चेल्सी फैन कॉर्नर - नेहा साहू

Chelsea Fan Corner - Neha Sahu
Chelsea Fan Corner - Neha Sahu

नेहा साहू की आजीवन चेल्‍सी प्रशंसक और एक अध्‍यापिका के रूप में यात्रा काफी प्रेरणादायी है। वह 'जस्‍ट फॉर किक्‍स' नामक एनजीओ की सह-संस्‍थापक हैं, जहां वो बच्चों को शिक्षित करने के लिए फुटबॉल का अनोखे तरीके से उपयोग करती हैं।

नेहा 2003 से चेल्‍सी प्रशंसक हैं, जो संयोग से तब हुआ जब इज़राइली-रूसी व्यवसायी रोमन अब्रामोविच ने ब्लूज़ का रिकॉर्ड-तोड़ अधिग्रहण किया। उन्‍होंने अपनी यात्रा ब्‍लूज़ प्रशंसक के रूप में सुनाई और अपने कुछ पसंदीदा पलों को बताने के लिए पुरानी यादों में लेकर गईं।

"2003-04 चेल्‍सी प्रशंसक बनने का क्‍या सीजन था। मुझे अब भी याद है जब मैं क्‍लब की प्रशंसक बनीं। चेल्‍सी ने पूरे प्रीमियर लीग सीजन में केवल 15 गोल खाये थे। फ्रैंक लेंपार्ड और जॉन टैरी वहां पहले से ही थे और 2004 में हमारे पास डीडियर ड्रोग्‍बा व पीटर चेक आए थे।'

नेहा ने फ्रैंक लेंपार्ड के लिए विशेष जगह का उल्‍लेख भी किया, क्‍योंकि इंग्‍लैंड के मिडफील्‍डर उस समय विश्‍व फुटबॉल के सबसे बड़े मैच विजेताओं में से एक थे। नेहा ने खुलासा किया कि चेल्‍सी प्रशंसक के रूप में शुरुआती दिनों ने उनके बचे हुए करियर की लय स्‍थापित की और वह अपने जुनून का पीछा करते हुए जस्‍ट फॉर किक्‍स की सह-संस्‍थापक बनी।

"लेंपार्ड तब अपने चरम पर थे। जिस तरह वो गोल करते थे, वो पूर्णत: प्रतिभा और हिम्‍मत वाले थे। यह मेरी पूरी जिंदगी में फुटबॉल का आधार बना रहा, जिसकी वजह से मैंने वही किया, जो मैं अब भी करती हूं।"

जस्‍ट फॉर किक्‍स की शुरुआत 2011 में हुई थी और यह काफी सफल रहा। इसके साथ चेन्नई, बैंगलोर, हैदराबाद, मुंबई, पुणे और धारवाड़ में लगभग 4400 बच्चे जुड़ चुके हैं। फुटबॉल के माध्यम से बच्चों को जीवन के कई पहलूओं को जानने का मौका मिला और इसके लिए नेहा ने आगे से जिम्मेदारी ले रखी है।

Chelsea Fan Corner
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फुटबॉल और शिक्षा को जोड़ने का आईडिया नेहा के लिए मास्‍टरस्‍ट्रोक साबित हुआ। इसने शिक्षा प्रणाली को बदल दिया और सीखने के वैकल्पिक तरीकों का रास्‍ता दिखाया। अपनी शानदार यात्रा के बारे में बात करते हुए नेहा ने प्रकाश डाला कि कैसे चचंल विचार कुछ विशेष बन गया।

नेहा ने कहा,

"मुझे याद है कि लीग टेबल पर नंबर गिनाकर गणित पढ़ाया था। मैंने उन्‍हें दिखाया कि नक्‍शे में प्रत्‍येक देश कहां हैं, खेल के बारे में बातें की और घर जाकर मैच देखने को कहा। छह महीने के अंदर उनका विश्‍वास बढ़ा और बच्‍चों ने स्‍कूल आने की इच्‍छा जताई।" उन्‍होंने आगे कहा, "तब से मैंने जस्‍ट फॉर किक्‍स की शुरूआत की। मेरे दो बहुत स्‍पष्‍ट उद्देश्‍य थे- मैं शिक्षा प्रणाली को बदलना चाहती थी, यह कहते हुए कि खेल इसका हिस्‍सा होना चाहिए क्‍योंकि यह आपको नैसर्गिक रूप से जिंदगी की शैली विकसित करने में मदद करता है। दूसरा, लड़कियों की दिलचस्‍पी की कमी और खेलने में उनके डर ने मुझे इसे ऐसी जगह बनाने के लिए प्रेरित किया, जहाँ लड़के और लड़की में समानता हो।'

2016 में नेहा को अपनी 10 स्‍टूडेंट्स को लंदन ले जाने का अनोखा मौका मिला। उन्‍होंने इस मौके का पूरा फायदा उठाया और स्‍टेमफोर्ड ब्रिज की यात्रा की। इस बीच उन्‍होंने अपना सर्वश्रेष्‍ठ देते हुए बच्‍चों को ब्‍लूज़ का समर्थन करने को राजी किया। आखिरकार, नेहा ने खुलासा किया कि भविष्‍य में किसी समय यह अच्‍छा होगा कि प्रशंसक के रूप में अगर उन्‍हें दोबारा स्‍टेमफोर्ड ब्रिज लौटने का आमंत्रण मिले।

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Edited by निशांत द्रविड़