दुनिया भर में सैकड़ों-हजारों खेल खेले जाते हैं। इन खेलों में खेलने वाले खिलाड़ियों की संख्या लाखों-करोड़ों में होगी। लेकिन इतिहास के पन्नों में सुनहरे अक्षरों में अपना नाम दर्ज कराने का सौभाग्य केवल कुछ ही खिलाड़ियों को प्राप्त होता है। कुछ खिलाड़ी ऐसे कारनामे करते हैं कि न सिर्फ अपना या अपने खेल का बल्कि सम्पूर्ण खेल जगत का नाम ऊँचा करते हैं। ऐसा ही एक नाम है टेनिस के सुपर स्टार रोजर फेडरर। फेडरर भीड़ में भी अलग नज़र आते हैं क्योंकि उनके जैसा कोई नहीं है। यूँ तो रोजर फेडरर इतने लोकप्रिय हैं कि उनके बारे में कुछ बताने की आवश्यकता ही नहीं है सिर्फ उनका नाम ही काफी है। फिर भी अगर इनकी उपलब्धियों की बात करें तो जिस उम्र में अन्य टेनिस खिलाड़ी संन्यास लेकर खेल के विश्लेषण करने और कॉमेंट्री करने का काम करने लगते हैं, उस उम्र में फेडरर न सिर्फ खेल रहे हैं, बल्कि युवा खिलाड़ियों पर भारी भी पड़ रहे हैं। 36 साल के फेडरर अब एक बार फिर एटीपी रैंकिंग में नम्बर वन खिलाड़ी बन गए हैं। फेडरर अब तक 20 ग्रैंड स्लैम खिताब जीत चुके हैं। यही नहीं अपने कैरियर में जीते खिताबों की संख्या भी वो 97 तक पहुंचा चुके हैं। जब भी संन्यास लेने के बारे में जब कोई उनसे पूछता है तो उनका कहना होता है कि सन्यास लेने के बारे में उन्होंने अभी तक विचार नहीं किया है। इस दिग्गज खिलाड़ी ने अपने कैरियर में न सिर्फ अधिकांश मैच जीते हैं, बल्कि कई बार तो बिना कोई सेट हारे ही टूर्नामेंट भी जीते हैं। पिछले हफ्ते रोटरडम में फिर से नम्बर 1 खिलाड़ी बनने वाले रोजर फेडरर पहले भी सालों तक नम्बर 1 खिलाड़ी रह चुके हैं। 8 अगस्त 1981 को स्विट्जरलैंड के बसेल में जन्मे 6 फुट 1 इंच के दाएं हाथ के खिलाड़ी फेडरर कुल मिलाकर अब तक 303 हफ्तों तक नम्बर वन खिलाड़ी रहे हैं। इनमें लगातार 237 हफ्तों तक नम्बर वन रहने का रिकॉर्ड भी शामिल है। सन 1998 में अपने कैरियर की शुरुआत करने वाले फेडरर अक्टूबर 2002 से नवम्बर 2016 तक लगातार दुनिया के टॉप टेन खिलाड़ियों में शामिल रहे हैं। जनवरी 2017 में ऑस्ट्रेलियन ओपन खिताब जीतकर उन्होंने फिर से टॉप टेन में वापसी कर ली। फेडरर फरवरी 2004 से लेकर अगस्त 2008 तक के अंतराल में लगातार दुनिया के नम्बर 1 खिलाड़ी रहे। अब तक वो कुल 30 बार किसी भी ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचने में सफल रहे हैं। इनमें 10 बार तो वो लगातार फाइनल में पहुंचे हैं, जो कि एक रिकॉर्ड है। उन्होंने ये कारनामा सन 2005 के बिम्बल्डन से लेकर सन 2007 के यूएस ओपन के दौरान किया। अपने कैरियर में जीते कुल 20 ग्रैंड स्लैम में रिकॉर्ड 6 बार ऑस्ट्रेलियन ओपन (2004, 2006, 2007, 2010, 2017, 2018) 1 बार फ्रेंच ओपन (2009) रिकॉर्ड 8 बार बिम्बल्डन (2003, 2004, 2005, 2006, 2007, 2009, 2012, 2017) 5 बार यूएस ओपन (2004, 2005, 2006, 2007, 2008) के खिताब शामिल हैं। इसके अलावा 2012 के लंदन ओलंपिक में उन्होंने रजत पदक भी जीता था। डबल्स में भी वो 8 खिताब अपने नाम कर चुके हैं, साथ ही 2008 के बीजिंग ओलम्पिक में भी वो डबल्स का स्वर्ण पदक जीत चुके हैं। यही नहीं अपने देश को 2014 में डेविस कप और दो बार (2001, 2018) में होपमैन कप भी जीता चुके हैं। सन 2003 में पहली बार किसी ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचने वाले रोजर फेडरर ने अपना पहला खिताब बिम्बल्डन के रूप में जीता। सेमीफाइनल में खिताब के प्रबल दावेदार एंडी रोडिक को हराने के बाद फाइनल में उन्होंने मार्क फिलपोसिस को मात दी। इसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसी साल अगस्त में वो दिग्गज अमेरिकी खिलाड़ी आंद्रे अगासी को हटाकर पहली बार नम्बर 1 खिलाड़ी बने। अगले वर्ष 2004 में उन्होंने 4 में से 3 ग्रैंड स्लैम अपने नाम किये। सन 2006 और 2007 में भी उन्होंने फिर से 3-3 ग्रैंड स्लैम अपने नाम किये। सन 2008 में अस्वस्थ होने के कारण उनका खेल प्रभावित हुआ। फिर भी वो 3 ग्रैंड स्लैम के फाइनल में पहुंचने में सफल रहे और यूएस ओपन का खिताब हासिल भी किया। इसके अलावा उन्होंने बीजिंग ओलंपिक में डबल्स का गोल्ड मेडल भी अपने नाम किया। सन 2009 में उन्होंने बिम्बल्डन के अलावा अपने कैरियर का एकमात्र फ्रेंच ओपन खिताब भी जीता। सन 2012 में फेडरर विम्बलडन जीतकर एक बार फिर नम्बर 1 बनने में सफल रहे। इसके अलावा इसी वर्ष सम्पन्न हुए लन्दन ओलम्पिक में भी उन्होंने रजत पदक हासिल किया। इसके बाद आने वाले कुछ साल रोजर फेडरर के लिए ठीक नहीं रहे। अगले कुछ सालों में वो कोई भी ग्रैंड स्लैम या बड़ा खिताब जीतने में असफल रहे। चोटों ने उनके कैरियर पर बड़ा प्रश्न चिन्ह लगा दिया? वर्ष 2013 में वो बैक इंजरी (पीठ की चोट) से परेशान रहे, तो वर्ष 2016 में उन्हें नी सर्जरी (घुटने की सर्जरी) करानी पड़ी। इस कारण से उन्हें पिछला ओलम्पिक भी मिस करना पड़ा। कई विशेषज्ञों ने तो ये मान लिया कि अब फेडरर का कैरियर समाप्त होने वाला है! फेडरर के खेल से सन्यास लेने के कयास लगाये जाने लगे? लेकिन जो परिस्थितियों से हार मानकर घुटने टेक दे, वो कैसा चैम्पियन? चैम्पियन गिरते जरूर हैं, लेकिन फिर उठकर वापसी करने में भी सफल रहते हैं, फिर वो चाहें अमिताभ बच्चन हों, सौरव गांगुली हों, रोजर फेडरर हों या अन्य कोई। फेडरर ने भी ऐसा ही करके दिखाया। वर्ष 2017 में रोजर फेडरर ने जबरदस्त वापसी की। सभी कयासों को झुठलाते हुए साल के पहले ग्रैंड स्लैम ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब उन्होंने एक बार फिर अपने नाम किया। ऑस्ट्रेलियन ओपन के फाइनल मुकाबले में फेडरर और रफेल नडाल ने गज़ब का प्रदर्शन किया। इन दोनों खिलाड़ियों के बीच खेला गया ये मैच किसी भी खेल में सदी के सर्वश्रेष्ठ मैचों में से एक था। फेडरर ने जीत की भूख दिखाते हुए 5 सेटों तक चले इस मैराथन मैच को 6-4, 3-6, 6-1, 3-6, 6-3 के अंतर से जीता। इसके बाद उन्होंने विम्बलडन खिताब एक बार फिर अपने नाम किया। वर्ष 2018 का पहला खिताब ऑस्ट्रेलियन ओपन भी उन्हीं के खाते में आया है। ये कुल मिलाकर उनका बीसवां कैरियर ग्रैंड स्लैम है। अगर रोजर फेडरर के खेलने की शैली की बात करें तो वो खेल की हर विधा में माहिर हैं। फिर चाहें बात नेट की हो या बेसलाइन की, सर्विस की हो या वॉली की, स्मैश की हो या बैकहैंड स्मैश की, स्पीड की हो या शानदार फुटवर्क की, धमाकेदार सर्विस करना हो या दूसरे खिलाड़ी की सर्विस पढ़ना, फेडरर प्रत्येक विधा में माहिर हैं। 220 किमी प्रति घण्टे तक की स्पीड से सर्विस करने में सक्षम फेडरर का हैंड आई कॉम्बिनेशन इतना जबरदस्त है कि उन्हें विरोधी खिलाड़ी की सर्विस पढ़ने में जरा भी दिक्कत नहीं होती? चाहें ग्रास कोर्ट हो, हार्ड कोर्ट या फिर क्ले कोर्ट फेडरर को कोई फर्क नहीं पड़ता! इसीलिए महान खिलाड़ी जिमी कॉनर्स ने उनके बारे में एक शानदार टिप्पणी भी की है कि- "या तो कोई क्ले कोर्ट विशेषज्ञ हो सकता है, या हार्ड कोर्ट विशेषज्ञ या ग्रास कोर्ट विशेषज्ञ या फिर वो रोजर फेडरर ही हो सकता है।" स्विट्जरलैंड के बटमिंगन निवासी फेडरर ने सन 1992-93 में स्विस इंडोर टूर्नामेंट में बाल बॉय की भूमिका भी निभाई थी। महान खिलाड़ियों में शुमार फेडरर को सन 2017 में डॉक्टरेट की उपाधि भी मिल चुकी है। उनकी पत्नी मिरका फेडरर भी एक पूर्व टेनिस खिलाड़ी रही हैं, जिन्हें चोट के कारण खेल को जल्दी अलविदा कहना पड़ा। बेहद सौम्य स्वभाव के फेडरर अपने फैन्स के बीच कितने लोकप्रिय हैं, ये इससे पता चलता है कि लोकप्रियता के कारण उन्हें 15 बार एटीपी फैन्स फेवरेट अवार्ड भी मिल चुका है। खेलों के शानदार एम्बेसडर फेडरर को उनकी शानदार खेल भावना के लिए भी 13 बार अवार्ड मिल चुका है। रोजर फेडरर मैदान में तो महान खिलाड़ी हैं ही, मैदान से बाहर भी उनकी महानता कम नहीं है। दुनिया भर में गरीब असहाय बच्चों की सहायता के लिए, उन्हें शिक्षा और खेलों में प्रोत्साहन देने के लिए, उनके स्वास्थ्य के लिए वो अपनी संस्थाओं रोजर फेडरर फाउंडेशन, स्विस-अफ्रीका चैरिटी के माध्यम से कार्य करते हैं। इसके अलावा वो बाढ़, भूकंप आदि प्राकृतिक आपदाओं से प्रभावित लोगों की सहायता के लिए भी हर सम्भव प्रयास करते हैं। उनके इन्हीं गुणों के कारण यूनिसेफ ने 2006 में उन्हें एड्स के प्रति जागृति के लिए अपना गुडविल एंबेसडर बनाया। अपने शानदार खेल, बेहतरीन व्यवहार, अपनी जिंदादिली के कारण बढ़ती उम्र, चोटों और खराब फॉर्म से हार न मानना, शिखर पर पहुंच कर भी शांत, सौम्य बने रहना, समाज के सभी दीन दुखियों की सहायता करने को तत्पर रहना आदि गुण उनकी महानता को बयां करते हैं। फेडरर अपने आप मे एक चलता-फिरता इंस्टीट्यूट हैं, उनका जीवन सभी के लिए प्रेरणादायी है।