फेजा हैदर लड़कों के साथ सड़कों पर फुटबॉल खेलकर बड़ी हुईं और आगे चलकर फिर मिस्र की राष्ट्रीय महिला टीम की कप्तान बनी। अब फेजा हैदरा देश के एक पेशेवर पुरुष क्लब को कोचिंग देंगी और ऐसा करने वाली पहली महिला बन जाएंगी। फेजा हैदर से चौथे डिविजन की टीम आइडियल गोल्डी ने करार किया है, जो गिजा आधारित है। 36 साल की फेजा हैदर ने रॉयटर्स से बातचीत में कहा, 'शुरूआत में कुछ लोगों ने मजाक बनाया। मगर फिर उन्हें एहसास हुआ कि कुछ सीखने को मिलेगा। वो अपनी शैली विकसित करना चाहते हैं।'
फेजा हैदर ने कहा कि वह पहली मिस्र कोच हैं पुरुष या महिला, जिन्हें प्रीमियर स्किल्स कोच एडुकेटर स्तर मिला, जिसे इंग्लैंड की प्रीमियर लीग का प्रमाण पत्र हासिल है। फुटबॉल को मिस्र में काफी लोकप्रियता हासिल है। यहां अधिकांश पुरुष खेल को बढ़ा मिलता है।
फेजा हैदर की मां खोदरा एबडेलरहमान ने कहा, 'मैंने उसे नहीं जाने को कहा। फेजा हैदर ने कहा- नहीं, मैं जाउंगी। उसे खेल से प्यार है। मैंने उसे जाने दिया और भगवान से प्रार्थना की थ कि अगर वो ठीक जाती है तो भगवान उसकी रक्षा करे। वो गई और अच्छा भी किया।'
फेजा हैदर मिस्र महिला फुटबॉल राष्ट्रीय टीम में बतौर मिडफील्डर खेलती हैं और टीम की कप्तान भी हैं। फेजा हैदर ने कहा कि वह बचपन से ही फुटबॉल खेलना चाहती थीं और सड़क पर लड़कों के साथ अभ्यास करती थीं।
फेजा हैदर ने बताई कोच बनने की कहानी
फेजा हैदर ने कहा, 'शुरूआत में थोड़ा कठिन काम था क्योंकि लड़कों को आदत नहीं थी कि कोई लड़की उन्हें कोचिंग दे। शुरूआत में थोड़ा मजाक बनाया गया जबकि कुछ ने दिलचस्पी नहीं दिखाई। उनका सोचना था कि चूकि महिला उनको ट्रेनिंग दे रही है, तो इसे गंभीरता से लेने की जरूरत नहीं। वो उसका बड़ा मजाक उड़ाते थे। मगर फिर उन्हें एहसास हुआ कि उन्हें कुछ सीखने को मिला है। तब जाकर लड़कों ने मेरी कोचिंग को गंभीरता से लेना शुरू किया।'
मिस्र में फुटबॉल में पुरुषों का दबदबा है। मगर एबडेलरहमान ऐसाम का मानना है कि फेजा हैदर अपने जेंडर नहीं बल्कि अपनी शैली के कारण दूसरों से अलग हैं। उन्होंने कहा, 'यह विशेष अनुभव है, नया कुछ अनोखा। कप्तान फेजा हैदर शानदार स्वभाव की हैं। हमें पुरुष और महिला कोच के बीच फर्क नहीं लगता। फेजा हैदर काफी ज्ञानी हैं और हमें उनसे फायदा मिलता है।'
इस पर फेजा हैदर ने कहा, 'मैं पुरुष और महिला में फर्क नहीं करती। मैं ऐसा इसलिए नहीं कह रही हूं क्योंकि महिला हूं। यहां खिलाड़ी का धर्म मायने नहीं रखता, वो कहां से आएं हैं और क्या करना चाहते हैं, ये मायने रखता है।'