इंडियन सुपर लीग अपने आने वाले सीजन से पहले कुछ बड़े बदलाव कर खुद को एक नया रूप देने की तैयारी में है। लीग के आगामी सीजन में दो नई टीमें शामिल होने वाली है। इन्हें मिलाकर लीग में टीमों की संख्या 10 हो जाएगी। कुछ समय पहले बेंगलुरू एफसी और टाटा स्टील के स्वामित्व वाली टीम ने घोषणा की थी कि वह आईएसएल में बोली की प्रक्रिया के माध्यम से नए सिरे से प्रवेश लेंगी। दो नई टीमों के शामिल होने से लीग में मैचों की संख्या में बढोत्तरी होगी साथ ही खेल में नया उत्साह और रोमांस आएगा। टीमों की सख्या बढ़ने से लीग को कई बदलावो से गुजरना पढ़ेगा और 2017-18 के सीजन मे एक नवीनता देखने का मिलेगी। टीमों की संख्या बढ़ने से मैचों की संख्या बढ़ेंगी यह एक फुटबॉल प्रशंसक के लिए खुशी की बात होगी कि आईएसएल में दो नई टीमों के आने से अगले सीजन में 34 अधिक मैच खेले जाएंगे। सेमीफाइन और फाइनल में पहुंचने से पहले सभी दस टीमों को अपने लीक मैचो के लिए निर्धारित कार्यक्रम से ज्यादा समय लगेगा। इसके चलते 2017-18 में लीग 3 महिने की बजाय 5 महिने तक चलेगी। उम्मीद है कि लीग को मिल रहे दर्शक और फुटबॉल प्रेमियों के प्यार को देखते हुए आईसीएल का 2018-19 सीजन 7 महिने का हो सकता है। नई प्रतिद्वंदिता देखने मिल सकती है। आईएसएल के तीन साल होने के बाद भी अब तक इसमें कोई प्रतिद्वंदि आकार नहीं ले पाए हैं। हालांकि आईसीएल-2 में प्रतिद्वंदिता जिको एफसी गोवा और मार्को माटेरेजी चेन्नईयन एफसी के बीच देखने को मिली थी, लेकिन अब उनके बीच सब खत्म सा लगता है। क्योंकि दोनों के प्रबंधक उनके साथ नहीं है और क्लब उथल-पुथल के दौर से गुजर रहे हैं। लेकिन बेंगलुरू एफसी के शामिल होने से, केरल ब्लास्टर्स और चेन्नईयन के बीच चल रहे दक्षिण भारतीय प्रभुत्तव और टकराव को एक नया प्रतिद्वंदी मिलने से कई रोमांचक मुकाबले देखने को मिल सकते हैं। साथ ही महाराष्ट्र में अपने वर्चस्व के लिए मुबंई सिटी और पुणे के बीच कड़े मुकाबले देखने को मिलेंगे। लीग में नए क्लबों के शामिल होने से आईसीएल के मुकाबलों में नया बदलाव आने की उम्मीद है। अधिक भारतीय खिलाड़ी खेलते हुए दिखेंगे आईएसएल में टीमों को अधिक भारतीय खिलाड़ियों को क्लबों में रखने के लिए प्रोत्साहित किया गया है। इसमें यह देखना होगा कि नए नियम के कारण गुणवत्तापूर्ण खिलाड़ी उपलब्ध होते है या नहीं। नए नियम के मुताबिक प्रत्येक क्लब अगले सत्र में 17 भारतीय खिलाड़ियों के साथ अनुबंध कर सकता है। पहले के नियम में 14 भारतीय खिलाड़ियों की अनुमति थी। इसके अलावा, अधिक स्तर के खेल मैदान के लिए अनुमति देने के लिए क्लब अगले सीजन में केवल दो भारतीय खिलाडियों को रख सकते हैं जिससे लीग में कर्मचारियों के व्यापक फेरबदल होने की संभावना है। कम विदेशी खिलाड़ी होंगे, मार्की खिलाड़ी को खत्म किया गया आईएसएल के एक नए नियम के मुताबिक विभिन्न क्लबों में खेलने वाले विदेशी खिलाड़ियों की संख्या के नियम में परिवर्तन किया गया है। अगले सत्र में छह विदेशी खिलाड़ियों की जगह प्रत्येक क्लब अब अपने ग्यारह में केबल पांच विदेशी खिलाड़ियों को रख सकते हैं। इस बदलाव से भारतीय खिलाड़ियों को काफी सहायता मिलेगी जिससे नई प्रतिभाएं सामने आएंगी। इसके अलावा, मार्की खिलाड़ी अधिग्रहण को अब वैकल्पिक बनाया गया है। फिर भी क्लब चाहें तो अभी भी एक मार्की प्लेयर को रख सकते हैं, लेकिन आईएसएल में उनकी मजदूरी वेतन कैप का हिस्सा नहीं होगी।एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन कप में मिलेगी जगह आईएसएल के अगले सीजन को एशियन फुटबॉल कॉन्फेडरेशन कप (एएफसी) में जगह मिल सकती है। ऐंसा होने पर भारतीय लीग को ज्यादा आर्थिक मदद और पैसा मिलेगा जिससे खेल में सुविधाओं को बढाया जा सकेगा। आईएसएल क्लब एएफसी में स्ठान पाने के लिए लड़ रहे हैं। क्योंकि कोई भी क्लब चाहे कितना ही बड़ा हो या छोटा उसके लिए, एक महाद्वीपीय प्रतियोगिता में स्थान पाना हमेशा ही प्रतिष्ठा का विषय होता है। सभी जानते हैं कि आईएसएल क्लब अपने समकक्ष आई-लीग क्लबों की तुलना में ज्यादा सक्षम है। आईएसएल कलबों के एएफसी प्रतियोगिताओं में खेलने का फायदा भारत को भविष्य में एएफसी सदस्य संघ की रैंकिग में मिलेगा। क्योंकि वर्तमान में भारत एएफसी एमए रैंकिंग में 15 वे स्थान पर है। भारतीय क्लबों के एएफसी में खेलने से भारत की रैंकिंग में इजाफा होगा। लेखक: अभिजीत भराली अनुवादक: आशुतोष शर्मा