ISL की शुरूआत देशभर में सिर्फ फुटबॉल की खूबसूरती को पहुंचाने के लिए नहीं हुई थी। बल्कि इसलिए भी हुई थी कि भारत के प्रतिभावान खिलाड़ियों को अपनी प्रतिभा दिखाने का मौका मिल सके, आगे आने का मौका मिल सके और एक बड़े मंच पर अपनी प्रतिभा दिखाने का अवसर मिल सके। ISL में हर टीम ने अपने स्तर से खेल को जमीनी स्तर से विकसित करने की जिम्मेदारी को समझा और खेल के विकास के लिए हर संभव योगदान भी दिया है । हर टीम ने पहले से चर्चित हर कार्यक्रम की शुरूआत की और वो सब कामयाब भी रहे। खिलाड़ियों के लिहाज से पहला सीजन रोमियो फर्नानडिज के नाम रहा, इसके अलावा कई भारतीय और कई विदेशी खिलाड़ी भी सबका ध्यान अपनी ओर खींचने में कामयाब रहे। इन खिलाड़ियों ने न सिर्फ अपनी टीम का नाम रौशन किया बल्कि टीम के सबसे अनुभवी और बेहतर खिलाड़ियों के साथ भी ये कंधे से कंधा मिलाकर खड़े रहे । तो आइये आज उन पांच युवा खिलाड़ियों का जिक्र, जो ISL के तीसरे सीजन में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। #1 रिचर्ड गाड्जे घाना के इस खिलाड़ी का जिक्र ISL 2015 में भी हुआ, जहां इस खिलाड़ी ने अपनी टीम के लिए चार गोल किए और कुछ शानदार असिस्ट भी किए, जिससे की दिल्ली डायनामोज सीजन 2 के सेमीफाइनल में पहली बार पुहंचने में कामयाब रही। लेकिन इस साल इस खिलाड़ी का प्रदर्शन और भी उम्दा रहा है। मुंबई के खिलाफ 3-3 से ड्रॉ रहे मुकाबले में इस खिलाड़ी ने न सिर्फ गोल और एक असिस्ट अपने नाम किया बल्कि पूरे मुकाबले में इस खिलाड़ी का शानदार खेल देखने को मिला। पिछले साल इस खिलाड़ी ने रॉबिन सिंह के साथ मिलकर कमाल दिखाया था और इस साल ये खिलाड़ी फ्रेंच स्टार फ्लोरेंट मलूडा के साथ अपनी जोड़ी जमा चुका है, मलूडा दिल्ली के मार्की खिलाड़ी भी हैं। 22 साल के इस खिलाड़ी के पास शानदार रफ्तार के साथ-साथ दमदार शॉट्स भी हैं जिनका इस्तमाल इस खिलाड़ी ने ISL में अबतक लगातार किया है।
#2 होलीचरण नार्जरी
कोकराझार के इस युवा खिलाड़ी ने प्रोफशनल फुटबॉल में तब कदम रखा जब इस खिलाड़ी के कोच ने इस खिलाड़ी को अपने कस्बे के ही SAI कैंप से जुड़ने की बात कही, और बस यहीं से नार्जरी ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। भारतीय टीम के साथ अंडर-19 और अंडर-22 AFC एशियन कप क्वालिफायर में अच्छे प्रदर्शन के बाद अब ये खिलाड़ी मुख्य भारतीय टीम का स्थायी सदस्य है। बांए पांव से खेलने वाला 22 साल का ये विंगर मिडफील्ड में नॉर्थईस्ट युनाइटेड की रणनीति का एक अहम हिस्सा है। खेल को समझने की इस खिलाड़ी में क्षमता भी शानदार है और मैच के लिहाज से अपनी भूमिका को बदलने में भी इस खिलाड़ी का कोई जवाब नहीं, और इसलिए ये खिलाड़ी अटैक के समय में भी और डिफेंस के समय में भी टीम के लिए फायदेमंद साबित होता आया है। शानदार रफ्तार के साथ-साथ बेहतरीन बांया पांव, ये इस खिलाड़ी को और निखार कर सामने लाती हैं। कात्सूमि यूसा, निकोलस वेलेज और एमिलानो एलफारो के साथ नार्जरी का तालमेल और भी बेहतर है। इस बात में कोई दोराय नहीं कि ये खिलाड़ी कई गेंद से साथ कुछ ज्यादा ही करने की कोशिश करता है, जहां कई बार आखिरी पास में परेशानियां बढ़ जाती हैं। लेकिन ये कोई बड़ी कमजोरी या गलती नहीं, इससे हटकर नार्जरी के पास कई ऐसी खूबियां हैं जो उन्हें आज की नॉर्थईस्ट युनाइटेड का अहम हिस्सा बनाती हैं। #3 जेरी लालरिनजुआला नॉर्थईस्ट अकेले इस वक्त भारतीय फुटबॉल की पालनहार बनी हुई ये कहना शायद गलत नहीं होगा और फिर जब आप देखें कि महज 18 साल की उम्र में जेरी लालरिनजुआला ने अपने छोटे से करियर में कितना कुछ पा लिया है तो आपको हमारी ये बात सही भी लगने लगेंगी। मिजोरम का ये खिलाड़ी AIFF की बेहतरीन एकेडमी का हिस्सा था जहां से इस खिलाड़ी को 2016 में अंतर्राष्ट्रीय अनुभव के लिए फ्रांस के क्लब FC मेट्ज में खेलने का मौका मिला। जहां इस खिलाड़ी की वित्तीय मदद की चेन्नियन FC ने, ट्रेनिंग से लौटने के बाद लालरिनजुआला को चेन्नई की टीम ने मौका दिया और उनका ये फैसला सही साबित हुआ। कुछ ही मौकों के बावजूद और डिफेंस में खेलने के साथ ही अपने पहले सीजन में ही ये खिलाड़ी अपने नाम एक अस्सिट कर चुका है और इस खिलाड़ी को दो इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द मैच के अवॉर्डस से भी नवाजा जा चुका है, जहां पहला केरला ब्लासटर्स FC के खिलाफ मिला तो दूसरा गोवा FC के खिलाफ। लालरिनजुआला खेल के बढ़ने के साथ अपने खेल की रफ्तार को भी बढाते चले जाते हैं और ये इस खिलाड़ी की अनूठी कला है। पिछले एक महीने में और बीते 6 मैचों में ये देखने को भी मिला जहां इस खिलाड़ी ने 4 मुकाबलों में पूरे 90 मिनट भी खेला। खेल के दौरान शांत और ठंडे दिमाग के साथ-साथ इस खिलाड़ी ने गेंद के साथ भी अपनी कई क्षमताओं को दर्शाया है । जिससे ये तो कहा ही जा सकता है कि ये खिलाड़ी निश्चित तौर पर लंबी रेस का घोड़ा है। #4 चिंगलेनसाना सिंह एक ओर सितारा नॉर्थइस्ट की ओर से जिन्हें आम तौर पर सना सिंह के नाम से जाना जाता है। इस खिलाडी ने डिफेंस में दिल्ली डायनामोज के लिए लगातार शानदार प्रदर्शन किया है। 19 साल के इस खिलाड़ी ने इससे पहले महिंद्रा युनाइटेड, एयर इंडिया और टाटा फुटबॉल की फुटबॉल एकेडमी के लिए खेला है और दिल्ली की टीम में इस खिलाड़ी को तब मौका मिला, जब ये खिलाड़ी इंग्लैंड में शैफील्ड युनाइटेड के लिए खेल रहा था, और ऐसे में इस खिलाड़ी ने इस मौके का दोनों हाथों से फायदा उठाया। अनुभवी रुबेन गोनजालेज के साथ खेलते हुए इस खिलाड़ी ने अपनी जिम्मेदारी को बखूबी निभाया है और टीम के डिफेंस को बांध कर ऱखा इन दोनों खिलाड़ियों ने दिल्ली डायनामोज की टीम को उस वक्त मजबूती दी जब उन्हें इसकी सबसे ज्यादा जरूरत थी क्योंकि टीम के अनुभवी डिफेंडर अनास एडाथोडिका टीम में मौजूद नहीं थे। हवा में शानदार खेल और बॉल के साथ भी कमाल का कंट्रोल सिंह के पास इन क्षमताओं के साथ ही एक शांत मस्तिष्क भी है कुल मिलाकर इस युवा खिलाड़ी के पास हर वो कला और क्षमता मौजूद है जो आने वाले समय में सना सिंह को भारत का एक बेहतर डिफेंडर बना सकती है। #5 प्रबीर दास एक युवा खिलाड़ी को देखकर ये कहना कि वो आने वाले समय एक बड़े और अनुभवी खिलाड़ी की जगह ले लेगा ये कहना कभी भी आसान नहीं रहता। लेकिन 22 साल के प्रबीर दास ने इस सीजन कुछ ऐसा ही कर दिखाया है। दास एटलेटिको डी कोलकाता की तरफ खेले क्योंकि बेंगलूरू के कीगान पेरिएरा का AFC कप में खेलना तय था। इसलिए वो ISL में अधिक वक्त तक मौजूद नहीं रहे, लेकिन मोहन बगान के फुल बैक ने अपने कोच जोसे मोलिना को निऱाश बिल्कुल भी नहीं किया और न ही अपने फैंस को, क्योंकि वो लगातार अपने प्रदर्शन में मैच दर मैच सुधार लाते रहे। जबकि उन्हें एक अंजान पोजीशन यानी लेफ्ट बैक में खेलने का मौका मिला था। इस खिलाड़ी ने इस दौरान बेहद परिपक्वता दिखाई और बेहतरीन खेल का मुजायरा किया। अंडर-23 तक भारतीय टीम का हिस्सा रहा ये खिलाड़ी कोलकाता के उस मजबूत डिफेंस की वजह बना जिसे लीग में महज 5 बार भेदा जा सका है। ये खिलाड़ी रणनीतिक तौर पर दमदार और मेहनती खिलाड़ी है, लेकिन इस खिलाड़ी का गेंद को क्रॉस कराना फिलहाल और बेहतर तरीके के साथ सीखना पड़ेगा। लेकिन वक्त उनके पक्ष में हैं इसे सीखने के लिए, और अगर ऐसा होता है तो आगे आने वाले भविष्य मे ये खिलाड़ी भारत के लिए बड़ा नाम करने में कामयाब रहेगा इस बात में कोई शक नहीं।