वर्ल्ड टेबल टेनिस चैंपियनशिप के प्री-क्वार्टरफाइनल में चीन से बुरी तरह हारी भारतीय पुरुष टीम

विश्व नंबर 2 चीन के लो मांग के खिलाफ भारत के सथियन अपना मैच हार गए।
वर्ल्ड नंबर 2 चीन के लो मांग के खिलाफ भारत के सथियन अपना मैच हार गए।

भारतीय पुरुष टेबल टेनिस टीम वर्ल्ड चैंपियनशिप के नॉकआउट दौर में गत विजेता और 21 बार की चैंपियन चीन के हाथों बुरी तरह हारकर बाहर हो गई। भारतीय टीम को चीन ने 3-0 से हराया। तीनों सिंगल्स मुकाबले भारतीय खिलाड़ी बुरी तरह हारे। भारतीय महिला टीम पहले ही चीनी ताइपे के खिलाफ हारकर प्री-क्वार्टरफाइनल में बाहर हो गई।

चीन के चांगदू में हो रही इस प्रतियोगिता के प्री-क्वार्टर के पहले सिंगल्स में भारत की ओर से हरमीत देसाई मैदान में उतरे। वर्ल्ड नंबर 124 हरमीत का सामना वर्ल्ड के नंबर 1 खिलाड़ी फेन झेंडोंग से हुआ। पिछले सात सालों से वर्ल्ड के सर्वोच्च रैंकिंग वाले खिलाड़ी बने हुए फेन ने हरमीत को 11-2, 11-9, 11-5 के स्कोर से सिर्फ 15 मिनट में हरा दिया। दूसरे सेट में फिर भी हरमीत ने फेन को अच्छी चुनौती दी, लेकिन पहले और तीसरे सेट में वो कुछ खास नहीं कर पाए।

दूसरे सिंगल्स में वर्ल्ड नंबर 37 और भारत के टॉप पैडलर सथियन ग्नानशेखरन का मुकाबला वर्ल्ड नंबर 2 खिलाड़ी मा लोंग से हुआ। लोंग के खिलाफ सथियन को 14-12, 11-5, 11-0 से हार मिली। 2016 और 2020 में ओलंपिक गोल्ड मेडलिस्ट रह चुके लोंग के खिलाफ पहले सेट में सथियन ने बेहतरीन खेल दिखाया। यहां से उम्मीद जाग रही थी कि सथियन इस मैच में कमाल कर सकते हैं, लेकिन लोंग ने इसके बाद अपने अनुभव का फायदा उठाया और मैच अपने नाम कर चीन को 2-0 से आगे कर दिया।

तीसरे सिंगल्स में मानव ठक्कर के स्थान पर वर्ल्ड नंबर 114 मानुष शाह को मौका मिला। मानुष का मुकाबला वर्ल्ड रैंकिंग में नंबर 11 पर कायम वांग चुकिन से हुआ। वांग ने मुकाबला 11-4, 11-5, 11-6 से अपने नाम कर चीन को 3-0 से जीत दिलाई और क्वार्टरफाइनल में स्थान पक्का कर दिया। चीन की टीम साल 2001 से लगातार वर्ल्ड चैंपियनशिप में पुरुष टीम का खिताब जीतती आ रही है। टीम के पास सबसे ज्यादा 21 खिताब हैं।

पहले क्वार्टरफाइनल में चीन का सामना 5 बार की चैंपियन स्वीडन से होगा। दूसरे क्वार्टरफाइनल में पुर्तगाल और जापान की टीमें आमने-सामने होंगी। दक्षिण कोरिया और हांगकांग तीसरे क्वार्टरफाइनल में भिडे़ंगे जबकि आखिरी मुकाबला जर्मनी और फ्रांस के बीच होगा। भारत ने आजादी से पहले साल 1926 में पहला और एकमात्र बार वर्ल्ड चैंपियनशिप पदक जीता जो कांस्य था। उसके बाद से ही टीम कभी भी कोई मेडल हासिल नहीं कर पाई है।