इंडियन सुपर लीग के तीसरे सीज़न में अब तक चमके ये पांच सितारे

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इंडियन सुपर लीग का ये सीज़न बड़ा, बेहतर और सुनियोजित रहा है। अगर आप हमपर विश्वास न कर सकें तो खुद इस विश्व विजेता से सुने । Gianluca Zambrotta के शब्दों में "भारत जल्द ही अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल के लिए एक बड़ा गंतव्य होगा। इंडियन सुपर लीग में प्रतिस्पर्धा और भारतीय खिलाड़ियों की गुणवत्ता के स्तर को देखते हुए, मुझे यकीन है कि यह अगले दशक में दुनिया की शीर्ष पांच फुटबॉल लीग में शामिल होगा " टीम एफर्ट तो ज़बरदस्त रहा ही, उससे बेहतर बात ये हुई कि इस सीज़न कुछ शानदार व्यक्तिगत प्रदर्शन देखने को मिले। हम आपके लिए लेकर आये हैं उस 5 बेहतरीन खिलाड़ियों की लिस्ट जिन्होंने इस साल ISL में सबसे प्रभावशाली प्रदर्शन किया है।


1. एमीलियानो अल्फारो

ये 'दूसरा' उरुग्वे खिलाड़ी जब भारत आया, तब इसे कोई नहीं जानता था पर शुरुआती चार मैचों में ही अपने प्रदर्शन से इसने पूरे नार्थ इंडियन को अपना फैन बना लिया।

लीग के हाइयेस्ट रेटेड स्ट्राइकर अल्फारो के खेल ने उन्हें इस सीज़न 7.59 की औसत रेटिंग दिलाई है। जिसे फुटबाल में 'मिडफील्डर्स ड्रीम' कहा जाता है, वो हैं अल्फारो। वो न सिर्फ प्रतिभावान हैं पर प्रतिबद्ध भी है और एक खतरनाक फिनिशर हैं और इस सीज़न जो उन्होंने 3 गोल्स मारे हैं वो इस बात का प्रत्यक्ष सबूत हैं। गोलकीपर को उत्तेजित कर गलती करने पर मजबूर करना हो, गोलकीपर के पैरों के बीच तक लाकर फिनिश करना हो या बॉक्स में मिले एक लकी डिफ्लेक्शन को स्कोर करने में इस्तेमाल करना हो, अल्फारो में एक स्टार खिलाड़ी के सारे गुण हैं। एक खिलाड़ी कम होने के बावजूद निकोलस वेलेज़ के साथ उनकी टेलीपैथी और दमदार खेल ने पुणे के डिफेंस को आतंकित कर रखा था। और हाँ! आप अपने हीरोज उनके सेलिब्रेशन के स्टाइल से भी चुन लेते हैं तो जनाब! आपको देखना चाहिए अल्फारो का सेलिब्रेशन! 2. मेटियास डेफेडेरिको

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अर्जेंटीना का ये खिलाड़ी इस सीज़न खुल के सामने आया। सबकी नज़रें डीगो फोर्लन पर टिकी थीं पर जैसे ही मुंबई ने अपने अभियान की शुरुआत की, डेफेडेरिको ने अपने खेल से पूरा महकमा लूट लिया। डेफेडेरिको उन गिने-चुने खिलाड़ियों में से एक हैं जो न सिर्फ ज़रुरत पड़ने पर अपने खेल का स्तर बढाते हैं, बल्कि अपने साथी खिलाड़ियों को भी अपने खेल के स्तर को ऊपर उठाने पर मजबूर करते हैं, विश्वास न हो तो Boithang Haokip से पूछिए । एटलेटिको डी कोलकाता के खिलाफ मैच में, डेफेडेरिको के गोल ने मुंबई की टीम में उनकी महत्ता एकदम साफ़ समझा दी। उन्होंने बॉल का मूवमेंट शुरू किया, दिखाया कि बॉल को कैसे आगे बढ़ना चाहिए और उसको उसका अंत दिखाया! पहले टच से उन्होने बॉल को भारतीय मूल के अंतररास्ट्रीय खिलाड़ी अर्नब मंडल की पहुँच से बाहर किया, दूसरे टच से दो और खिलाड़ियों की पहुँच से और तीसरे टच के साथ बॉल नेट में दिखाई दी। पहली तीन गेम्स में मुंबई का कोई भी प्रतिद्वंदी डेफेडेरिको की चपलता और उद्यमी खेल के आगे नहीं टिक पाया। डेफेडेरिको सचमुच ही हर टीम मैनेजेर के ड्रीम खिलाड़ी हैं। 3. जावी लारा

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जब एटलेटिको डी कोलकाता ने ISL के सीज़न 2 में जावी लारा को साइन किया था, उस वक्त ये काफी बड़ा मूव माना जा रहा था। वो ला लिगा सीजन से बास्क क्लब के लिए ताज़ा -ताज़ा खेल कर आये थे और वहाँ उनका प्रदर्शन भी देखने लायक था। उन्होंने ISL के उस सीजन में साल्ट लेक में केरला ब्लास्टर्स के खिलाफ बढ़िया शुरुआत भी की थी। पर दिलचस्प बात ये रही कि एटलेटिको डी कोलकाता के उस समय के मैनेजर अंटोनियो हबस ने उन्हें खेलने के ज्यादा मौके नहीं दिए। उन्होंने लारा की जगह अराता इजूमी को खिलाया जिससे लारा को कुछ ख़ास करने का मौका नहीं मिला। पर नया सीजन आया और आये नए कोच और चीज़ों ने दिलचस्प मोड़ लिया। लारा ने एटलेटिको के किसी भी अन्य खिलाड़ी से, टीम के चार अर्जित अंकों में, ज्यादा योगदान दिया है। उन्होंने केरला ब्लास्टर्स के खिलाफ विन्निंग स्कोर किया और मुंबई सिटी FC के खिलाफ ईक्वलाइज़र भी। पर कोलकाता की टीम में उनकी जगह इससे कहीं अधिक महत्व की है। बोरजा फर्नाइनडीस और नाटो चूँकि सेंट्रल मिडफील्डर्स के रूप में पहली पसंद है, कोलकाता को एक प्लेमेकर की ज़रूरत महसूस होती है। इऐन ह्यूम को अक्सर ये काम दिया जाता है, पर ये उनकी नेचुरल गेम से अलग है। यहीं पर लारा काम आते हैं। उनके पास भले ही पेस की कमी हो पर वो कट करके चालाकी से फ्रंट के खिलाड़ियों को पास देना बखूबी जानते हैं। उनके अब तक प्रदर्शन को देखा जाये तो कोई आश्चर्य नहीं कि वे 8.53 की औसत रेटिंग के साथ इस सीजन के हाइयेस्ट रेटेड मिडफील्डर रहे हैं। 4. रोलिन बोर्ज्स

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जब रोलिन बोर्ज्स को नेलो विन्गाड़ा ने डिफेंसिव मिडफील्ड की पोजीशन दी थी तो कई उँगलियाँ उठी थीं क्योंकि बोर्ज्स को इस पोजीशन में खेलने का बिलकुल एक्सपीरियंस नहीं रहा था; वो या तो मिडफील्ड टू की पोजीशन में खेलते थे या फिर एडवांस मिडफील्डर के रूप में।

पर इस खिलाड़ी ने ऐसा खेल दिखाया जैसे ये उनकी स्वाभाविक पोजीशन हो. नार्थ-ईस्ट के शीर्ष पर होने में भले ही निकोलस Velez, Katsumi Yusa और Emiliano Alfaro का बड़ा हाथ हो, पर बोर्ज्स वो धुरी रहे हैं जिस पर नार्थ ईस्ट की गाडी आगे बढ़ी है। बोर्ज्स खुद को बहुत चपलता से पोजीशन करते हैं और डिफेंस से बॉल लेने को हमेशा तैयार रहते हैं। शार्ट और लॉन्ग हर प्रकार के पास के लिए उनके पास उम्दा तरीके हैं। उनका दुबला -पतला शरीर उनके खेल को कॉम्प्लीमेंट करता है। जिस तरह बोर्ज्स खेल रहे हैं, यदि वो इसी तरह खेलते रहे तो प्रणय हल्दर और यूजीन्सन लिंगदोह को भारतीय टीम में अपनी जगह पुख्ता करने के लिए ज़रूर चिंता करनी पड़ जाएगी।
5. जेरी लालरिन्जुआला

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जेरी AIFF इलीट अकादमी से ग्रेजुएट हैं और उन पांच खिलाड़ियों में से एक हैं जिन्हें फ्रांसीसी FC Metz के साथ प्राशिक्षण के लिए स्पोंसर किया गया था। जब सीजन की शुरुआत हुई तो वो टीम का हिस्सा भी नहीं थे, पर परिस्थितयां उनके पक्ष में रहीं। चेन्नईन की पहली पसंद धनचन्द्र सिंह चोटिल हो गए और इस खिलाड़ी को मौका दिया गया। सच पूछिए तो इस 18-वर्षीय खिलाड़ी के लिए ये मौका आसान नहीं रहा। चेन्नईन की पहली ही गेम में, आखिरी कुछ मिनटों में जेरी ने कोलकाता के खिलाफ एक आसन पेनाल्टी दे दी। पर सौभाग्य से, टीम कोच ने स्थिति को सही तरह से समझा. पोस्ट-मैच कान्फेरेंस में मार्को ने कहा "... वो सिर्फ 18 वर्ष का है, अभी वो गलतियां करता है तो ये उसके लिए अच्छा है। हमें ये करना है कि अब इन गलतियों से सीखना है और पेनाल्टी एरिया में सावधान रहना है। एक बार जेरी सीख लेंगे तो वो लीग में खेलने के लिए तैयार होंगे।" और जेरी ने अगले ही मैच में दिखाया कि वे वाकई अपने अनुभव से सीख रहे हैं। गोवा के खिलाफ अपने अगले ही मैच में एकदम वैसा ही प्रदर्शन किया जैसा उनके कोच ने उन्हें सिखाया था। वो बॉल के साथ सजग रहे, डिफेंस में भी ज़रुरत पड़ने पर कमाल दिखाया और आत्मविश्वास से खेले। जेरी भारतीय फ़ुटबॉल का उज्जवल भविष्य हैं।