इंडियन सुपर लीग के हाल ही में खत्म हुए सीजन के एक वाकये के कारण केरला ब्लास्टर्स क्लब को बड़ा नुकसान उठाना पड़ेगा। टीम के कोच ईवान वुकामानोविच पर जहां AIFF यानी अखिल भारतीय फुटबॉल महासंघ ने 10 मैचों का बैन लगा दिया है तो वहीं केरला ब्लास्टर्स पर 4 करोड़ रुपए का जुर्माना भी लगाया गया है।
ISL के एलिमिनेटर मुकाबले के दौरान ईवान वुकोमानोविच के कहने पर उनके क्लब के खिलाड़ी मैच बीच में छोड़ मैदान के बाहर आ गए थे जिसके बाद ईवान के खिलाफ एक्शंन लिया जाना तय माना जा रहा था।
क्या है मामला ?
दरअसल 3 मार्च 2023 के दिन इंडियन सुपर लीग में पहले एलिमिनेटर मुकाबले में केरला ब्लास्टर्स का सामना बेंगलुरु एफसी से हो रहा था। मैच के 90 मिनट पूरे होने तक कोई गोल नहीं हुआ जिसके बाद टीमों को 30 मिनट का एक्स्ट्रा टाइम मिला। 97वें मिनट में बेंगलुरु को स्पॉट किक मिली। कप्तान सुनील छेत्री ने इसे लेते हुए केरला ब्लास्टर्स के पोस्ट में गेंद डाल दी। केरला ब्लास्टर्स के खिलाड़ी इस समय तैयार नहीं थे लेकिन रेफरी ने इसे गोल करार दिया।
केरला ब्लास्टर्स के खिलाड़ियों ने रेफरी के फैसले का विरोध किया। मैदान के बाहर टीम स्टैंड पर खड़े केरला के कोच ईवान वुकोमानोविच ने भी विरोध जताया लेकिन रेफरी ने फैसला नहीं बदला। इसके बाद ईवान ने टीम के खिलाड़ियों को मैदान से बाहर आने का इशारा किया और ब्लास्टर्स के खिलाड़ियों ने मैच छोड़ दिया। इस पूरे वाकये के बाद जहां कई फैंस ईवान की हिम्मत की तारीफ कर रहे थे, वहीं कई खेल प्रेमी इसे खेल भावना के विपरीत बता रहे थे।
अब AIFF ने ईवान पर 10 मैचों का प्रतिबंध लगा दिया है। शर्त के मुताबिक वह किसी भी क्लब के साथ हों, 10 मुकाबलों में ड्रेसिंग रूम तक में उनकी एंट्री नहीं होगी। वहीं केरला ब्लास्टर्स को जुर्माना देने के साथ ही खेल भावना के खिलाफ मैदान छोड़ने के लिए सार्वजनिक रूप से माफी भी मांगनी होगी।
AIFF की शर्त के मुताबिक अगर क्लब ऐसा नहीं करता तो उन्हें 4 करोड़ की जगह 6 करोड़ रूपए जुर्माने में भरने होंगे। कोच वुकोमानोविच से भी माफी मांगने को कहा गया है और अगर वह ऐसा नहीं करते तो उन्हें भी 10 लाख रुपए का जुर्माना देना होगा।
AIFF के फैसले के बाद भी केरला ब्लास्टर्स और उनके कोच के लिए कई खेल प्रेमी सोशल मीडिया पर समर्थन दिखा रहे हैं। उनका मानना है कि लीग में वीडियो रेफरल की जरूरत है और साथ ही बेहतर रेफरी की।
वहीं कई फुटबॉल फैंस तो इस सजा को कम बता रहे हैं और अधिक सजा के प्रावधान की मांग कर रहे हैं।