टेनिस के ये 10 दिग्गज जिन्हें अपने करियर में चुनिंदा खिताब नहीं जीतने का रहेगा मलाल

अपने खेल में दिग्गज हो जाना, महान कहलाना ही हर खिलाड़ी का सपना होता है; टेनिस भी कुछ अलग नहीं। कितने ही खिलाड़ियों ने, इतने वर्षों में, टेनिस के अपने पूरे करियर में अपने शानदार प्रदर्शन से इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज करवाकर टेनिस को अलंकृत किया है। इनमें से कितने ही खिलाड़ी विश्व नंबर 1 रहे हैं, सभी चार ग्रैंड स्लैम जीतें हैं, ओलंपिक स्वर्ण जीते हैं, और फिर एक स्टेफी ग्राफ भी रहीं, जिन्होंने 1988 में गोल्डन स्लैम जीतने का कारनामा कर दिखाया जिसका मतलब है चारों ग्रैंड स्लैम और ओलंपिक स्वर्ण एक ही साल में जीत कर अपना नाम स्वर्णिम अक्षरों में सदा के लिए दर्ज कर लेना। हालांकि कुछ ऐसे भी दिग्गज रहे जिन्होंने कई बड़े टूर्नामेंट्स में ट्रॉफियाँ जीतीं पर कुछ ट्रॉफियाँ उनके कैबिनेट तक नहीं पहुँच पाईं। चलिए, नज़र डालते हैं ऐसे कुछ टेनिस दिग्गजों के नाम पर जिन्होंने अपने पूरे करियर में शानदार प्रदर्शन किया पर कुछ बड़े टूर्नामेंट्स जीतने में नाकाम रहे ।


#10 मार्टिना हिंगिस - फ्रेंच ओपन

मार्टिना हिंगिस का नाम नया नहीं। महानतम खिलाड़ियों की सूची में हिंगिस शायद सबसे ऊपर आतीं हैं पर यदि हम आपको बताएं कि उनके नाम फ्रेंच ओपन का खिताब नहीं है तो आपके लिए ये ज़रूर अविश्वसनीय होगा । वो उन कुछ गिनी-चुनी खिलाड़ियों में से एक हैं जो कम से कम हर प्रमुख टाइटल के सिंगल, डबल और मिक्स्ड डबल्स के फाइनल तक तो पहुंची ही हैं पर उनकी टखने की चोटों ने उन्हें जाने कितने ही बड़े टाइटल्स से दूर रखा, नहीं तो हिंगिस ज़रूर ही अपने नाम रहे ग्रैंड स्लैम सिंगल्स टाइटल्स के तीन गुने टाइटल्स की हकदार थीं । हिंगिस 209 हफ़्तों तक WTA रैंकिंग के शीर्ष पर रहीं। 15 साल, 9 महीने की छोटी उम्र में हिंगिस सभी तीन सर्किट में सबसे छोटी ग्रैंड स्लैम चैंपियन बनीं और फिर 16 साल और 117 दिन की उम्र में, मोनिका सेलेस से मात्र 72 दिन पहले हिंगिस ने अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता और सबसे कम उम्र की ग्रैंड स्लैम सिंगल्स चैंपियन बनीं। इस 'स्विस मिस' के नाम पांच ग्रैंड स्लैम एकल खिताब हैं। 1997-1999 से लगातार तीन बार ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब, 1997 में एक विंबलडन खिताब, और 1997 में एक अमेरिकी ओपन खिताब भी हिंगिस के नाम हैं। 1998 और 2000 में दो डब्ल्यूटीए फाइनल खिताब भी मार्टिना हिंगिस के नाम शामिल हैं। हालांकि, हिंगिस 1997 और 1999 में फ्रेंच ओपन के फाइनल में ज़रूर पहुंची पर खिताब जीतने में नाकाम रहीं। 1997 हिंगिस के लिए बेहतरीन साल रहा था, ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीतने के साथ ही हिंगिस को फ्रेंच ओपन के खिताब का प्रमुख दावेदार माना जा रहा था। पहली वरीयता प्राप्त हिंगिस ने क्वार्टरफाइनल और सेमी फाइनल में क्रमशः Arantxa Sanchez Vicario और Monica Seles को हराया था पर फाइनल में नौवीं वरीयता प्राप्त क्रोएशियाई इवा मजोली से सीधे सेटों में हार गयीं थीं। दो साल बाद, 1999 में, फिर एक बार शीर्ष खिलाड़ी के रूप में हिंगिस फाइनल में पहुचीं और स्टेफी ग्राफ से होने वाले फाइनल गेम से पहले तक हिंगिस पूरे टूर्नामेंट में एक भी सेट नहीं हारीं थीं। फाइनल में भी हिंगिस ने पहला सेट जीता और दूसरे सेट में भी जीत से बस तीन अंक दूर थीं कि ग्राफ ने गेम में वापसी की और मैच और खिताब दोनों हिंगिस से छीन ले गयीं । उसके बाद हिंगिस 2000 और 2001 में कुछ सेमी फाइनल गेम्स में दिखाई दीं पर लगातार लगती रहीं चोटों ने उन्हें समय से पहले रिटायर करने पर मजबूर कर दिया। हालांकि, हिंगिस वापस आयीं पर 2006 में बस क्वार्टर फाइनल तक ही पहुँच सकीं। मार्टिना हिंगिस निश्चित रूप से सबसे महानतम महिला टेनिस खिलाड़ी रहीं हैं पर सिंगल्स में करियर स्लैम से वंचित रह गयीं। #9 केन रोजवाल - वर्ल्ड टूर फाइनल्स एवं विंबलडन ken roswall 1950 का दशक एक ऐसा वक़्त था जब विश्व टेनिस पर ऑस्ट्रेलिया का वर्चस्व था और केन रोजवाल उन दिनों इस खेल के सबसे उम्दा खिलाड़ियों में से एक थे। मुख्य रूप से रोजवाल एक बैक -कोर्ट प्लेयर थे, रोज़वाल को उनकी गति, चपलता, शक्तिशाली वॉली के लिए जाना जाता था और विशेष रूप से अपने बैकहैंड के लिए जो टेनिस के इतिहास में सर्वश्रेष्ठ माना गया है। अपने 24 -साल के करियर में, रोजवाल ने कुल 133 सिंगल टाइटल्स जीते जिसमे 8 ग्रैंड स्लैम शामिल हैं। 1953, 1955, 1971 और 1972 में चार ऑस्ट्रलियन ओपन टाइटल्स, 1953 और 1968 में दो फ्रेंच ओपन टाइटल्स और 1956 और 1970 में दो US ओपन टाइटल्स उनके नाम रहे। हालाँकि जो इकलौता ग्रैंड स्लैम रोजवाल कभी जीत नहीं पाए वो था विंबलडन, जिसके फाइनल में वे ज़रूर चार दफे 1954, 1956, 1970, और 1974 में पहुचे पर खिताब से वंचित रहे। 1954 में रोजवाल पहली बार फाइनल में पहुंचे, तीसरी वरीयता प्राप्त रोजवाल का मुकाबला ग्यारहवीं वरीयता प्राप्त चेक-मिस्र के जारोस्लाव द्रोब्नी से थी जिसमें वे चार सेटों में 13-11, 4-6, 6-2, 9-7 की स्कोरलाइन से उनसे हार गए। दूसरी बार दो साल बाद दूसरी वरीयता प्राप्त वे 1956 में फिर से फाइनल में शीर्ष वरियता प्राप्त Lew Hoad से मुकाबले के लिए पहुंचे पर 1954 की ही तरह इस बार भी वे Hoad से चार सेटों के मुकाबले में 6-2, 4-6, 7-5, 6-4 के हार गए। फिर विंबलडन 1957-1967 तक एक दशक के लिए बैन रहा और फिर रोजवाल को 1970 से पहले विंबलडन फाइनल खेलने का मौका न मिला। इस बार मुकाबला Rod Laver, Tony Roche, John Newcombe, Arthur Ashe, Stan Smith और Ilie Nastase जैसों के संग था और कड़ा था। पर पांचवी वरीयता प्राप्त रोजवाल ने Tony Roche को क्वार्टर फाइनल में व Briton Roger Taylor को सेमीफाइनल में हराकर फाइनल में अपनी जगह पक्की कर ली। फाइनल में उनका मुकाबला दूसरी वरीयता प्राप्त John Newcombe से था जो काफी रोमांचक रहा और 5 सेटों के इस मुकाबले में अंततः John Newcombe ने रोजवाल को 5-7, 6-3, 6-2, 3-6, 6-1 के स्कोर से हराया। 1974 की चैंपियनशिप के दौरान, रोजवाल ने Newcombe से 1970 की हार का बदला लेकर आखिरी आठ में जगह बनाई और फिर सेमीफाइनल में दूसरी वरीयता प्राप्त Stan Smith को हराया। फाइनल में इस बार उनकी भिडंत Jimmy Connors से हुई जिन्होंने रोजवाल को सीधे सेटों में मात दी। इसके बाद रोजवाल ने एक ही और विंबलडन खेला। एक और बड़ा खिताब जो रोजवाल जीतने में नाकामयाब रहे वो था World Tour Finals. राउंड-रोबिन में रोजवाल 1970 में Stan Smith और Rod Laver के बाद तीसरे स्थान पर रहे थे।

#8 Ivan Lendl- विंबलडन

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Ivan Lendl भी उन महान खिलाड़ियों मं से एक हैं जो अपना करियर स्लैम पूरा नहीं कर पाए पर उनके आंकड़े उनकी खेल की महानता खुद दर्शाते हैं। Ivan Lendl पूरे 270 हफ़्तों के लिए विश्व नम्बर 1 खिलाड़ी रहे। उन्होंने कुल मिलाकर 94 करियर टाइटल्स जीतें हैं जिनमें 8 ग्रैंड स्लैम टाइटल्स शामिल हैं। 1989 और 1990 में दो ऑस्ट्रेलियाई ओपन खिताब, 1985-1987 से 1984, और 1986 और 1987 तक लगातार तीन यूएस ओपन और तीन फ्रेंच ओपन खिताब। उन्होंने कुल पांच एटीपी वर्ल्ड टूर फाइनल्स 1981, 1982, 1985, 1986 और 1987 में जीते हैं। Lendl शायद वो एक सबसे प्रतिभावान खिलाड़ी हैं जो विंबलडन टाइटल से वंचित रहे। वे लगातार दो बार 1986 और 1987 विंबलडन के फाइनल तक पहुंचे पर खिताब न जीत सके। फ्रेंच ओपन में शानदार जीत के बाद Lendl विंबलडन के लिए शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी थे और टूर्नामेंट जीतने के सबसे पसंदीदा भी. क्वार्टर फाइनल और सेमीफाइनल में दो बड़े शानदार और करीबी मुकाबले जीतने के बाद फाइनल में Lendl का मुकाबला 18 वर्षीय मौजूदा चैंपियन बोरिस बेकर के साथ हुआ और बेकर ने उस दिन मजमा लूट लिया। Lendl बेकर से वो फाइनल सीधे सेटों में हार गए। 1987 में एक बार फिर Lendl विंबलडन के फाइनल तक पहुंचे और उनके सबसे बड़े प्रतिद्वंदी बेकर के पहले ही बाहर हो जाने के कारण खिताब के हकदार भी माने जा रहे थे। फाइनल में 11 वीं वरीयता प्राप्त आस्ट्रेलियाई पैट कैश के साथ उनका मुकाबला हुआ और इस बार भी उन्हें सीधे सेटों में हार का सामना करना पड़ा। फिर कभी Lendl किसी और विंबलडन के फाइनल तक नहीं पहुँच सके। Lendl को आज भी 1986 और 1987 में मिली वो खिताबी हार सालती होगी। #7. Jimmy Connors- फ्रेंच ओपन jimmy टेनिस के इतिहास में सबसे उम्दा खिलाड़ियों में शुमार Jimmy Connors अपने शक्तिशाली टू-हैंडेड बैक हैण्ड और सर्विस रिटर्न के लिए विख्यात थे। Connors के नाम लगातार 160 हफ्तों तक विश्व नंबर 1 बने रहने का उस समय का रिकॉर्ड दर्ज है। Connors कुल मिला कर 268 हफ़्तों तक विश्व में शीर्ष रैंक पर विद्यमान रहे। कुल 109 करियर सिंगल टाइटल्स के साथ Connors ने 8 ग्रैंड स्लैम जीतें हैं जिसमें 1974 में ऑस्ट्रेलियन ओपन, 1974 और 1982 में दो विम्बलडन खिताब,1 974, 1976, 1978, 1982 और 1983 में पांच अमेरिकी ओपन खिताब और 1977 में 1 एटीपी वर्ल्ड टूर फाइनल भी शुमार है। हालांकि वे फ्रेंच ओपन के खिताब से हमेशा वंचित रहे. 1979, 1980, 1984 और 1985 में सेमीफाइनल तक पहुचने के बाद उनका खिताबी सफ़र ख़तम हो जाता रहा। वे कभी इस खिताब के और अधिक करीब न पहुँच सके। 1979 में दूसरी वरीयता प्राप्त Connors सेमीफाइनल में गैरवरीय परागुआयन विक्टर Pecci से चार सेटों में हार गए थे। अगले ही साल, तीसरी वरीयता प्राप्त Connors फिर एक बार सेमीफाइनल में पहुंचे। सेमीफाइनल में, Connors को 1977 ऑस्ट्रेलियाई ओपन चैंपियन Vitas Gerulaitis का सामना करना पड़ा। मैच एक अत्यधिक रोमांचक रहा जो पांच सेट तक चला पर अंततः लिथुआनियाई अमेरिकी Vitas ने कोनर्स को 6-1, 3-6, 6-7, 6-2, 6-4 से हरा दिया। आगामी सालों में तीन बार Connors क्वार्टर फाइनल तक खेले फिर 1984 में फ्रेंच ओपन के सेमीफाइनल तक पहुंचे जहाँ शीर्ष वरीयता प्राप्त John McEnroe से सीधे सेटों में उन्हें हार का सामना करना पड़ा। आखिरी बार वे 1985 में सेमी फाइनल तक पहुंचे और वहां उनका सामना हुआ defending चैंपियन Ivan Lendl से जिन्होंने उन्हें 6-2, 6-3, 6-1 से बुरी तरह मात दी । हालांकि Connors ने क्ले-कोर्ट पे खेला हुआ एक US ओपन जीता पर वे फ्रेंच ओपन का खिताब जीतने में नाकाम रहे जिससे उन्हें करियर स्लैम न मिल सका।

#6. Bjorn Borg- ऑस्ट्रेलियन ओपन और यूएस ओपन

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टेनिस के एक और महान खिलाड़ी स्वीडन के Bjorn Borg अपने शक्तिशाली ग्राउंडस्ट्रोक्स और अपरंपरागत बैकहैंड के लिए मशहूर थे। Borg का अपने पूरे कैरियर के दौरान 82.74 की जीत का प्रतिशत था और वे कुल 109 सप्ताह के लिए एटीपी रैंकिंग के शीर्ष पर रहे थे। Borg ने कुल 64 कैरियर खिताब जीते जिनमे ग्यारह ग्रैंड स्लैम खिताब और दो विश्व टूर फाइनल्स शामिल रहे। अपने ग्यारह ग्रैंड स्लैम खिताबों में छह फ्रेंच ओपन खिताब और पांच विम्बलडन खिताब भी शामिल है। Borg ने लगातार तीन साल दोनों फ्रेंच ओपन और विंबलडन जीता और एक भी सेट गंवाए बिना तीन ग्रैंड स्लैम पर अपना कब्जा किया। हालांकि ये स्वीडिश खिलाड़ी कभी कोई ऑस्ट्रलियन ओपन और US ओपन का खिताब अपने नाम न कर सका। अपने छोटे से करियर में Borg ने सिर्फ एक बार ऑस्ट्रलियन ओपन खेला जिसमें वह तीसरे राउंड में बाहर हो गए। US ओपन में, Borg चार दफे 1976, 1978, 1980, और 1981 में फाइनल तक पहुंचा. 1976 में विंबलडन जीतने के बाद Borg पर सभी निगाहें थीं। दूसरी वरीयता प्राप्त Borg US ओपन के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। विंबलडन सेमी फाइनल की ही तरह यहाँ भी सेमी फाइनल में Ilie Nastase को हराकर जब Borg फाइनल में पहुंचे तो उनका मुकाबला शीर्ष वरीयता प्राप्त Jimmy Connors से था. Connors ने वह फाइनल 6-4, 3-6, 7-6, 6-4 के स्कोर से जीता और अपना दूसरा US ओपन खिताब अपने नाम किया। अपना अगला फाइनल उन्होंने दो साल बाद 1978 में खेला जिसमें एक बार फिर मुकाबला दूसरे वरीयता प्राप्त Connors से था। Connors ने उन्हें इस बार 6-4, 6-2, 6-2 के स्कोर से सीधे सेटों में मात दी। Borg ने अपना अगला फाइनल 1980 में खेला जिसमें वो शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी थे, विंबलडन और फ्रेंच ओपन दोनों जीत चुके थे और खिताब के प्रमुख हकदार माने जा रहे थे. इस बार Borg का मुकाबला हुआ मौजूदा चैंपियन John McEnroe से। John McEnroe ने पहले दो सेट 7-6, 6-1 के स्कोर से जीत लिए पर फिर Borg ने तीसरा और चौथा सेट जीत मुकाबला बराबर किया पर अंततः पांचवे सेट में 6-4 से McEnroe को जीत हासिल हुई और वे अपना दूसरा US ओपन खिताब जीत ले गए। Borg को 25 साल की उम्र में मिलती रही लगातार अटेंशन ने खेल पर ध्यान केन्द्रित न करने दिया । वे फिर कोई और ग्रैंड स्लैम नहीं खेल पाए और 26 साल की उम्र में ही रिटायरमेंट लेने पर मजबूर हुए। #5 राफेल नडाल- वर्ल्ड टूर फाइनल्स

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क्ले कोर्ट के इस बादशाह की बादशाहत भले पहले जैसी न दिखती हो पर इनके आकंड़ों पर एक नज़र डालें तो अंदाजा हो जाता है कि किस महान प्रतिभा का धनी है यह खिलाड़ी। अपने आक्रामक बेसलाइन खेल के लिए विख्यात, अपनी बलिष्ठ काया के दम पर इस बलवान, प्रतिभावान खिलाड़ी ने अपने पेशेवर करियर में लगभग सभी खिताब जीतें हैं. उनके नाम अब तक कुल 69 करियर टाइटल्स हैं जिनके 14 ग्रैंड स्लैम शामिल हैं- 2009 में एक ऑस्ट्रेलियाई ओपन, नौ फ्रेंच ओपन टाइटल्स का एक महान रिकॉर्ड, 2008 और 2010 में दो विम्बलडन खिताब, और 2010 और 2013 में दो अमेरिकी ओपन खिताब उनके नाम हैं। उन्होंने दो ओलिंपिक स्वर्ण भी जीतें हैं जिनमें बीजिंग ओलिंपिक का सिंगल्स टूर्नामेंट का स्वर्ण पदक और रिओ ओलंपिक्स में मेंस डबल्स में स्वर्ण पदक शुमार है। हालांकि नडाल को जो एक खिताब अब भी जीतना बाकी है वह है ATP World Tour Finals. 2010 और 2013 में नडाल रनर -अप रहे हैं और ये अबतक का उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है। 2010 राफा के लिए कमान का साल था जब उन्होंने फ्रेंच ओपन, विंबलडन और US ओपन के खिताब अपने नाम कर करियर स्लैम जीता और उस साल लन्दन में हुए ATP World Tour Finals के लिए वे प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे। नडाल ने ग्रुप स्टेज तक तो अपना प्रभुत्व स्थापित रखा और अपने सारे मैच जीते। सेमी फाइनल में एंडी मुर्रे से कड़े मुकाबले में वे 7-6, 3-6, 7-6 के स्कोर से जीते। फाइनल में उनका मुकाबला रोजर फेडरर से हुआ जिन्होंने अब तक अपना एक भी मैच नहीं हरा था। पहले सेट में फेडरर ने नडाल को 6-3 से हराया पर दुसरे सेट में नडाल ने वापसी की और फेडरर को 6-3 से मात दी। हालांकि तीसरे सेट में फेडरर में नडाल को 6-1 से बुरी मात दी और खिताब अपने नाम किया। दूसरी बार नडाल 2013 में World Tour Finals के फाइनल तक पहुंचे. इस बार भी US ओपन जीत कर उन्होंने अपनी विश्व नंबर 1 की रैंक बरकरार रखी थी और इस खिताब के लिए पसंदीदा दावेदार थे। इस बार नडाल फेडरर से सेमी फाइनल में भिड़े और 7-5, 6-3 के स्कोर से उन्हें मात दी और फाइनल में उनकी भिडंत हुई नोवाक जोकोविक से। जोकोविच ने नडाल को सीधे सेटों में पराजित कर खिताब अपने नाम कर लिया। नडाल के पास अभी भी मौके हैं कि वे ये खिताब अपने नाम कर सकें पर उनकी मौजूदा फॉर्म और उनके प्रतिद्वंदियों के प्रभावशाली खेल को देखते हुए अब ये खिताब जीत पाना उनके लिए थोडा कठिन लगता है। #4 नोवाक जोकोविच - ओलिंपिक स्वर्ण djokovic nova मौजूदा विश्व नंबर एक टेनिस खिलाड़ी जोकोविच महानतम टेनिस खिलाड़ियों की सूची में अपना नाम दर्ज करवाते हैं। पिछले पांच सालों में जोकोविच का खेल सबसे प्रभावशाली रहा है और उन्हें हारने जैसे अन्य खिलाड़ियों के लिए टेढ़ी खीर है। किसी भी तरह का कोर्ट को, जोकोविच की शैली आक्रामक बेसलाइन खेल की है और उनके शक्तिशाली बैकहैण्ड के कारण विश्व के महान खिलाड़ियों में उनका नाम शुमार है। ओपन एरा में अबतक का सर्वश्रेष्ठ जीत का प्रतिशत रहा है 83% जो कि जोकोविच का है। कुल 66 करियर टाइटल्स के साथ उनके नाम 12 ग्रैंड स्लैम और 5 ATP World Tour Finals के खिताब हैं। कुल 6 ऑस्ट्रलियन ओपन खिताब 2008, 2011, 2012, 2013, 2015 और 2016, 2016 का एक फ्रेंच ओपन खिताब, 2011, 2014 और 2015 में तीन विम्बलडन खिताब, 2011 और 2015 में दो अमेरिकी ओपन खिताब उनके ग्रैंड स्लैम में शामिल हैं। जोकोविच ने वो सब जीता है जो कोई महान टेनिस खिलाड़ी जीत सकता है पर उनकी झोली में इंतज़ार है एक ओलिंपिक स्वर्ण का। हालांकि बीजिंग ओलिंपिक में जोकोविक ने कास्यं पदक ज़रूर जीता है। 2008 बीजिंग में जोकोविच पहली बार ओलिंपिक खेले। पूरे टूर्नामेंट में वे ज़बरदस्त फॉर्म में रहे पर सेमी फाइनल में उन्हें नडाल से हार का सामना करना पड़ा। हालाँकि अंततः जोकोविच ने अमेरिकी खिलाड़ी जेम्स ब्लेक को हराकर कांस्य पदक अपने नाम किया था। 2012 लन्दन ओलिंपिक में जोकोविच खिताब के पंसदीदा दावेदारों में शुमार थे पर इस बार भी सेमी फाइनल में में एंडी मुर्रे द्वारा उन्हें हार का सामना करना पड़ा। इस बार जोकोविच कांस्य जीतने में भी नाकाम रहे, वे मैडल प्लेऑफ में Juan Martin Del Potro से सीधे सेटों में हार गए। विंबलडन में खराब प्रदर्शन के बाद, रिओ ओलिंपिक में जोकोविच को शुरूआती राउंड में ही Juan Martin Del Potro का सामना करना था। इस बार भी Juan Martin Del Potro ने जोकोविच को सीधे सेटों में मात दी और ओलंपिक मेडल के उनके सपने पर पानी फिर गया। #3. Pete Sampras- French Open

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Pete Sampras अपनी शानदार सर्विस के लिए पूर टेनिस जगत में विख्यात रहे हैं। वे पूरे 286 हफ़्तों के लिए विश्व नंबर 1 खिलाड़ी रहे। Sampras के नाम कुल 64 करियर टाइटल्स हैं जिसमें उनके नाम उस समय का 14 ग्रैंड स्लैम जीतने का रिकॉर्ड भी शामिल है। 1994 और 1997 में दो ऑस्ट्रलियन ओपन, 1993, 1994, 1995, 1997, 1998, 1999 और 2000 में सात विंबलडन का एक संयुक्त खिताब, 1990, 1993, 1995, 1996, और 2002 में पांच अमेरिकी ओपन खिताब और 1991, 1994, 1996, 1997 और 1999 में पांच एटीपी वर्ल्ड टूर फाइनल । Jimmy Connors, Boris Becker और Stefan Edberg की तरह “Pistol Pete” एक भी फ्रेंच ओपन का खिताब जीतने में नाकाम रहे। फ्रेंच ओपन में उनका सर्वेश्रेष्ठ प्रदर्शन रहा 1996 का सेमी फाइनल। क्ले कोर्ट Sampras को कभी न भाया. ऑस्ट्रलियन ओपन में खराब प्रदर्शन के बावजूद Sampras फ्रेंच ओपन में शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के रूप में शामिल हुए और सेमी फाइनल में पहुंचे। क्वार्टर फाइनल में एक कड़े मुकाबले में उन्होंने दो-बार चैंपियन रह चुके जिम कूरियर को मात दी थी। हालांकि, सेमी फाइनल में रूसी खिलाड़ी Yevgeny Kafelnikov ने Sampras को 7-6, 6-0, 6-2 से हराया। Kafelnikov ने बाद में जर्मनी खिलाड़ी Michael Stich को हराकर वो टूर्नामेंट भी जीता। उसके बाद से Sampras कभी तीसरे राउंड से आगे न बढ़ पाए और उन कुछ चुनिन्दा महान' खिलाड़ियों में शुमार हुए जो अपना करियर स्लैम पूरा न कर सके। #2. Rod Laver- World Tour Finals

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टेनिस कोर्ट पर कदम रखने वाला ये एक भव्य खिलाड़ी रहा. अपने समय का सर्वोत्कृष्ट खिलाड़ी। सभी तरह के कोर्ट पर बेहतरीन खेल दिखाने की अपनी क्षमता और बाए हाथ से शानदार सर्व करने की अपनी काबिलियत के विख्यात थे Rod Laver. Rod को आलोचकों द्वारा तकनीकी रूप से दोषरहित खिलाड़ी करार दिया गया था। Laver ने कुल 52 ATP टाइटल्स जीते जिसमें 11 ग्रैंड स्लैम शामिल थे। इस ऑस्ट्रेलियाई खिलाड़ी ने 1960, 1962, और 1969 में तीन आस्ट्रेलियन ओपन खिताब, 1962 और 1969 में दो फ्रेंच ओपन खिताब , 1961, 1962, 1968 और 1969 में चार विम्बलडन खिताब, 1962 और 1969 में दो अमेरिकी ओपन खिताब जीत कर उन्होंने दो बार 1962 और 1969 में अपना कैरियर स्लैम पूरा किया। हालांकि जो एक खिताब Laver कभी जीत न पाए वो था World Tour Finals. हालांकि 1970 में उद्घाटन टूर्नामेंट में वे उपविजेता रहे थे जब इसे Pepsi -Cola Masters कहा जाता था। उन दिनों सिर्फ राउंड-रोबिन टूर्नामेंट हुआ करता था जिसमें 6 शीर्ष खिलाड़ी शिरकत करते थे। शीर्ष पर रहने वाला खिलाड़ी विजेता घोषित किया जाता था। Laver के साथ उस प्रतियोगिता में दुसरे प्रतिद्वंदी थे Stan Smith, Ken Rosewall, Arthur Ashe, Zeljko Franulovic और Jan Kodes. Laver ने पांच में से 4 मैच जीते और बस एक मैच Stan Smith से हारे। राउंड -रोबिन के अंत में, Laver और Smith, दोनों के नाम चार जीत और एक-एक हार दर्ज थी पर अंततः स्मिथ को विजेता घोषित किया गया क्योंकि उन्होंने Laver को हराया था और Laver उस मुकाबले में उपविजेता रहे।

#1 रोजर फेडरर- ओलिंपिक स्वर्ण
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निस्संदेह सर्वकालिक महानतम खिलाड़ी, फेडरर के आंकड़े उनकी गाथा खुद बखानते हैं. उनकी खेल शैली की बात करें तो शब्द ही कम पड़ जाते हैं. बेसलाइन खेलना हो या नेट पर, फेडरर बेहतरीन हैं।
फेडरर ATP रैन्किंग्स के शीर्ष पर रिकॉर्ड 302 हफ़्तों तक रहे जो कि अभी तक किसी भी पुरुष खिलाड़ी से ज्यादा है। उन्होंने कुल 88 करियर स्लैम जीते हैं जिसमें 17 ग्रैंड स्लैम टाइटल्स शामिल हैं और 2003, 2004, 2006, 2007, 2010 और 2011 तक 6 ATP World Tour Finals भी।
उनके सत्रह ग्रैंड स्लैम खिताबों में 2004, 2006, 2007 और 2010 के चार ऑस्ट्रेलियाई ओपन खिताब, 2009 का फ्रेंच ओपन ख़िताब, 2003, 2004, 2005, 2006, 2007, 2009, and 2012 में 7 विंबलडन का रिकॉर्ड खिताब की बराबरी, और 2004-2008 तक पाँच लगातार यूएस ओपन खिताब।
हालांकि फेडरर के नाम ओलिंपिक का एक भी सिंगल्स स्वर्ण पदक नहीं। अपने पुराने मित्र Stan Wawrinka के बीजिंग ओलिंपिक में डबल्स का स्वर्ण वे जीत चुके हैं। 2000 में फेडरर ने सिडनी में अपना पहला ओलिंपिक खेला था, एथेंस में दूसरा, पर पदक जीतने में वे नाकाम रहे थे।
विंबलडन जीतने के कुल हफ़्तों बाद हुए 2012 के लन्दन ओलंपिक्स में वे पदक के प्रमुख दावेदार माने जा रहे थे पर मुर्रे ने उन्हें फाइनल में सीधे सेटों में हरा दिया।
रिओ ओलिंपिक में घुटने की चोट के कारण फेडरर नहीं खेल सके और उनकी बढती उम्र और चोटों के कारण लगता नहीं कि वे अब टोक्यो ओलिंपिक का हिस्सा भी बन सकेंगे।