वह पाओलो रॉसी की हैट्रिक के सामने फीकी साबित हुई।
सोक्रेटस आखिरी बार 50 वर्षीय खिलाड़ी-प्रबंधक के रूप में गर्फोर्थ टाउन के लिए इंग्लैंड में दिखे।
जब पेले फुटबॉल के लिए एक वैश्विक राजदूत के रूप में जाने जाते थे और दुनिया भर में महान खिलाडी रूप में माने जाते थे, उस समय उनके एक साथी खिलाडी को घर में उनसे ज्यादा पसंद किया जाता था। माने गैरिंका ने अपना डेब्यू पेले के साथ 1958 विश्व कप में रूस के खिलाफ किया और जल्द ही विश्व भर में एक शानदार ड्रिबलर के रूप में प्रसिद्ध हो गए।
जब पेले और गैरिंका साथ खेले, तब कभी भी ब्राज़ील कोई मैच नहीं हारा। जहां पेले मुख्य गोल स्कोरर की भूमिका निभाते थे, वहीं गैरिंका विरोधी टीम की डिफेन्स को ध्वस्त करके उन्हें असिस्ट देने का काम करते थे। विरोधी टीमों में उनका कॉफ़ इस कदर था की उन पर तीन मार्कर्स तक लगा दिए जाते थे।
शारीरिक विकृति के साथ जन्म लेने गैरिंका कई सारे बड़े क्लबों द्वारा ठुकरा दिए गए लेकिन अंत में उन्हें बोटाफोगो से ऑफर आया। शराब के कारण उन्होंने खेल के महत्वपूर्ण पलो को खो दिया, उनकी यादे अभी भी ब्राज़ील के फुटबॉल प्रेमियों के आँखों में आंसू ले आते हैं।
1.पेलेवे ब्राजील के सभी फुटबॉल खिलाड़ी के में सबसे अधिक पहचाने जाने वाला चेहरा है, पेले 1958 से ब्राजीलियन फुटबॉल के लिए एक आइकॉन रहे है। इस बात पर हमेशा बहस होती है कि पेले और माराडोना में से कौन बेहतर है, लेकिन पेले एक महान खिलाडी है इसमें कोई शक नहीं है।
फुटबॉलर होने के अलावा अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने उन्हें सदी के एथलीट के ख़िताब से भी नवाज़ा। नंबर्स भले ही पूरी सच्चाई न दर्शाते हो लेकिन वह एक परिप्रेक्ष्य जरूर प्रदान करते है। पेले ने लीग में 541 गोल मारे है जो उन्हें अब तक का सबसे सफल गोलस्कोरर बनाता है। अगर टूर गेम्स और अनौपचारिक फ्रेंडलिज को मिला दे उन्होंने अपने पुरे करियर में 1363 मैचों में 1281 गोल किये, जो कि एक और विश्व रिकॉर्ड है।
पेले ने अपना डेब्यू 16 की उम्र में 1958 विश्व कप में रूस के खिलाफ किया। पेले ने ब्राज़ील के 5 में से तीन विश्व कप 1958, 1962 और 1970 की जीत में अहम भूमिका निभाई।