भारतीय स्टार जिम्नास्ट दीपा करमाकर सहित अन्य भारतीय जिम्नास्ट इस साल टोक्यो ओलंपिक्स में हिस्सा लेते हुए नजर नहीं आएंगे। भारतीय जिम्नास्टों के टोक्यो ओलंपिक में क्वालीफाई करने की सभी उम्मीदें पूरी तरह समाप्त हो गईं हैं। कोरोना वायरस महामारी के कारण पहले ही दो विश्व कप रद्द किए जा चुके हैं और अब अंतरराष्ट्रीय जिम्नास्टिक महासंघ (एफआईजी) ने मार्च में होने वाले एक अन्य विश्व कप को स्थगित कर दिया है। रद्द किए गए विश्व कप में से एक का आयोजन इस महीने तथा दूसरे का अगले महीने होना था।
द्रोणाचार्य अवार्डी और दीपा करमाकर के कोच बिशेश्वर नंदी ने कहा, 'हम तो तैयार हैं, लेकिन ओलंपिक क्वालीफिकेशन प्रणाली में बड़ा बदलाव आया है। क्वालीफिकेशन अंक हासिल करने के लिए कोई इंटरनेशनल टूर्नामेंट है ही नहीं। मुझे कोई जानकारी नहीं है कि आगे की प्रक्रिया क्या रहेगी।' बिश्वेश्वर नंदी के मुताबिक ओलंपिक क्वालीफिकेशन अंक हासिल करने के लिए तीन ओलंपिक क्वालीफायर्स में भाग लेना जरूरी है।
बिश्वेश्वर नंदी ने आगे कहा, 'कुछ विश्व कप क्वालीफायर्स रद्द कर दिए गए हैं, शायद एफआईजी नई तारीखों की घोषित करे। अप्रैल या मई में विश्व कप के आयोजन पर विचार किया जा सकता है। यह परिस्थितियों और एफआईजी के फैसले पर निर्भर करता है। हम स्पष्ट तस्वीर का इंतजार कर रहे हैं।' उन्होंने कहा कि दीपा करमाकर कड़ी मेहनत कर रही है, लेकिन ओलंपिक में जगह बनाने के लिए कोई अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं बची है।'
दीपा करमाकर के पास नहीं पर्याप्त अंक
2016 रियो ओलंपिक में भाग लेने वाली 27 साल की दीपा करमाकर को मार्च 2019 में घुटने में चोट लगी थी, जिसके कारण वह इंटरनेशनल टूर्नामेंटों में भाग नहीं ले सकी थीं। बिश्वेश्वर नंदी ने कहा, 'ओलंपिक का टिकट हासिल करने के लिए जिम्नास्ट को 90 अंक की जरूरत है और फिलहाल दीपा करमाकर के पास इसके आधे से भी कम अंक हैं। हम विश्व संस्था का आधिकारिक रुप से कुछ कहने का इंतजार कर रहे हैं।'
यूरोप में कोरोना वायरस का नया स्ट्रेन मिलने से एफआईजी ने 25 फरवरी से होने वाले कोटबस विश्व कप और अगले महीने 4 मार्च से बाकु में होने वाले विश्व कप को रद्द कर दिया जबकि दोहा में 10 मार्च से होने वाले विश्व कप को स्थगित कर दिया गया है।
दीपा ने 2016 में हुए रियो ओलंपिक में चौथा स्थान हासिल कर इतिहास रचा था। हालांकि वह .150 के अंतर से ब्रॉन्ज मेडल जीतने से चूक गई थीं। दीपा करमाकर ने 15.066 का स्कोर किया था, जबकि स्विट्जरलैंड की गियुलिया स्टेइनग्रबर ने 15.216 का स्कोर कर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया था।