मॉडलिंग की दुनिया में तहलका मचा चुकी मनिका बत्रा अब हैं भारतीय टेबल टेनिस की पहचान 

Irshad
मनिका बत्रा (Manika Batra)
मनिका बत्रा (Manika Batra)

भारतीय टेबल टेनिस का नाम जब आता है तो सभी के ज़ेहन में मनिका बत्रा (Manika Batra) की तस्वीर सबसे पहले आती है। 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में 24 वर्षीय इस भारतीय महिला पैडलर ने स्वर्ण पदक जीतते हुए न सिर्फ़ इतिहास रचा बल्कि इस खेल की नई पहचान बनकर सामने आईं।

इस उपलब्धि के बाद तो मानों मनिका बत्रा को पूरा देश ही पहचानने लगा और उनके साथ एक फ़ोटो खिंचवाने के लिए लाइन लग जाती है। लेकिन मनिका के लिए इस मुक़ाम तक पहुंचना आसान नहीं रहा है।

16 साल की उम्र में मॉडल मनिका का बड़ा फ़ैसला

मनिका बत्रा की ज़िंदगी का निर्णायक मोड़ तब आया जब वह 16 साल की थीं। उस समय मनिका की मॉडलिंग काफ़ी शानदार चल रही थी लेकिन साथ ही साथ उन्हें खेल में भी करियर बनाने का मन था। मॉडलिंग और खेल के साथ-साथ पढ़ाई भी मनिका के लिए काफ़ी अहम थी।

इस उम्र में एक छोटी से चूक या असावधानी आपकी ज़िंदगी को बदल भी सकती है और बिगाड़ भी सकती है, लेकिन मनिका ने इन तीनों चीज़ों को ठीक उसी अंदाज़ में बैलेंस किया जैसे टेबल पर वह गेंद को करती हैं।

दिल्ली में पैदा होने वाली मनिका बत्रा तीन भाई बहनों में सबसे छोटी थीं, मनिका को टेबल टेनिस का शौक़ अपने भाई बहनों को खेलता देख आया था। मनिका की बहन आंचल बहुत अच्छा खेलती थीं जो संदीप गुप्ता की एकेडमी में सीखा करती थीं। अगले दो दशक तक मनिका ने फिर संदीप गुप्ता के अंदर ही ट्रेनिंग ली।

उनके कोच गुप्ता ने मनिका को ये समझाने की कोशिश की कि उन्हें अब फ़ैसला लेना होगा कि वह मॉडलिंग या खेल में से किसी एक को ही प्राथमिकता दें। मनिका ने यहां से मॉडलिंग को अब प्राथमिकता में दूसरे या तीसरे नंबर पर डाल दिया था और टेबल टेनिस में करियर बनाने की ठान ली थी।

मॉडल से पैडलर बनीं मनिका

पहली बार मनिका बत्रा ने सुर्खियां 2011 में बटोरीं जब उन्होंने चिली ओपन में अंडर-21 कैटेगिरी में रजत पदक जीता। इसके 3 साल बाद मनिका बत्रा ने पहली बार ग्लैस्गो में हुए 2014 कॉमनवेल्थ में भी हिस्सा लिया।

हालांकि मनिका बत्रा का सफ़र क्वार्टरफ़ाइनल से आगे नहीं बढ़ पाया, अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर उन्होंने अपने आगमन की छाप छोड़ दी थी।

अब बारी थी मनिका के करियर बदल देने वाले 2015 कॉमनवेल्थ गेम्स की, जहां उन्होंने तीन पदक जीते थे जिसमें महिला सिंगल्स इवेंट में कांस्य पदक भी शामिल है।

मनिका के लिए तो मानों बस ये शुरुआत थी अगले साल साउथ एशियन गेम्स में भी उन्होंने कमाल का प्रदर्शन करते हुए तीन और पदक अपने नाम किए।

ओलंपिक में निराशाजनक डेब्य, गोल्ड कोस्ट में जीता स्वर्ण

कॉमनवेल्थ गेम्स और साउथ एशियन गेम्स में शानदार प्रदर्शन करने के बाद अब भारत की उम्मीदों का भार रियो 2016 में भी इस 20 वर्षीय पैडलर के कंधों पर आ गया था। जब ओलंपिक्स में पहली बार मनिका बत्रा हिस्सा ले रही थीं, हालांकि मनिका को पहले ही दौर में बाहर होना पड़ा।

2 साल बाद ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में हुए कॉमनवेल्थ गेम्स में मनिका ने बेहतरीन अंदाज़ में वापसी की, और गत विजेता सिंगापुर को हराते हुए मनिका बत्रा ने टूर्नामेंट का सबसे बड़ा उलटफेर सभी को चौंका दिया।

मनिका बत्रा ने महिला सिंगल्स टेबल टेनिस इवेंट में सिंगापुर की पैड्लर यू मेंगू को फ़ाइनल में शिकस्त देकर कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं थीं।

2019 में मनिका बत्रा अंतर्राष्ट्रीय रैंकिंग में टॉप-50 में भी पहुंच गईं, लेकिन वह यहीं नहीं रुकने वाली। मनिका का मक़सद टोक्यो 2020 में अपने प्रदर्शन से देश का नाम रोशन करना है और इसके लिए वह हर मुमकिन प्रयास कर रही हैं।

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