जिन लोगों ने नब्बे के दशक के अंत में फुटबॉल देखना शुरू किया और ब्राज़ील का अपना समर्थन दिया, उसका केवल एक कारण था रोनाल्डो नाज़ारियो डी लीमा। वह आधुनिक समय में साम्बा फुटबॉल के समर्थक थे और विश्व के सबसे धातक फिनिशरों में से एक थे। 'एल फेनोमेनन' के पास सब कुछ था पेस, पॉवर, स्किल्स और दोनों पैरो से घातक फिनिशिंग की योग्यता। वह उन कुछ चुनिन्दा खिलाडियों में से है जो कट्टर प्रतिद्वंदी क्लब्स रियल मेड्रिड और बार्सिलोना, इंटरनज़िओनले और एसी मिलान के लिए खेले और दोनों तरफ के प्रशंसकों से बराबर वाह-वाही लूटी। रोनाल्डो 1994 में लाइमलाइट में आये जब उन्होंने 17 साल की उम्र में ब्राज़ील के साथ विश्व कप जीता। उन्होंने अपना प्रोफेशनल डेब्यू एक साल पहले क्रुजेरियो क्लब के लिए किया था। उन्होंने क्रुजेरियो से खेलते हुए कोपा दो ब्राजील टाइटल भी जीता, रोनाल्डो ने 47 मैचों में 44 गोल किए, जिसमे उन्होंने बाहिया के खिलाफ एक मैच में पांच गोल भी शामिल हैं।
1998 के विश्व कप में रोनाल्डो एक प्रमुख भूमिका में थे, वो ब्राज़ील की अग्रिम्पंक्ति की अगुआई कर रहे थे। उनके प्रदर्शन ने उनके विरोधियों को अचंभित और प्रशंसको को मोहित कर दिया। उन्होंने गोल्डन बूट अवार्ड भी जीता और फाइनल में जर्मनी के खिलाफ दो गोल करके इतिहास के पन्नो में अमर हो गए।
रोनाल्डो एक विश्व कप विजेता और एक महान खलाड़ी के रूप में रिटायर हुए।