खेल रत्‍न अवॉर्ड पाने वाली पहली महिला हॉकी खिलाड़ी बनने पर अपने आंसू नहीं रोक पाईं रानी रामपाल

रानी रामपाल
रानी रामपाल

रानी रामपाल को कभी उम्‍मीद नहीं थी कि खेल रत्‍न अवॉर्ड महिला हॉकी खिलाड़ी को भी मिल पाएगा और यही वजह रही कि वह अपना नाम सुनने के बाद आंसू रोक नहीं पाईं। रानी रामपाल ने कहा कि देश के सर्वोच्‍च खेल सम्‍मान उनकी कड़ी मेहनत और समझौतों का इच्‍छापत्र है। खेल मंत्रालय ने बेमिसाल कदम उठाते हुए पांच एथलीट्स - क्रिकेटर रोहित शर्मा, पहलवान विनेश फोगाट, टेबल टेनिस खिलाड़ी मनिका बत्रा, रानी रामपाल और पैरालंपियन थांगावेलू को इस साल खेल रत्‍न से सम्‍मानित करने का फैसला किया है।

25 साल की रानी रामपाल ने कहा कि पांच लोगों में अपना नाम सुनने के बाद वह अपने आंसू नहीं रोक सकी। रानी रामपाल को ऐसे हाल में देख उनके माता-पिता काफी घबरा गए क्‍योंकि किसी को इस अवॉर्ड की अहमियत का अंदाजा नहीं था कि उनकी बेटी को इतना भावुक क्‍यों कर गईं।

रानी रामपाल ने पीटीआई को दिए इंटरव्‍यू में कहा, 'ईमानदारी से एक महिला हॉकी खिलाड़ी होने के नाते मैंने कभी उम्‍मीद नहीं की थी कि खेल रत्‍न से सम्‍मानित की जाउंगी। जब मुझे इस घोषणा का पता चला तो मैं बहुत भावुक हो गई और अपने आंसू रोक नहीं पाई। मैंने अपने पिता को सबसे पहले फोन करके यह खुशखबरी सुनाई। मैं फोन पर रो रही थी तो वह चिंतित हो गए कि मेरे साथ सब ठीक है या नहीं। मेरे माता-पिता नहीं जानते कि यह अवॉर्ड क्‍या मायने रखता है और जब मैंने उन्‍हें इसके बारे में पूरी जानकारी दी, तो मेरे पिता बहुत खुश हुए और फिर भावुक हुए।'

रानी रामपाल की कहानी काफी प्रेरणादायी

रानी रामपाल भारतीय खेल की वो कहानी है, जिसने फर्श से अर्श तक का सफर तय किया है। गाड़ी खींचने वाले की बेटी ने सिर्फ 15 साल की उम्र में राष्‍ट्रीय टीम में कदम रखा था। रानी रामपाल राष्‍ट्रीय टीम में जगह बनाने वाली सबसे युवा खिलाड़ी थी।

रानी रामपाल का अगला लक्ष्‍य ओलंपिक मेडल जीतना है। रानी रामपाल ने कहा, 'जहां मुझे महसूस होता है कि यह अवॉर्ड मेरी इतने सालों में कड़ी मेहनत, समझौते और खेल के प्रति समर्पण को पहचान दिलाता है, वहीं ओलंपिक मेडल जीतना प्रमुख लक्ष्‍य है। टोक्‍यो में जीतने के लिए हम टीम के रूप में कड़ी मेहनत करेंगे।'

रानी रामपाल ने इन्‍हें समर्पित किया अपना मेडल

टोक्‍यो गेम्‍स कोविड-19 महामारी के कारण एक साल के लिए स्‍थगित हो गए हैं और रानी रामपाल ने अपना अवॉर्ड उन डॉक्‍टर्स व फ्रंटलाइन कर्मचारियों को समर्पित किया, जिन्‍होंने जानलेवा वायरस से लड़ाई में लोगों की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई।

रानी रामपाल ने कहा, 'मैं यह अवॉर्ड कोरोना योद्धाओं को समर्पित करती हूं, जिन्‍होंने अपनी जिंदगी खतरे में डालकर दूसरों की जान बचाई। मैं यह अवॉर्ड अपनी टीम को भी समर्पित करती हूं। यह अवॉर्ड उनकी कड़ी मेहनत और सफलता की पहचान भी है।'

रानी रामपाल ने इस मुश्किल समय में उनका अच्‍छे से ख्‍याल रखने के लिए साई अधिकारियों का भी शुक्रियाअदा किया। रानी रामपाल ने कहा, 'हमने अभी बेसिक खेल गतिविधियां शुरू की है। पिच पर दौड़कर अच्‍छा लग रहा है। मैं साई को धन्‍यवाद देना चाहूंगी, जिन्‍होंने हमारा अच्‍छे से ख्‍याल रखा और भरोसा दिलाया कि हम सुरक्षित पर्यावरण में हैं। हमें कभी डर महसूस नहीं हुआ क्‍योंकि हमें पता है कि हमारा अच्‍छे से ख्‍याल रखा जा रहा है।'