देवेंद्र वाल्मीकि भारतीय पुरुषों की हॉकी टीम के अहम सादस्य हैं और अटैक करने में उनका अहम योगदान होता है। ये युवा खिलाडी 2016 रियो ओलंपिक्स में जानेवाली पुरुषों की टीम का हिस्सा होंगे। ये रही उनसे जुड़ी 10 बातें:
- देवेंद्र सुनील वाल्मीकि का जन्म 28 मई 1992 को महाराष्ट्र के मुम्बई में हुआ। वें पुरुषों की हॉकी टीम के अहम सादस्य हैं और ज्यादातर मिड फील्ड में खेलते हैं। हाफ बैक में खेलनेवाले युवराज वाल्मीकि के ये छोटे भाई हैं। छोटी उम्र से ही देवेंद्र एक प्रतिभाशाली खिलाडी रहे हैं। उन्हें भविष्य का स्तर समझा जाता है। "हॉकी फील्ड पर हम ढेर सारा समय ये सोचने में बिताते थे की सामनेवाला खिलाडी क्या करेगा। इसका श्रेय हमारे माता-पिता को जाता है, जिन्होंने हमे इस खेल को खेलने से नहीं रोका।"
- पहली बार उन्होंने साल 2010 में मलेशिया में सुल्तान जोहोर कप में भारत का प्रतिनिधित्व किया। यहाँ पर उनके शानदार प्रदर्शन से वें चयनकर्ताओं की नज़र में आएं।
- नौ साल की उम्र में उन्होंने हॉकी खेलना शुरू किया और बॉम्बे रिपब्लिकन, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, एयर इंडिया जैसी क्लब के लिए खेला और कई टूर्नामेंट्स जीते। "एक बार जब मुझे सीनियर टीम में जगह मिली तो मैंने अपने आप से कहा की अगले एक साल तक शो टाइम है। हालांकि मैंने उस समय ओलंपिक के लिए नहीं सोचा था और एक के बाद एक मैच पर ध्यान दिया करता था।"
- साल 2015 में बेल्जियम के एंटवर्प में आयोजित FIH वर्ल्ड लीग के सेमीफाइनल में सीनियर टीम में डेब्यू किया। उन्होंने उसमें एक गोल किये, जिससे भारत को जीत मिली। "देश के लिए खेलना गर्व की बात है और अगर ये मौका वर्ल्ड स्टेज पर मिले तो इसकी अहमियत और ज्यादा बढ़ जाती है। लेकिन टीम में जगह बनाने के लिए कड़ी मेहनत से भी गुज़रना पड़ा। लेकिन जब मुझे पिच पर खड़े होकर राष्ट्रिय गाण गाने का मौका मिला तो मुझे बहुत गर्व महसूस हुआ। ये मेरे जीवन का सबसे यादगार पल था।"
- देवेन्द्र एक समझदार खिलाडी हैं और मैच में अपनी सूझ-बूझ का इस्तेमाल करते हैं और विरोधी खिलाडी की चाल का अनुमान लगाने का पूरा प्रयास करते हैं। इससे विरोधी पर दबाब पड़ता है। उनमें गज़ब की तेज़ी है जिसका मुकबला करना आसान काम नहीं।
- जुलाई 2016 में छह टीमों के टूर्नामेंट में अर्जेंटीना के खिलाफ 3-3 से ड्रा हुए मैच में उनका अहम योगदान था। उन्होंने 57 मिनट में गोल किया जिससे भारतीय टीम मैच ड्रा कर पाई।
- ये दोनों भाई (देवेंद्र और युवराज) भारत की ओर से वर्ल्ड कप में खेलनेवाले भाईयों की एकमात्र जोड़ी है। दोनों को 2010 में हेग में हुए वर्ल्ड कप के लिए चुना गया था। देवेन्द्र अपने भाई के खासे करीब हैं और उन्हें अपना प्रेरणाश्रोत मानते हैं। "युवराज से ही तो मेरे हॉकी की शुरुआत हुई। मैं आज जो कुछ भी हूँ उन्ही की वजह से हूं। वें मेरे बड़े भाई हैं और उन्होंने ने ही मुझे ये खेल अपनाने के लिए कहा।"
- देवेन्द्र वाल्मीकि कलिंग लैंसर्स के लिए खेलते हैं और 2013 के हॉकी इंडिया लीग में उन्होंने अपने फ्रैंचाइज़ी के लिए बेहतरीन प्रदर्शन किया। टीम ने उनमें विश्वास जताया और उन्हें $60,000 की राशि के साथ अपने साथ बनाये रखा। इसके अलावा वें भारतीय रेल की ओर से भी खेलते हैं।
- साल 2015 में बेल्जियम के एंटवर्प में आयोजित FIH वर्ल्ड लीग के सेमीफाइनल में सीनियर टीम में डेब्यू कर के गोल करने के लिए उन्हें हॉकी इंडिया ने 1 लाख रुपए इनाम में दिए। फ्रांस के खिलाफ भारत ने वो मैच 3-2 से जीता था जिसमें देवेन्द्र ने एक गोल किया था। "जब भी मौका मिले तब टीम की सहायता करनी चाहिए, लेकिन ज़रूरत पड़ने पर सहायता करना बहुत अच्छी बात है।"
- क्लब के दिनों में धनराज पिल्लै और मेज़बान पटेल जैसे दिग्गज उनके कोच रह चुके हैं और देवेन्द्र आज जिस स्थान पर है उसका श्रेय वें इन्हें देते हैं। रियो ओलंपिक्स 2016 के लिए जा रहे पुरुष टीम में देवेन्द वाल्मीकि की अहम भूमिका है।
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