ब्राजील की फुटबॉल फेडरेशन CBF ने फुटबॉल मुकाबलों के दौरान होने वाली नस्लभेदी टिप्पणियों से निपटने के लिए बड़ा फैसला किया है। फेडरेशन ने अपनी टॉप फुटबॉल डिविजन के मुकाबलों के दौरान किसी टीम के स्टाफ, खिलाड़ी या फैंस के द्वारा नस्लभेदी प्रकरण का हिस्सा बनने पर उस क्लब के अंक घटाने का नियम बनाया है।
ब्राजील में मिश्रित समुदाय निवास करता है, और यहां फुटबॉल किसी जुनून से कम नहीं। क्लब मुकाबलों में हजारों की तादाद में दर्शक मैदान पर जाते हैं लेकिन कई बार स्टेडियम में मैच के दौरान नस्लभेदी टिप्पणियां खिलाड़ियों के खिलाफ होने के वाकये सामने आते हैं। ऐसे में इन हरकतों पर लगाम लगाने के लिए CBF ने यह अनोखा तरीका इजाद किया है।
CBF के अध्यक्ष एडनाल्डो रोदरिगेज के मुताबिक रंगभेद और नस्लभेद के मामलों से निपटना बहुत जरुरी है। रोदरिगेज खुद फेडरेशन के 100 साल के इतिहास में इसके टॉप पद पर पहुंचने वाले पहले अश्वेत शख्स हैं और वह निजी रूप से भी रंगभेदी टिप्पणियों के शिकार हो चुके हैं। ऐसे में रोदरिगेज के अनुसार वह खिलाड़ियों का दर्द जानते हैं और इस परेशानी को कम करने के लिए क्लब के अंकों पर असर डालने का फैसला लिया गया है ताकि टीम के फैंस समझदारी से स्टेडियम के अंदर बर्ताव करें।
ब्राजील में नस्लभेदी प्रकरण काफी आम हैं। इसी को देखते हुए ब्राजील में देश के राष्ट्रपति लुला दि सिल्वा की सरकार ने रंगभेद और नस्लभेदी प्रकरणों पर लगाम लगाने के लिए नए नियम बनाए हैं और इसी के कारण देश की फुटबॉल फेडरेशन ने यह कदम उठाया है। साल 2014 में ब्राजील में एक फुटबॉल क्लब ग्रेमियो पर बैन लगाया गया था जब उनके फैंस ने विरोधी टीम के अश्वेत खिलाड़ी पर टिप्पणियां की थी।
दुनिया में इस तरह का नियम बनाने वाली यह पहली फुटबॉल फेडरेशन है। इस फैसले के बाद फुटबॉल प्रेमी यूरोपीय फुटबॉल में ऐसे नियम की मांग कर रहे हैं क्योंकि वहां दुनिया की बड़ी-बड़ी लीग में बड़े-बड़े खिलाड़ियों को कई बार नस्लभेदी टिप्पणियां सुनने को मिलती हैं। पिछले साल सितंबर के महीने में ट्यूनिशिया के खिलाफ एक दोस्ताना मैच में ब्राजील के खिलाड़ी रिकार्लिसन के ऊपर एक ट्यूनिशियाई फैन ने केला फेंका था। ऐसे ही कई वाकये फुटबॉल मैदान में दुनिया के हर कोने में देखने को मिल जाते हैं। इसलिए फैंस का मानना है कि रंगभेदी हमलों के खिलाफ हर फुटबॉल फेडरेशन को नियम बनाने चाहिए।