अस्थमा के मरीजों के लिए सांस लेना एक परेशानी के जैसा है और जिसका निवारण भी इतनी आसानी से नहीं मिलता है। यही वजह है कि उन्हें अमूमन इन्हेलर के सहारे अपने जीवन को ठीक करने या ठीक रखने का प्रयास करना होता है जो कहीं से भी आसान काम नहीं है। आज कल के माहौल को देखते हुए ये बात और भी महत्वपूर्ण हो जाती है।
अगर आपको कोरोनावायरस के दौरान खुद को सुरक्षित रखना है तो घर पर रहकर और सेहत पर ध्यान देकर ही आप खुद को इस परेशानी से बचा सकते हैं। इसके बावजूद कुछ लोगों के लिए ये बेहद परेशानी का सबब हो सकता है और अस्थमा के मरीज इसमें सबसे आगे हैं क्योंकि कोरोनावायरस के दौरान सांस लेने में तकलीफ होना भी उससे जुड़े एक लक्षण में शामिल है।
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सेहत सबसे ज्यादा जरूरी चीज है और अगर सेहत है तो आप खुद को फिट रख सकते हैं। ऐसे में जरूरी है कि आप अपना ध्यान रखें और अपने शरीर पर काम करें। अगर आप योगासन करना पसंद करते हैं तो ये बेहद अच्छी बात है क्योंकि इससे कई बीमारियाँ दूर रहती हैं और इस आर्टिकल में हम उन आसनों के बारे में बताने वाले हैं जो अस्थमा को कम या खत्म करने में सहायक हैं।
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अस्थमा के लिए 5 योगासन
अनुलोम विलोम
अगर आपको इसको करने की विधि पता है तो ये बेहद अच्छी बात है वरना इस बात का ध्यान रखें कि इसको गलत करना सेहत के लिए हानिकारक है। अपने हाथों के अंगूठे से आपको नाक का एक छिद्र बंद करना है और दूसरे से साँस अंदर लेनी है और फिर जिससे साँस अंदर खींची है उसे बंद करके दूसरे वाले छिद्र से साँस बाहर करनी है। इस प्रक्रिया को लगातार करने से बेहद लाभ होता है।
सेतुबंधासन
आप इसके लिए पहले पीठ के बल लेट जाएं और अपने शरीर को अब धीरे धीरे कमर के पास से ऊपर उठाएं। पंजों को जमीन पर रहने दें और हाथों को धीरे से जमीन से उठाकर पीठ के पीछे ले जाएं। ऐसा करते ही आपको एक अलग प्रकार की ऊर्जा का अनुभव होगा। इस स्थिति में आपको अपने शरीर को ऐसी स्थिति में ले आना है कि आपकी छाती ठुड्डी को छूने लगे।
अर्धमत्स्येन्द्रासन
इस आसन को करते समय अपना ध्यान रखें और ये भी ध्यान दें कि अगर आपको कमर या पैरों में कोई चोट हो तो इसे ना करें। इसको करते समय आप बारी बारी से दोनों पैरों के साथ करें और अपने बाएं पैर को मोड़कर कूल्हे के साथ लगा लें। अब दाहिने पैर के अंगूठे को पकडे और पैर को आधा मोड़ लें ताकि घुटना जमीन के सामने परपेंडिकुलर हो जाए। अब अपने दाएं पैर के अंगूठे को छोड़ दें और बाएं पैर के पंजे पर हाथ रखें एवं सर पीछे कर लें। ऐसी स्थिति में हों कि आपका सर पीछे की तरफ देख रहा हो और और ठोड़ी एवं कंधा एक ही दिशा में हों।
भुजंगासन
जमीन पर पेट के बल लेट जाएं और पैरों को जोड़ के रखें। इसके बाद कंडे और हथेलियों को एक सीध में ले आएं। अब शरीर को नाभि से ऊपर उठाएं और अंदर साँस लें। इसके बाद कुछ सेकेंड तक उसे रोककर फिर बाहर करें। ऐसा करते ही आप जमीन पर दोबारा आ जाएं और इस प्रक्रिया को 5 बार दोहराएं।
शवासन
जमीन पर पीठ के बल लेट जाएं। पैरों के बीच में अधिकतम अंतर रखें और हाथों को शरीर से 6 इंच की दूरी पर ले जाएं। ऐसा करते ही आपको अच्छा लगेगा और आपके शरीर में एक ऊर्जा का संचार होगा। ऐसी स्थिति में अब आँखें बंद कर लें और आराम करें जबतक कि आपको उठने का मन ना करे।
