सहज शंख मुद्रा के फायदे- Sahaj Sankh Mudra ke fayde

सहज शंख मुद्रा के कमाल के हैं फायदे
सहज शंख मुद्रा के कमाल के हैं फायदे

योग भारत का प्राचीन इतिहास है, हमारे ग्रंथों में इसका खूब जिक्र है। प्राचीन समय में लोग योग के जरिए कई सौ वर्षों तक जीवित रहते थे। योग के जरिए गंभीर से गंभीर रोगों को दूर किया जाता था। आज के समय में हम अपने काम में इतना बिजी हो गए हैं कि, अपनी सेहत पर ही ध्यान देना भूल गए हैं। इसके साथ ही बाहर के भोजन पर ज्यादा ध्यान देते हैं जिसके चलते कई सारी समस्याएं तेजी से उपज रही हैं। जब हम तला-भूना, तीखा खा लेते हैं तो कई बार पाइल्स जैसी समस्या हो जाती। ऐसे में सहज शंख मुद्रा काफी काम आएगा। इसके साथ ही ये मुद्रा महिलाओं के लिए भी काफी फायदेमंद होता है। हकलाकर बोलने वाले व्यक्ति के लिए सहज शंख मुद्रा काफी लाभकारी माना गया है।

सहज शंख मुद्रा के फायदे

1- हकलाने (stammer) तुतलाने वाले व्यक्ति को पता होता है कि उसे क्या बोलना है लेकिन वो बोल नहीं पाता और एक ही अक्षर या शब्द को बार-बार कहता है। यह समस्या बोलने से जुड़ी मांसपेशियों और जीभ पर नियंत्रण न होने पर होती है। ऐसे में सहज शंख मुद्रा करने से इस समस्या में काफी लाभ मिल सकता है।

2- बवासीर-फिशर (Piles and Fissure) सहज शंख मुद्रा करते वक्त हथेलियों के उंगलियों को एक दूसरे से बांधा जाता है और इससे मूल पर स्थित बड़ी आंत व मलद्वार से संबंधित एक्यूप्रेशर के बिंदुओं पर दबाव पड़ता है जिसके चलते, बवासीर के साथ ही फिशर की समस्या से छुटकारा मिलने में मदद मिलती है।

3- पाचन शक्ति (digestive power) सहज शंख मुद्रा से वायु विकार समाप्त होता है साथ ही आंतों के रोग भी दूर होते हैं। ये मुद्रा हमारा पाचन शक्ति ठीक करती है।

4- जिन महिलाओं को मासिक धर्म की अनियमितता (menstrual irregularities) की समस्या है उन्हें ये आसन करने से लाभ मिलता है। नियमित रूप से करने पर कुछ समय बाद मासिक धर्म नियमित हो जाता है।

5- सहज शंख मुद्रा गले के रोग (throat diseases) ठीक होने के साथ ही कंठ की आवाज में मधुरता आती है।

6- जब सहज शंख मुद्रा करते हैं तो इससे हथेलियों व अंगूठे के निचले हिस्से पर दबाव पड़ता है जिससे मणिपुर चक्र (नाभि) एवं अनाहत चक्र (हृदय के पीछे) पर भी अनुकूल प्रभाव पड़ता है और इससे गले को लाभ पहुंचता है और साथ ही रक्त का संचार (blood circulation) सही ढंग से होता है।

7- विधि (process) इस मुद्रा को करने के लिए सबसे पहले अपने दोनों हाथों की अंगुलियों का आपसर में फसा लें और मिला दें। इसके बाद दोनों अंगूठों को मिलाकर तर्जनी उंगली को हल्का दबाये। इसे कम से कम 2 या 3 बार 15 मिनट तक करे।

अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।

Edited by Ritu Raj
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