भारत के अनुभवी बॉक्सर विजेंदर सिंह ने 2008 बीजिंग ओलंपिक में ब्रॉन्ज मेडल जीतने के 7 साल बाद पेवेशर बॉक्सिंग को अपना लिया था। विजेंदर सिंह ने तब से कुल 12 पेशेवर मुकाबले खेले और सभी में जीत दर्ज की। अब विजेंदर सिंह की अगली बाउट 19 मार्च को गोवा में रूस के अर्तिश लोपासन से होगी। 35 साल के विजेंदर सिंह और लोपसान के बीच यह मुकाबला गोवा के मनदोवरी नदी में मैजेस्टिक प्राइड कैसीनो शिप के छत पर आयोजित होगा।
विजेंदर सिंह ने आखिरी बार नवंबर 2019 में बाउट खेली थी, जिसमें उन्होंने घाना के चार्ल्स अदामु को दुबई में मात दी थी। विजेंदर सिंह डब्ल्यूबीओ ओरिएंटल सुपर मिडिलवेट और डब्ल्यूबीओ एशिया पैसिफिक सुपर मिडिलवेट चैंपियन भी हैं।
विजेंदर सिंह ने 19 मार्च को होने वाले अपने अगले मुकाबले की ट्रेनिंग को लेकर कहा, 'यह आठ राउंड का मुकाबला होगा। इसलिए मैंने एक सेशन में 10 राउंड के लिए ट्रेनिंग की है। इसके अलावा, हमने दो या तीन राउंड के बाद स्पार्किंग पार्टनर्स को बदल दिया ताकि एक नए प्रतिद्वंद्वी को रखा जा सके, जिससे मेरी स्किल्स का टेस्ट हो सके।'
विजेंदर सिंह ने अपनी नाक की चोट को लेकर कहा, 'ट्रेनिंग के दौरान मेरी नाक पर चोट लग गई थी। लेकिन अब यह ठीक है। मुझे उम्मीद है कि यह एक अच्छा मुकाबला होगा।'
विजेंदर सिंह ने इस तरह की ट्रेनिंग
विजेंदर सिंह का प्रतिद्वंद्वी लोपसान उनसे ज्यादा लंबे हैं और उनके खिलाफ अपने टैकल की योजना को लेकर भारतीय बॉक्सर ने कहा, 'मैंने मांसपेशियों को मजबूत बनाने के लिए अपने से अधिक लंबे बॉक्सर्स के साथ ट्रेनिंग सेशन किया है। उनमें से एक हरियाणा के झज्जर से युवा एशियाई पदक विजेता था। वह सीनियर एथलीट के रूप में मजबूत नहीं थे, लेकिन तकनीकी रूप से यह सीखने में मदद करता है कि आप अपने प्रतिद्वंद्वी की पहुंच से कैसे बाहर रहें।'
लोपसान के खिलाफ विजेंदर सिंह की बाउट भारत में उनकी पांचवीं फाइट होगी। इससे पहले वह नई दिल्ली, मुंबई और जयपुर में खेल चुके हैं।
रूस के प्रतिद्वंद्वी के खिलाफ किसी भी तरह का फायदा होने पर विजेंदर सिंह ने कहा, 'मुझे लगता है कि मैं उससे ज्यादा अनुभवी हूं। मैंने 12 मुकाबले खेले हैं मैंने अमेरिका तथा इंग्लैंड में ट्रेनिंग ली है। मेरा आखिरी मुकाबला दुबई में (नवंबर 2019) हुआ था। जो कि जीत में अहम भूमिका निभाएगा।' अपने मुख्य ताकत के बारे में पूछे जाने पर विजेंदर सिंह ने कहा, 'मैं पावर पैक पंचों में विश्वास करता हूं। धैर्य (सहनशक्ति) वह दूसरा हथियार है, जिस पर मैं भरोसा करता हूं। मुझे शांत रहना पसंद है, भले ही मेरा प्रतिद्वंद्वी आक्रामक क्यों न हो।'