Ayurvedic Treatment for blood bile in hindi: रक्तपित्त की समस्या के पीछे का कारण गलत खान-पान और शरीर में अधिक उष्णता बताया गया है। इसके चलते शरीर के कुछ अंगों से खून निकलने लगता है। यह रक्त नाक, मूत्र मार्ग, गुदा मार्ग या फिर योनि से आ सकता है। ऐसे में इसे हमे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। कुछ आयुर्वेदिक उपचारों के जरिए इसे ठीक किया जा सकता है। रक्तपित्त (Rakt Pitt ka ilaj) तीन प्रकार का बताया गया है।
वातज रक्तपित्त: अगर रक्तपित्त में वायु की अधिकता होती है तो खून काला या लाल, झागदार निकलने लगता है। इसमें खून गुदा, योनि या लिंग से आने की संभावना ज्यादा रहती है।
कफज रक्तपित्त: इस रक्तपित्त की समस्या में कफ की अधिकता होने पर खून गाढ़ा, चिकना निकलता है। इसमें नाक एवं मुंह आदि से खून निकल सकता है।
पित्तज रक्तपित्त: इसमें अगर रक्त में पित्त की अधिकता होती है तो खून काढ़े की तरह काला या नीला हो निकलता है।
रक्तपित्त की आयुर्वेदिक औषधियां
रक्तपितान्तक लौह
रक्तपित्त कुल कुठार रस
प्रवाल भस्म (Prawal Bhasma)
तीक्षणादि वटी
वासरिष्ट (vasarishtam)
बब्बुलारिष्ट
अकीक भस्म (Akik Bhasma)
उशीरासव (Ushirasava)
बोलप्रपटी
शतमूलादि लौह
ख़रीदपुष्पादि
वासावलेह
रक्तपित्त का आयुर्वेदिक इलाज
-अनार व आंवला कारगर (pomegranate and amla effective)
-नकसीर आने के बाद उपवास रखें। इसके बाद सत्तू को पानी में घोलकर पीने से लाभ मिल सकता है।
-धान के चूर्ण में गाय का घी (Ghee) व शहद मिलाकर खाने से लाभ मिल सकता है।
-रक्तपित्त की समस्या होने पर मूंग, मसूर, चना और अरहर की दाल का पानी पीने की सलाह दी जाती है। इससे ये समस्या काफी हद तक ठीक हो जाती है।
-पटोल, नीम (Neem), बांस, प्लक्ष, चिरायता, कांचनार के फूल को पानी में उबाल कर इसमें घी मिला लें और इसे पी जाएं।
-गाय का दूध, अंगूर (Grapes), गन्ना, दूर्वा व प्याज के रस की दो-दो बूंद नाक में डालने से भी इस समस्या से आराम मिलता है।
-मुनक्का व छोटी हरड़ के क्वाथ में शहद व चीनी मिलाकर पीने से फायदा मिलता है।
-चाय-कॉफी या गर्म पेय से दूरी बना ले।
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।