कोविड 19 पैंडेमिक ने पूरे विश्व को जैसे रोक ही दिया था। अभी भी सब इस ग्लोबल पैंडेमिक से उबर रह रहे हैं। हालांकि इस बात की खुशी है कि हमने डर को उम्मीद से रिप्लेस कर दिया है और हम हमेशा ही हमारे हीरो के प्रति आभारी रहेंगे, जोकि इस जंग में सबसे आगे रहे हैं।
चेल्सी फैन कॉर्नर के हालिया एपिसोड में हम ऐसे ही अनसंग हीरो प्रद्युम्न तेम्भेकर के बारे में बात करेंगे, जोकि एक मेडिको हैं और वो भारत में कोरानावायरस के खिलाफ जंग में फ्रंटलाइन वर्कर्स में शामिल रहें।
प्रद्युम्न तेम्भेकर एक चेल्सी फैन है और वो 2008 में स्कूल में थे जब से ही ब्लूज क्लब के फैन हैं। उनका कहना है कि उनके दोस्त हमेशा ही मेनचेस्टर यूनाइटेड और चेल्सी के बीच ही डिवाइडेड रहते थे, लेकिन उन्हें हमेशा पता होता था कि उन्हें किस सपोर्ट करना है।
हालांकि उनका मानना है इस शानदार खेल का जुनून 2013-14 सीजन में चेल्सी को मैनचेस्टर यूनाइटेड के खिलाफ 3-1 से मिली जीत के बाद ही हुआ। इस मैच में सैमुएल ईटो ने स्टैम्फोर्ड ब्रिज में शानदार हैट्रिक लगाते हुए ब्लूज को रेड डेविल्स के खिलाफ जीत दिलाई थी।
प्रद्युम्न का कहना है कि दिन प्रति दिन उनके लिए फुटबॉल का जुनून बढ़ता ही रहा और फिर उसके बाद पीछे जाने का सवाल ही नहीं था। उन्होंने यह भी बताया कि कैसे फुटबॉल ने उनके करियर में भी मदद की।
वो जिन चीजों को लेकर पैशनेट थे (फुटबॉल, सिनेमैटोग्राफी और फील्ड ऑफ मेडिसिन) को मिलाकर बौद्धिक विकलांग पेशंट के लिए डॉक्यूमेंट्री बनाई। उन्होंने इसके लिए चेल्सी टीवी का भी समर्थन मिला, इसी वजह से खेल के लिए प्यार और भी ज्यादा बढ़ गया।
प्रद्युम्न ने खुद में सिनेमैटोग्राफी का पैशन आने के लिए सबसे ज्यादा श्रेय चेल्सी टीवाी को ही दिया है। एक फैन होने के नाते वो वीडियो को तो एडिट करते ही थे, लेकिन साथ ही में चेल्सी टीवी ने उन्हें नई आइडिया के साथ भी मदद की।
उनके दोस्त श्याम को मुंबई एफसी के चीफ सीएमओ का कॉल आया और उन्हें जानना था कि क्या प्रद्युम्न को क्लब के लिए बतौर मीडिया काम करना चाहते हैं क्या। अगले ही दिन उन्होंने कॉन्ट्रैक्ट ऑफर किया और बताया कि उन्हें मुंबई एफसी के लिए मीडिया को लीड करना होगा।
इसके बाद से प्रद्युम्न को काफी सरप्राइज मिले। वो साथी चेल्सी फैन और बॉलीवुड सुपरस्टार अभिषेक बच्चन से भी मिले। हालांकि कोविड 19 पैंडेमिक को देखते हुए प्रद्युम्न तेम्भेकर को मेडिको के तौर पर बुलाया गया। उन्होंने काउंटलेस घंटों तक काम किया। जब पैंडेमिक आया, तो उन्हें अहसास हुआ कि बतौर मेडिकल प्रोफेशनल उनकी जिम्मेदारी उनके पैशन से काफी अहम है।
उन्होंने दूसरों की मदद करने के लिए अपनी फैमिली की हेल्थ को रिस्क में डाला, क्योंकि वो हमेशा ही उनके ऊपर वायरस से एक्पोज होना का खतरा था। प्रद्युम्न की मां भी हॉस्पिटल में थीं और दो दिनों तक वेंटिलेटर पर भी थीं। हालांकि वो फ्रंटलाइन वर्कर के तौर पर काम कर रहे थे, इसी वजह से उन्हें इस बात की जानकारी नहीं दी गई।
उनकी मां जब खतरे से बाहर आईं तब ही उन्हें इस बात की जानकारी दी गई कि वो उनकी हालत कितनी गंभीर थी। प्रद्युम्न ने उस टाइम को याद किया और बताया कि जब उनकी मां एडमिट थी, तो उनके पास पहनने के लिए सिर्फ दो शर्ट थी। एक उनके पास चेल्सी होम और दूसरी अवे किट थी।
यह ऐसा नहीं था जिसके बारे में उन्होंने प्लानिंग की थी, लेकिन यह सब नेचुरली हुआ था। हालांकि प्रद्युम्न को ऐसा लगता है कि क्लब के कलर्स ने ही उन्हें हिम्मत दी, जिससे वो इस मुश्किल समय में पर्सनल और प्रोफेशनल लेवल पर लड़ पाए।