पागलपन का 5 आयुर्वेदिक उपचार- Pagalpan ka 5 Ayurvedic Upchar

ये है पागलपन का 5 आयुर्वेदिक उपचार
ये है पागलपन का 5 आयुर्वेदिक उपचार

Ayurvedic Treatment for Madness in hindi: पागलपन एक मानसिक रोग है जिसमें रोगी को कई सारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। ये रोग कई प्रकार की विकृतियों के कारण हो सकता है। इसलिए हमेशा सलाह दी जाती है कि बड़ी से बड़ी हानी और खुशी के वक्त भी शांत भाव से रहना चाहिए। ज्यादा उत्तेजित नहीं होना चाहिए क्योंकि, इसका असर सीधा हमारे दिमाग पर पड़ता है। कई बार ज्यादा प्रसन्न होना भी पागलपन का कारण बन सकता है या फिर कोई ऐसी चीज जिसके चलते दिल को आघात पहुंचा हो। कुछ आयुर्वेदिक उपचार पागलपन की समस्या से छुटकारा दिलाने में काफी मदद कर सकते हैं।

पागलपन का 5 इलाज

खिरेंटी

ये एक तरह का सफेद फूल है जिसका आयुर्वेद चूर्ण तैयार कर मानसिक समस्याओं से जूझ रहे लोगों को देता है। ये बेहद ही लाभकारी बताया गया है। इसके लिए खिरेंटी का चूर्ण और साढ़े तीन तोला (10 ग्राम) पुनर्नवा की जड़ का चूर्ण ले लें और दोनों को क्षीर-पारू की विधि से दूध में पकाकर ठंडा होने के बाद नियमित रूप से सुबह पीए। इससे बहुत जल्द असर दिखने लगेगा।

सरसों के तेल (Mustard oil)

पागलपन में सरसों का तेल भी काफी लाभकारी माना गया है। आयुर्वेद के अनुसार सरसों के तेल (Pagalpan me faydemand hai sarso ka tel) की नस्य देने या फिर आंखों में आंजने से पागलपन को दूर किया जा सकता है। इसके साथ ही आप चाहे तो रोगी के पूरे शरीर पर सरसों का तेल लगाकर और उसे बांधकर धूप में चित्त सुला दे। इससे भी इस समस्या से काफी हद तक छुटकारा मिलता है।

ब्राह्मी (Brahmi)

पागलपन को दूर करने के लिए 40 ग्राम ब्राह्मी के पत्तों का स्वरस, 12 रत्ती कूट का चूर्ण और 48 रत्ती शहद को एक साथ मिलाकर पीने से लाभ मिलता है।

पेठे के बीज (Petha Seeds)

पेठे के बीज भी पागलपन (Pethe ke bij se door kare Pagalpan) की समस्या में फायदेमंद माने गए हैं। इसके लिए किसी मिट्टी के बर्तन में 50 ग्राम पानी डालकर उसमें 20 ग्राम पेठे के बीजों की गिरी डालकर रातभर के लिए भिगों कर रख दें और सुबह उसे सिल पर पीसकर छान लें और 6 माशा शहद मिलाकर सेवन करने से लाभ मिल सकता है।

त्रिफला (Triphala)

आयुर्वेद त्रिफला को कई रोगों में जड़ी-बूटी के रूप में इस्तेमाल करता है। पागलपन (Pagalpan Ko dur karne ke liye Trifla) में भी त्रिफला अच्छा असर दिखा सकता है। इसके लिए सुबह गुनगुने पानी के साथ त्रिफला का सेवन करना चाहिए। साथ ही रोगी को सोयाबीन को दूध के साथ खिलाने से भी आराम मिलता है।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Edited by Ritu Raj
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