आसन के बारे में
इस आसन को समझने के लिए हमें इसके नाम को ध्यान से समझना होगा। ये धनुरासन से काफी अलग है और इसके फायदे भी काफी अधिक हैं। शरीर को लचीला बनाना ही शरीर को फिट रखने का पहला कदम है। जिम में इससे उलट काम होता है जबकि योग आपको रिलैक्स रहना और लचीला बनने में मदद करता है। अगर शरीर लचीला होगा तो आपको परेशानी कम पेश आएगी।
इस आसन का नाम है आकर्णधनुरासन जिसमें आ को आवाहन यानी पुकारने से जोड़कर देखा जाता है। कानों को कर्ण कहा जाता है और इसके अगले शब्द का अर्थ धनुष से है। अगर आप इसको एक साथ जोड़ेंगे तो ये बात साफ हो जाती है कि इस आसन के लिए आपको अपने शरीर को एक बाण की तरह ही खींचना होता है और इसमें आपकी मदद आपके हाथ करते हैं।
आसन से पहले क्या करें
वार्मअप करें और अगर शरीर में कहीं भी कोई भी दर्द या दबाव हो तो इसको ना करें। इस आसन को करने से आपको तब बचना चाहिए जब आपके हाथों, पैरों या फिर कानों में कोई दिक्कत हो। इसके अलावा ऐसी कोई स्थिति नहीं है जिसमें आपको इस आसन को करने से खुद को रोकना चाहिए। वीरासन, भुजंगासन, ऊर्ध्व मुख श्वानासन एवं सेतु बंधासन को इस आसन से पहले किया जा सकता है।
आकर्ण धनुरासन को नियम वर करने का सही तरीका
1. योग मैट पर बैठ जाएं। इस दौरान आपका सर, पीठ और कंधे एकदम सीधी स्थिति में रहेंगे।
2. हथेलियों को जाँघों पर रखें और अपने पैरों को आगे फैला लें।
3. अब आगे झुकें और अपने बाएं पैर के अंगूठे को बाएं हाथ से पकड़े। इसके बाद दाहिने हाथ से भी यही करें।
4. अब दाहिने पैर को अंगूठे के माध्यम से कान के पीछे लाएं लेकिन इस दौरान आपका बायाँ पैर उसी अवस्था में
रहेगा और जमीन पर ही रहेगा।
5. इस आसन को करते हुए आप ये महसूस करेंगे कि आप एक धनुष के बाण वाली आकृति को बना रहे होंगे।
6. इस आसन को अब बाएं पैर के साथ दोहराएं और दोनों पैरों के साथ इसे दो दो बार करना चाहिए।
आकर्ण धनुरासन के बाद कौन सा आसन करें
इस आसन के बाद आपको अर्ध मत्स्येन्द्रासन एवं सुप्त पादांगुष्ठासन को करना चाहिए। ये आसन आपको काफी पहुचाएंगे और आपके शरीर में किसी भी परेशानी को होने से रोकेंगे। इस आसन को करने से क्या लाभ आपके शरीर को मिलते हैं उसके बारे में हम नीचे बताने वाले हैं और ये जानना आपके लिए जरूरी होगा।
आकर्ण धनुरासन से होने वाले फायदे
शरीर की मसल्स को टोन करने में मदद करता है। इसके साथ साथ पूरे शरीर में खून का संचार इसके कारण से बढ़ जाता है। पाचन से जुड़ी कोई भी समस्या हो तो आप उसको इससे ठीक कर सकते हैं जिसमें पुरानी से पुरानी कब्ज भी शामिल है। अगर आपको साँस लेने में परेशानी पेश आ रही है तो इस आसन को करने से आपकी साँस लेने की प्रक्रिया ठीक होगी क्योंकि इससे फेफड़ें खुलते हैं। चेस्ट, कंधे, रीढ़ की हड्डी, पेट की मसल्स और गर्दन को ये लचीला बनाता है।
आकर्ण धनुरासन से किन्हें बचना चाहिए
रीढ़ की हड्डी में दर्द, गंभीर बीमारी, डायरिया, गर्दन में, कंधों में दर्द हो तो इस आसन को बिल्कुल ना करें। घुटने में दर्द हो या आप आर्थराइटिस से परेशान हों तो इस आसन को दीवार के सहारे ही करें। दिल और हाई ब्लड प्रेशर के मरीज इस आसन को बिल्कुल ना करें। ये बात ध्यान रखें कि योग आपकी सेहत को ठीक करने के लिए किया जा रहा है तो आप इसे किसी भी तरह से खराब नहीं करना चाहेंगे।