'शूटर दादी' के नाम से मशहूर चंद्रो तोमर का शुक्रवार को कोविड-19 के कारण 89 की उम्र में निधन हो गया। चंद्रो तोमर का मेरठ के अस्पताल में 26 अप्रैल से उपचार चल रहा था। चंद्रो तोमर की देवरानी और सबसे उम्रदराज शूटर्स में से एक प्रकाशी तोमर ने ट्वीट करके यह जानकारी दी। प्रकाशी ने ट्वीट किया, 'मेरा साथ छूट गया, चंद्रो कहां चली गई।'
खेल मंत्री किरेन रीजीजू ने भी चंद्रो तोमर के निधन पर शोक व्यक्त किया। रीजीजू ने ट्वीट किया, 'हमारी सबसे प्यारी दादी चंद्रो तोमर जी के दुखद निधन से मुझे गहरा आघात पहुंचा था। वह लाखों लोगों के लिए प्रेरणास्रोत थी और आगे भी हमेशा बनी रहेंगी। उसकी आत्मा को शांति मिले। ओम शांति।'
बता दें कि चंद्रो तोमर को इस सप्ताह की शुरूआत में सांस लेने में परेशानी हो रही थी, जिसके बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। इलाज के दौरान पता चला कि वह कोविड-19 से संक्रमित हैं। कोविड-19 महामारी के कारण देश में रोजाना 3,000 से अधिक लोगों की मौत हो रही है। उत्तर प्रदेश के बागपत गांव की रहने वाली चंद्रो तोमर ने जब पहली बार निशानेबाजी शुरू की, तब उनकी उम्र 60 साल से ज्यादा थी, लेकिन इसके बावजूद उन्होंने कई राष्ट्रीय प्रतियोगिताएं जीती। उनके और प्रकाशी तोमर के जीवन पर फिल्म 'सांड की आंख' भी बनी है।
शूटर दादी चंद्रो तोमर के निधन से शोक में डूबा देश
सांड की आंख में चंद्रो तोमर का किरदार भूमि पेंडेकर ने निभाया था। बहरहाल, चंद्रो तोमर के निधन से देश में शोक की लहर फैल गई है। अलग-अलग क्षेत्रों के लोगों ने चंद्रो तोमर के निधन पर शोक व्यक्त किया है।
भूमि पेंडेकर ने ट्विटर पर लिखा, 'चंद्रो दादी के निधन की खबर से आहत हूं। लग रहा है कि मेरा एक हिस्सा चला गया है। उन्होंने अपने नियम खुद बनाए और कई लड़कियों को उनके सपने को पूरा करने के लिए मार्ग प्रशस्त किया। उनकी विरासत उन पर जीवित रहेगी। परिवार के प्रति संवेदना।'
भारत के उड्डयन मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने ट्वीट किया, 'प्रशंसकों के बीच 'शूटर दादी' के नाम से पहचानी जाने वाली चंद्रो तोमर नहीं रही। वह लैंगिक समानता और महिलाओं के अधिकारों के लिए आवाज उठाने की प्रतीक है।' इसके अलावा कई सेलिब्रिटीज ने चंद्रो तोमर के निधन पर शोक व्यक्त किया।
चंद्रो ने प्रकाशी तोमर के साथ कई प्रतियोगिताओं में हिस्सा लिया। प्रकाशी भी दुनिया की उम्रदराज महिला निशानेबाजों में शामिल हैं। अपने जीवन में उन्होंने पुरुष प्रधान समाज में कई रुढ़ियों को भी समाप्त किया।