इमोशनल पेन कोई आम तरह का दर्द नहीं है. इसमें हमें चोट भी लगती है और दर्द भी होता है लाजमी है कि उसकी चोट हमें दिखाई नहीं देती. यह चोट हमें हमारे हृदय पर लगती है और हमारे मानस पर लगती है. इसीलिए इसका दर्द भी हमें नजर नहीं आ सकता. ऐसा दर्द है जो व्यक्ति स्वयं ही महसूस कर सकता है. इमोशनल पेन से गुजर रहा हर शख्स बहुत ही परेशान, निराश और थका हुआ महसूस करता है साथ ही वह तरह-तरह के शारीरिक दर्द से निपट रहा होता है. यह कोई आंख का दर्द नहीं है जो अगला व्यक्ति हमारा दर्द समझ जाए इसीलिए इमोशनल पेन बहुत ही घातक और बहुत ज्यादा रुष्ठ कर देने वाला होता है.
इमोशनल पेन एक प्रकार का मनोवैज्ञानिक दर्द है जो गैर-भौतिक स्रोतों से आता है। यह किसी और के अपमान या आहत शब्दों से उत्पन्न हो सकता है या दुःख, पछतावे या प्रियजनों को खोने के परिणामस्वरूप हो सकता है। कुछ मामलों में, यह कुछ अंतर्निहित मानसिक विकार जैसे चिंता या अवसाद का परिणाम हो सकता है
इमोशनल पेन से आप ऐसे पा सकतें है छुटकारा:-
1. अतीत को भुला दें:
हम समझ सकते हैं कि अतीत को भुलाना आसान नहीं लेकिन जो अतीत आपको गहरे घाव देकर जाए, जिसमें खुशी की कोई गुंजाइश ना हो उसे भूल जाना या भुला देना ही एक समझदारी की बात बचती है. जो लोग अपने अतीत से चिपके रहते हैं, वे अक्सर इमोशनल प्रेम के शिकार बन जाते हैं.
2. दर्दनाक विचारों का मुकाबला करने के लिए एक सकारात्मक बने:
अगर आप किन ही दर्दनाक हादसों या किस्सों के बारे में सोचते रहते हैं. जो आपने कभी महसूस किए हैं. आप जिनसे गुजरे हैं. तो आपको उन हादसों को या उन दर्दनाक दृश्यों को अपने मन से निकालना होगा. जिस दिन आप ऐसा कर लेंगे. उस दिन आपका यह इमोशनल पेन हमेशा के लिए आप को अलविदा कह देगा. मगर आपको यह करना होगा अगर आप चाहते हैं कि आपका यह मानसिक दर्द आपसे कोसों दूर चला जाए.
3. शारीरिक दूरी बनाएं:
इमोशनल पेन के दौरान इंसान कई तरह के दर्द से गुजर रहा होता है जैसे शारीरिक और मानसिक दोनों तरह के केस में हमें ध्यान रखना चाहिए और कुछ समय के लिए शारीरिक दूरियां बनानी चाहिए. जब हम ऐसा कर लेते हैं तो हमें सोचने समझने का समय मिलता है. हम अपने दिमाग को रिबूट करने के लिए तैयार होते हैं इसीलिए जरूरी है के अवस्था में शारीरिक संबंध ना बनाए जाए.
4. अपना काम खुद करो
हम जितना अपने मानस को व्यस्त रखने की कोशिश करेंगे आपका इमोशनल पेन उतना ही काम होगा. तो यदि आप इमोशनल पेड़ से गुजर रहे हैं. तो बिल्कुल भी खाली ना बैठे कोशिश करें कि अपने दिमाग को और स्वयं को आप व्यस्त रखें.
5. अपने साथ नम्र रहें:
इमोशनल पेन के दौरान अक्सर इंसान खुद को दोषी ठहराने लगता है. दोषी ठहराने से आप दोषी नहीं हो जाएंगे इसीलिए जरूरी है कि आप अपने आप पर नरम रहे. अपने आप पर जो लोग काफी कठोरता बरतते हैं वह लोग किस तरह से अपने मानसिक पेन को बढ़ा लेते हैं इसका अंदाजा उन्हें खुद नहीं लगता. इसलिए जरूरी है अपने इमोशनल पेन पर कंट्रोल करें और खुद को दोष ना दें.
6. नकारात्मक भावनाओं को जाने दो:
नकारात्मक बातें या नकारात्मक भाव आपके दिल में आते हैं तो जरूर हैं पर आप उन्हें जाने दें क्योंकि ऐसा कोई व्यक्ति नहीं जिसके मन में नकारात्मक बातें ना आती हों लेकिन समझदार व्यक्ति वह है जो इन बातों को पकड़े ना बल्कि जाने दे. हम कोशिश करेंगे हमारी जुबां से जो कुछ भी निकले उसमें नकारात्मकता या नकारात्मक शब्द ना शामिल हो. जब आप सकारात्मक रहेंगे तो आपका जीवन सकारात्मकता की ओर बढ़ेगा और आप इमोशनल पेन से निजात पा पाएंगे.
अस्वीकरण: सलाह सहित यह सामग्री केवल सामान्य जानकारी प्रदान करती है। यह किसी भी तरह से योग्य चिकित्सा राय का विकल्प नहीं है। अधिक जानकारी के लिए हमेशा किसी विशेषज्ञ या अपने चिकित्सक से परामर्श करें। स्पोर्ट्सकीड़ा हिंदी इस जानकारी के लिए ज़िम्मेदारी का दावा नहीं करता है।