फ़ुटबॉल के सुपर स्टार के साथ साथ असली ज़िंदगी में भी दिग्गज हैं लियोनेल मेसी

फ़ुटबॉल दुनिया के सबसे पॉपुलर खेलों में से एक है। इस लोकप्रिय खेल के वर्तमान समय के सबसे बड़े खिलाड़ियों में जो नाम सबसे पहले ज़ेहन में आता है, वो है लियोनल मेसी। लियोनल मेसी न सिर्फ वर्तमान दौर के बल्कि फुटबॉल के सर्वकालीन महान खिलाड़ियों में से एक हैं। अर्जेंटीना के मेसी अपने देश के अलावा मशहूर स्पैनिश क्लब बर्सिलोना के लिए भी खेलते हैं। फारवर्ड के तौर पर खेलने वाले मेस्सी गोल करने में तो माहिर हैं ही, साथ ही बेहतरीन मूव बनाकर दूसरे खिलाड़ियों को भी गोल करने का अवसर प्रदान करते हैं। उनके बेहतरीन मूव महान भारतीय हॉकी खिलाड़ी धनराज पिल्लै की याद दिलाते हैं। हॉकी में धनराज पिल्लै जिस तरह शानदार मूव बनाकर गोल के अवसर बनाते थे, उसी तरह फुटबॉल में बेहतरीन मूव बनाने का काम मेसी करते हैं। 24 जून 1987 को अर्जेंटीना के रोसारिया में जन्में 5 फुट 7 इंच लम्बे मेसी बचपन में ही फुटबॉल से जुड़ गए थे। मात्र 4 वर्ष की छोटी सी उम्र में अपने करियर की शुरुआत करने वाले अपार प्रतिभा के धनी लियोनल मेसी पहले नेविल्स ओल्ड बॉय क्लब के लिए सन 1994 से 2000 तक खेले। फिर सन 2001 में वो स्पैनिश क्लब बार्सिलोना से जुड़ गए। सन 2004 तक वो जूनियर टीम की ओर से खेले, उसके बाद उन्हें सीनियर टीम में शामिल कर लिया गया। बार्सिलोना के लिए अब तक वो 400 से भी अधिक मैच खेल चुके हैं। इन मैचों में उनके द्वारा किए गए गोलों की संख्या 370 से अधिक है। वो बार्सिलोना के सर्वकालीन टॉप स्कोरर हैं। मेसी का जीवन बचपन से ही संघर्षों से भरा रहा है। आज वो जिस मुकाम पर हैं, इस मुकाम को हासिल करने के लिए उन्हें कड़ा संघर्ष करना पड़ा है। उन्हें बचपन में ही गम्भीर रूप से बीमार होने के कारण इलाज के लिए बेहद महंगे और लम्बे चलने वाले ग्रोथ हार्मोन ट्रीटमेंट की आवश्यकता पड़ी थी। जो उनके और उनके परिवार के लिए बड़ा ही मुश्किल काम था। उनके तत्कालीन क्लब नेवल्स ने शुरुआत में तो उन्हें आर्थिक सहयोग दिया, लेकिन फिर अपने हाथ पीछे खींच लिए। जिससे उनकी और उनके परिवार की मुश्किलें और भी बढ़ गयीं। उन्हें इलाज के लिए कुछ अन्य माध्यमों से भी सहायता प्राप्त हुई, किन्तु ये सहायता क्षणिक ही रही। ये सहायता दीर्घकालीन नहीं हो सकी। आख़िरकार प्रसिद्ध स्पैनिश क्लब बार्सिलोना से सम्पर्क किया गया, लेकिन बार्सिलोना जैसे क्लब से जुड़ना इतना आसान न था। इसके लिए पहले उनका ट्रायल हुआ। उनके ट्रायल से बार्सिलोना के प्रशासक सन्तुष्ट भी थे, लेकिन उन्हें इतनी कम उम्र के विदेशी बच्चे को क्लब का सदस्य बनाने में बड़ी हिचक हो रही थी। इसलिए इस निर्णय को टाल दिया गया। अगले साल सन 2000 में जाकर उन्हें क्लब से जोड़ने का निर्णय हो सका। उनके साथ बार्सिलोना क्लब द्वारा जब एग्रीमेंट का निर्णय लिया गया तो उस वक्त बड़ी ही रोचक घटना घटी। मेसी के साथ कांट्रेक्ट साइन करने के लिए टीम के डायरेक्टर कर्टली बेहद उत्सुक थे, लेकिन उनके पास उस समय कोई पेपर नहीं था। इसलिए उन्होंने मेसी से एक नेपकिन पेपर पर ही एग्रीमेंट साइन करवा लिया। मेसी की निष्ठा इस बात से पता चलती है कि कठिन वक़्त में बार्सिलोना द्वारा दिए गए साथ वो भूले नहीं हैं। इसीलिए आज फुटबॉल के सुपर स्टार बनने के बाद भी वो इस क्लब से जुड़े हुए हैं। हालांकि आर्सनल सहित दुनिया भर के कई नामी गिरामी क्लब उन्हें अपनी सदस्यता का ऑफर दे चुके हैं। इसी तरह स्पेन की ओर से उन्हें जूनियर टीम में सलेक्ट किया गया था, लेकिन उन्होंने अपने देश की टीम से जुड़ना पसन्द किया। मेस्सी कितने बड़े दिल वाले हैं ये इससे पता चलता है कि वो अपने पुराने क्लब नेविल्स के प्रति भी अतीत की बातों को लेकर कोई दुर्भावना नहीं रखते हैं, बल्कि आज भी वो उसको अपना सहयोग देते हैं। मेसी जितने अच्छे खिलाड़ी हैं, उतने ही अच्छे इंसान भी हैं। दुनिया भर में चैरिटी के कामों में वो बढ़-चढ़कर हिस्सा लेते हैं। सन 2007 में उन्होंने लियो मेसी फाउंडेशन की स्थापना की। उनकी कोशिश यही होती है कि किसी और बच्चे को उन हालातों से न गुजरना पड़े, जिनसे उन्हें गुजरना पड़ा था। वो असहाय और विकलांग बच्चों के शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए भी कार्य करते हैं। सन 2004 से वो यूनिसेफ को समय देने के साथ-साथ आर्थिक सहयोग भी दे रहे हैं। वो सन 2010 से यूनिसेफ के गुडविल एंबेसडर भी हैं। वो एड्स जागरूकता अभियान से भी जुड़े हुए हैं। उन्होंने हैती भूकंप पीड़ितों की सहायता कार्यक्रमों में भी बढ़-चढ़कर भाग लिया था। इसके अलावा बच्चों को खेलों में आगे बढ़ाने की दिशा में भी वो कई कार्य कर रहे हैं। सन 2005 से अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम की ओर से खेल रहे मेसी अब तक अर्जेंटीना के लिए 123 मैच खेल चुके हैं। इनमें उन्होंने 61 गोल दागे हैं। सन 2008 में बीजिंग में हुए ओलम्पिक खेलों में अर्जेंटीना को स्वर्ण पदक जिताने में उनकी अहम भूमिका थी। सन 2011 से वो अपने देश की राष्ट्रीय टीम के कप्तान भी हैं। मेसी अब तक अर्जेंटीना और बार्सिलोना के लिए 600 गोल कर चुके हैं। उनके अवॉर्ड और उपलब्धियों की बात करें तो उन्होंने 2005 के यूथ वर्ल्ड कप में गोल्डन बॉल और गोल्डन शूज भी हासिल किया था। पिछले वर्ल्ड कप 2014 में गोल्डन बॉल उन्हें ही हासिल हुई। बैलून डी ओर खिताब उन्होंने रिकॉर्ड 5 बार सन 2009, 2010, 2011, 2012 और 2015 में जीता है। यूरोपियन गोल्डन शूज भी उन्होंने रिकॉर्ड 4 बार सन 2010, 2012, 2013 और 2017 में जीता है। फीफा वर्ल्ड प्लेयर ऑफ द ईयर वो सन 2009 में रहे हैं। यूएफा प्लेयर ऑफ द ईयर वो सन 2011 और 2015 में बने थे। मेसी यूएफा क्लब फुटबॉलर ऑफ द ईयर सन 2009 में रहे, साथ ही इसी साल वो फॉरवर्ड प्लेयर ऑफ द ईयर भी रहे थे। इसके अतिरिक्त वो सन 2009, 2011, 2012 और 2015 में वर्ल्ड प्लेयर ऑफ द ईयर भी रहे हैं। इतनी सारी उपलब्धियों से भरे चांद की तरह चमकते मेसी के करियर में भी जो एक दाग नज़र आता है वो है अभी तक अर्जेंटीना को विश्व कप का खिताब न जिता पाना। अर्जेंटीना की टीम दशकों से वर्ल्ड चैंपियन बनने को तरस रही है। उनके नेतृत्व में अर्जेंटीना की वही स्थिति है जैसी क्रिकेट में दक्षिण अफ्रीका की, यानी हर बड़ी प्रतियोगिता में वो दावेदार के तौर पर शामिल होते हैं। प्रदर्शन भी बढ़िया करते हैं, लेकिन महत्वपूर्ण मैच गवां देने से उनका चैम्पियन बनने का सपना पूरा नहीं हो पाता। इतने बड़े खिलाड़ी होने पर भी अपनी टीम को अब तक विश्व कप एवं अन्य कई बडी प्रतियोगिता न जिता पाने की अपनी नाकामी का अहसास खुद मेसी को भी है। इसीलिए जब सन 2016 में अमेरिका में खेले गए कोपा अमेरिका कप के फाइनल में अर्जेंटीना को चिली से हार का सामना करना पड़ा तो वो बेहद भावुक हो गए और इसी भावुकता में उन्होंने अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल से संन्यास की घोषणा कर दी। बाद में खेल से जुड़े दिग्गजों और अपने चाहने वालों के पुरजोर अनुरोध पर उन्होंने रिटायरमेंट लेने का निर्णय बदल लिया। आने वाले विश्व कप में वो एक बार फिर अपनी टीम का प्रतिनिधित्व करते नज़र आएंगे। उनके चाहने वालों के साथ-साथ सभी फुटबॉल प्रेमियों की भी यही इच्छा है कि अपने हमवतन डिएगो मैराडोना, महान क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर जैसे कई अन्य महान खिलाड़ियों की तरह 10 नम्बर की जर्सी पहनने वाले मेसी संन्यास से पहले उन्हीं महान खिलाड़ियों की तरह ही कम से कम एक बार अपने हाथों में विश्व कप उठाए हुए नजर आएं।

Edited by Staff Editor
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