अपने समय के महान स्ट्राइकर प्रमोद कुमार बैनर्जी निश्चित तौर पर भारतीय फुटबॉल इतिहास के बेहतरीन खिलाड़ियों में शुमार हैं। बैनर्जी ने पीटर थंगराज के साथ 1955 ढाका में चार देशों के टूर्नामेंट से अपना अंतर्राष्ट्रीय कैरियर शुरु किया। बैनर्जी 1962 की एशियन गेम्स विजेता भारतीय टीम का हिस्सा रहे जहां उनहोंने जापान , साउथ कोरिया और थाईलैंड़ जैसी टीमों के खिलाफ गोल दागे। बंगाल के जलपाईगुड़ी होते हुए पहले बैनर्जी ने आर्यन क्लब और फिर पश्चिमी रेलवे के लिए बतौर कप्तान खेले। 1960 के समर ओलंपिक रोम में वे भारत के कप्तान बने, जहां उन्होंने फ्रांस के सामने क्वालिफायर मुकाबले में गोल दागकर 1-1 से मैच ड्रॉ कराया। बैनर्जी ने क्वालालंपुर मरडेका कप में भारत का तीन बार प्रतिनिधित्व किया, जहां भारत 1959 और 1964 सिलवर मेडल जीता और 1965 में ब्रोंज मेडल अपने नाम किया । हालांकि इस बात का कोई ऑफिसियल रिकॉर्ड पर बैनर्जी ने अपने कैरियर के 84 मैचों में 60 गोल किये। फीफा ने इस महान खिलाड़ी को 20वी सदी का भारतीय खिलाड़ी फुटबॉलर घोषित किया। बैनर्जी एकलौते ऐसे एशियाई फुटबॉलर हैं जिन्हें 2004 में 'FIFA centennial order of merit' और अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा फेयर प्ले पुरस्कार से सम्मानित किया गया । बैनर्जी ने कोचिंग में भी पूर्वी बंगाल , मोहन बगान और भारतीय टीम को भी अपनी सफल सेवाएं दी, इसके आलावा बैनर्जी को पीके के नाम से भी जाना जाता था।