दीपिका ठाकुर भारतीय महिला हॉकी टीम की अहम सदस्य हैं। उन्हें माना जाता है कि वह सबसे खतरनाक डिफेंडर हैं और उनकी मौजूदगी में विपक्षी टीम गोल करने में असफल ही रहती है। इस बार रियो में वह भारतीय टीम में शामिल हैं। जिसमें टीम ने 36 साल बाद जगह बनाई है। आइये एक नजर डालते हैं, डिफेंडर दीपिका के बारे में इन 10 बातों पर #1 दीपिका ठाकुर हरियाणा के यमुनानगर में 7 फरवरी सन 1987 में जन्मीं थीं। इस वक्त वह भारतीय महिला हॉकी टीम की उपकप्तान भी हैं। अपने पेरेंट्स के खिलाफ जाकर उन्होंने हॉकी स्टिक अपनाई थी। दीपिका एक ऐसे राज्य में पैदा हुईं जहाँ लकड़ियों की बेहद कम उम्र में शादी रचा दी जाती है। लेकिन इस विषम परिस्थिति में भी उन्होंने हार न मानते हुए देश की हॉकी टीम में जगह बनाई। इसके अलावा वह इस वक्त रेलवे में नौकरी भी कर रहीं हैं। #2 ऐसा माना जा रहा था कि दीपिका आने वाले अक्टूबर में शादी कर लेंगी, लेकिन उन्होंने रियो ओलंपिक के चलते इसे फ़िलहाल टाल दिया है। अभी उनकी पहली इच्छा देश के लिए मेडल जीतने की है। दीपिका के पिता की मौत साल 2013 में हो गयी थी। इसलिए उनकी माँ उनकी शादी करते हुए देखना चाहती हैं। “मैंने पिछले साल एशियन खेलों के बाद शादी करने का फैसला कर लिया था। लेकिन मेडल जीतने के बाद मैंने अपनी माँ से ओलंपिक क्वालीफ़ायर तक रुकने का निवेदन किया था। और अब हम ओलंपिक के लिए क्वालीफाई कर चुके हैं। ऐसे में अभी शादी का कोई सवाल ही नहीं उठता है। इसके अलावा अब मेरी माँ भी मुझे खेल के प्रति फोकस करने को कह रहीं हैं। ” #3 29 बरस की अनुभवी खिलाड़ी ने अबतक दो बार विश्वकप भी खेला है। दीपिका ने साल 2006 और 2010 वर्ल्डकप में प्रतिभाग किया था। #4 एशियन (2010) और कॉमनवेल्थ (2014) खेलों में दीपिका भारतीय टीम का अभिन्न अंग रहीं हैं। #5 दीपिका ने नियमित कप्तान रितु रानी की गैरमौजूदगी में बीते साल अप्रैल में न्यूज़ीलैंड में हुए हॉक बे कप में भारतीय टीम की कमान भी संभाली थी। जहाँ टीम ने अच्छा प्रदर्शन करते हुए 6ठा स्थान हासिल किया था। #6 दीपिका को इस साल ध्रुव बत्रा प्लेयर ऑफ़ द इयर का अवार्ड भी मिला है। वह साल की सबसे ज्यादा सफल और प्रेरणादायी हॉकी खिलाड़ी रहीं हैं। उन्हें सम्मान के साथ-साथ 25 लाख रुपये भी मिले हैं। इस इवेंट में सभी महिला हॉकी खिलाड़ियों ने 36 साल बाद ओलंपिक में क्वालीफाई करने पर उत्साह जताया और दीपिका की तारीफ की। “रियो के लिए क्वालीफाई करना सभी की मेहनत का फल है। हमें पहचान मिलने लगी है जिससे हम काफी प्रेरित हुए और कठिन मेहनत किया। ओलंपिक खेल शुरू होने वाले हैं ऐसे में हमें कठिन मेहनत करनी है। ” #7 बेल्जियम में दीपिका का प्रदर्शन बेहद खास रहा और इसके बदौलत टीम इंडिया ने हॉकी वर्ल्ड लीग में 5 वां स्थान हासिल किया। जिसकी मदद से भारत ने ओलंपिक के लिए क्वालीफाई भी कर लिया। आशा है भारतीय टीम रियो ओलंपिक में नए कीर्तिमान स्थापित करेगी। #8 हॉक बे कप में जापान के खिलाफ दीपिका ने विनिंग गोल किया था। जहाँ स्कोर 2-2 पर था। वहीं दीपिका के गोल से टीम इंडिया ने टूर्नामेंट में अच्छा स्थान हासिल किया। #9 साल 2014 से वह भारतीय टीम की उपकप्तान हैं और वह हमेशा जूनियर खिलाड़ियों की मदद को आगे आती रहती हैं। साथ ही वह टीम के लिए निस्वार्थ खेलती रहती हैं। ऐसा माना जाता है कि वह भारत की सबसे बेहतरीन डिफेंडर हैं। वह अक्सर विपक्षी स्ट्राइकरों पर भारी पड़ती हैं। “मैं टीम की बतौर सदस्य और उपकप्तान हमेशा खेल में अपना 100 फीसदी देने की कोशिश करती हूँ। मेरी हमेशा ये कोशिश रही है कि सभी खिलाड़ी को अपने खेल पर भरोसा हो और हम सब एक इकाई की तरह खेलें। देश के लिए खेलते हुए सीनियर और जूनियर जैसी कोई बात नहीं होती है क्योंकि यहाँ आकर हर कोई देश के लिए खेलता है। ” #10 दीपिका महिलाओं के लिए हॉकी इंडिया लीग कराने को लेकर लगातार आवाज उठाती रही हैं। जिससे महिला खिलाड़ियों को ज्यादा से ज्यादा मौके मिलें और नई प्रतिभा सामने आये। इस लीग में दुनिया भर की खिलाड़ियों के साथ घरेलू खिलाड़ियों को खेलने का मौका मिलेगा। जिससे उन्हें काफी फायदा होगा। उनका मानना है कि इस वजह से राष्ट्रीय स्तर पर अच्छी प्रतिभाएं सामने आएँगी और भारत हॉकी में दोबारा सुपरपॉवर बन सकता है। “अभी अगर देखा जाये तो लड़कियां हॉकी खेलने से कतराती हैं, जिसकी वजह पैसा है। अगर आप नजदीकी निगाह से देखें तो हरियाणा, पंजाब, रेलवे, ओडिशा, झारखंड और एमपी से ही नई लकड़ियाँ हॉकी में आ रही हैं, लेकिन ये संख्या भी बहुत कम है। इसलिए महिला एचआईएल राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिभाओं को आगे लाने में पाइपलाइन का काम कर सकता है। ”