भारतीय महिला हॉकी टीम की मिडफील्डर नेहा गोयल ने सोमवार को कहा कि 2019 में सफल सीजन और कोविड-19 के कारण मौजूदा साल में रुकी गतिविधियों के बावजूद उनका एकमात्र लक्ष्य टोक्यो ओलंपिक्स में इतिहास रचना है। नेहा गोयल के हवाले से हॉकी इंडिया ने बयान जारी करते हुए कहा, 'हमारा पूरा ध्यान टोक्यो ओलंपिक्स में इतिहास रचने पर है। हमने पिछले कुछ महीनों में अपनी फिटनेस पर काफी काम किया है और आगामी महीनों में अपना खेल सुधारने के लिए हम अपना पूरा जोर लगा रहे हैं।'
नेहा गोयल ने आगे कहा, '2019 में हमारा प्रदर्शन शानदार रहा जहां हमने एफआईएच महिलाओं की सीरीज फाइनल्स जीता और एफआईएच हॉकी ओलंपिक क्वालीफायर्स के जरिये ओलंपिक्स में जगह पक्की की। हमने शीर्ष टीमों के खिलाफ पिछले कुछ समय में शानदार प्रदर्शन किया और इसलिए हमारा विश्वास है कि अगले साल टोक्यो में हम इतिहास रच सकते हैं। यही हमारा एकमात्र लक्ष्य है।'
23 साल की नेहा गोयल ने अब तक राष्ट्रीय टीम के लिए 75 मैच खेले हैं। नेहा गोयल इस समय साई के बेंगलुरु सेंटर में नेशनल कैंप में शामिल हैं, जो 30 सितंबर को समाप्त होगा। हॉकी में करियर बनाने के लिए भारतीय मिडफील्डर नेहा गोयल और उनके परिवार ने कितनी कठिनाइयों का सामना किया, इस बारे में बताया, 'जब मैंने पांचवीं क्लास में हॉकी खेलना शुरू किया तो काफी कड़ा समय था। मेरी मां दिन-रात काम करती थी ताकि हमे पर्याप्त खाना मिले और इसलिए उनके लिए काफी मुश्किल होता था कि पैसे बचाकर मुझे उपकरण दिला सके। जब मैं शीर्ष स्तर पर पहुंची तो कई चोटे लगी और मैं लंबे समय तक भारतीय टीम से बाहर रही। हालांकि, मेरे लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि कभी हार नहीं मानी।'
नेहा गोयल इन्हें मानती हैं अपना आदर्श
नेहा गोयल ने बताया कि वो पूर्व भारतीय कप्तान प्रीतम रानी सिवाच को अपना आदर्श मानती हैं। उन्होंने कहा, 'जब मैं पांचवीं क्लास में थी तो प्रीतम दीदी के फोटो स्थानीय अखबार में देखती थी। मैं मैदान में जाकर उन्हें खेलते हुए देखती थी। एक दिन उन्होंने मुझसे पूछा कि रोज मैदान में क्यों आती हो और उस दिन मैंने उन्हें बताया कि हॉकी खेलना चाहती हूं। चूकि मेरे माता-पिता हॉकी उपकरण मुझे दिलाने में समर्थ नहीं थे, तो प्रीतम दीदी ने मुझे सारा सामान दिया और अपने खेल पर कड़ी मेहनत करने के लिए प्रोत्साहित किया। मैं आज जहां हूं वहां नहीं होती अगर दीदी का समर्थन नहीं होता।'