बर्मिंघम कॉमनवेल्थ खेलों में भारत ने वेटलिफ्टर संकेत महादेव सरगर के सिल्वर मेडल के साथ अपना खाता खोला। गोल्ड मेडल के प्रबल दावेदार संकेत स्नैच के बाद टॉप पर थे, क्लीन एंड जर्क में पहले प्रयास को सफलता से उठाने के बाद दूसरे प्रयास में चोटिल हो गए, जिस कारण गोल्ड उनके हाथ से फिसल गया। लेकिन 21 साल के इस वेटलिफ्टर के प्रदर्शन की हर कोई तारीफ कर रहा है। लेकिन कई लोग नहीं जानते कि यह युवा खिलाड़ी अपने गांव में अपने पिता की चाय-पान की दुकान पर उनकी मदद भी करता है।
संकेत महाराष्ट्र के सांगली के एक गांव के निवासी हैं और उनका जन्म 16 अक्टूबर 2000 को हुआ। संकेत के पिता की इसी गांव में चाय और पान की छोटी सी दुकान है जहां संकेत भी समय-समय पर अपने पिता का हाथ बंटाते हैं। सांगली अपने वेटलिफ्टरों के लिए जाना जाता है, ऐसे में पिता का हाथ बंटाते हुए 13 साल के संकेत ने भी वेटलिफ्टर बनने की ठानी और आज 9 साल की मेहनत के बाद उनके पास राष्ट्रमंडल खेलों में सिल्वर मेडल है।
संकेत ने 2020 में 19 साल की उम्र में खेलो इंडिया यूथ गेम्स में 55 किलोग्राम की कैटेगरी में 244 किलोग्राम का वजन उठाते हुए नेशनल रिकॉर्ड बनाया था। संकेत ने तीन बार इस कैटेगरी में नेशनल चैंपियनशिप जीती है और पिछले साल दिसंबर में ही कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप भी जीती थी।
संकेत ने फरवरी 2022 में ही सिंगापुर में हुई प्रतियोगिता में कुल 256 किलोग्राम का वजन उठाया था जिसमें क्लीन एंड जर्क में 143 किलोग्राम का वजन शामिल था। संकेत कॉमनवेल्थ खेलों में अच्छा प्रदर्शन कर एक अच्छी नौकरी पाने का सपना रखते हैं ताकि अपने पिता की मदद कर सकें। साथ ही 2024 के पेरिस ओलंपिक खेलों में 61 किलोग्राम कैटेगरी में भाग लेते हुए देश को मेडल दिलाने का सपना रखते है। कॉमनवेल्थ खेलों में उनका गोल्ड पक्का लग रहा था, लेकिन चोट ने उनसे ये पदक छीन लिया। हालांकि सिर्फ 21 साल की उम्र में अपने पहले ही खेलों मे ऐसा प्रदर्शन करने वाले संकेत देश के लिए भविष्य में और भी बड़े रिकॉर्ड बनाते हुए ज्यादा पदक जीतेंगे, ये बात पक्की है।