आसन के बारे में
इस आसन को विष्णु आसन भी कहा जाता है। इस आसन को करने का तरीका ही इसके नाम के पीछे एक अहम कारण है। अगर आपने भगवान विष्णु की शय्या को देखा है तो आप इस आसन को समझ चुके होंगे। इस आसन को अंग्रेजी में इटरनल वन पोज कहते हैं। अंग्रेजी में योग की मुद्राओं को पोज के नाम से संबोधित किया जाता है।
विष्णु आसन से पहले कौन सा आसन करें
इस आसन को करने से पहले आप अपने शरीर को एक नियत अवस्था में लाना चाहेंगे ताकि आपको आसन के समय कोई परेशानी पेश ना आए। इसलिए ये जरूरी है कि आप हल्का फुलका वार्मअप कर लें। यदि आप त्रिकोणासन,अधोमुख श्वान आसन, सुप्तपदांगुष्ठासन, या उत्तानपादासन को करना जानते हैं तो आप उन्हें या इनमें से किसी एक को भी अनंतासन स पहले कर सकते हैं।
अनंतासन को नियम वर कैसे करें
इस आसन को करने के लिए आप पहले मैट पर दाईं करवट लेकर लेट जाएं। इस दौरान आपके हाथ एवं पैर एकदम सीधे होने चाहिए। अब आप अपने दाहिने हाथ को कोहनी से मोड़ें और उससे अपने सर को सहारा दें। इसके बाद अपने बाएं पैर को छाती की तरफ लाएं और बाएं हाथ से बाएं पैर के अंगूठे को पकड़ें।
अब आप अपने बाएं हाथ एवं पैर को ऊपर की तरफ उठाएं और इसे उसी अवस्था में पंद्रह से बीस सेकेंड के लिए रखें। इसके बाद करवट बदल लें और इसी क्रम को दोहराएं। आप चाहें तो कम से कम पाँच बार इस क्रम को दोनों पैरों के साथ कर सकते हैं। इससे होने वाले फायदे आपको हैरान कर देंगे।
अनंतासन से होने वाले लाभ
आप अनंतासन के बाद शवासन कर सकते हैं और उससे आपको काफी लाभ मिलेगा। इस स्थिति में आपको पीठ को सीधा करने का मौका मिलेगा। अनंतासन आपकी रीढ़ की हड्डी एवं कमर को मजबूत बनाता है। इसके साथ साथ ये पाचन, खून के बहाव, पैरों की मांशपेशियों, जाँघों को मजबूत और ब्लड प्रेशर को ठीक करता है।
अनंतासन से पहले बरतें ये सावधानी या किन्हें नहीं करना चाहिए
गर्दन या कंधों में दर्द, स्पॉन्डिलाइटिस, स्लिप डिस्क या सायटिका है तो इस आसन को भूलकर भी ना करें। रीढ़ की हड्डी या कमर से जुड़ी अगर कोई परेशानी है तो इस आसन को बिल्कुल ना करें। पेट के मरीज भी इसको ना करें क्योंकि ये कष्ट को बढ़ा सकती है। आप पहले सेहत को फिट करें और फिर ये आसन करें।