बीजिंग में चल रहे शीतकालीन ओलंपिक खेलों का रंगारंग समापन हो चुका है। 16 दिनों तक बर्फ की सतह से जुड़े अलग-अलग खेलों में भारत समेत 91 देशों / राष्ट्रीय ओलंपिक समितियों की ओर से करीब 2900 खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया । कुल 27 देशों ने कम से कम एक पदक अपने नाम किया। नॉर्वे पदक तालिका में नंबर एक, जर्मनी दूसरे और चीन तीसरे स्थान पर रहा। खेलों के आखिरी दिन सबसे बड़ा उलटफेर फिनलैंड ने किया जहां फिनलैंड की पुरुष आइस हॉकी टीम ने गोल्ड की दावेदार रूसी ओलंपिक समिति की टीम को फाइनल में मात देकर पहली बार न सिर्फ आइस हॉकी का गोल्ड जीता बल्कि पहली बार किसी टीम ईवेंट का गोल्ड अपने नाम किया।
बीजिंग के बर्ड नेस्ट स्टेडियम में खेलों की आधिकारिक क्लोजिंग सेरेमनी हुई जिसमें कई प्रस्तुतियां दी गईं। 2026 के अगले शीतकालीन खेलों की जिम्मेदारी इटली के मिलान और कोर्टिना शहरों को दी गई। नॉर्वे के नाम सबसे ज्यादा कुल 37 मेडल आए, गोल्ड के मामले में भी नॉर्वे 16 पदक के साथ टॉप पर रहा। नॉर्वे ने 2018 के प्योंगयेंग शीतकालीन खेलों में भी सबसे ज्यादा पदक जीतकर पहला स्थान हासिल किया था। नॉर्वे ने अकेले क्रॉस कंट्री स्कीइंग की एकल और रीले स्पर्धाओं में 5 गोल्ड, 1 सिल्वर और 2 ब्रॉन्ज जीते। वहीं बायथलॉन स्पर्धा में भी इस देश को 5 गोल्ड मिले।
चीन ने किया हैरान
नॉर्वे के बाद दूसरे नंबर पर जर्मनी की टीम रही। जर्मनी ने 12 गोल्ड समेत कुल 27 पदक जीते। हालांकि ये पिछली बार के 14 गोल्ड से कम है। मेजबान चीन ने इस बार अपने प्रदर्शन से सबसे ज्यादा हैरान किया। चीन ने इस बार 9 स्पर्धाओं में गोल्ड जीता और कुल 15 पदक अपने नाम किए और अमेरिका से आगे रहकर सभी को और भी ज्यादा चौंका दिया। ये इसलिए भी ऐतिहासिक है क्योंकि पिछले शीतकालीन खेलों में चीन ने सिर्फ 1 गोल्ड जीता था और पदक तालिका में वो 16वें नंबर पर थे।
अमेरिका ने 8 गोल्ड समेत कुल 25 पदक के साथ चौथा स्थान हासिल किया तो स्वीडन का दल 8 गोल्ड समेत 18 पदक के साथ पांचवें नंबर पर रहा। साल 2014 में शीतकालीन खेलों की मेजबानी कर पदक तालिका में टॉप पर रहने वाले रूस के खिलाड़ियों ने इस बार ROC यानि रूसी ओलंपिक समिति के झंडे तले प्रदर्शन किया और 6 गोल्ड के साथ 9वें स्थान पर रहे। हालांकि पिछली बार 2018 में रूसी खिलाड़ियों के नाम सिर्फ 2 गोल्ड थे, ऐसे में इस बार का प्रदर्शन बेहतर कहा जा सकता है।
कनाडा का खराब प्रदर्शन
कनाडाई दल ने इन ओलंपिक खेलों में कुछ खास प्रदर्शन नहीं किया और सिर्फ 4 गोल्ड के साथ 11वें नंबर पर रहा। हालांकि कुल पदक के मामले में 26 पदकों के साथ कनाडा की टीम इस बार चौथे नंबर पर है। साल 2010 में बतौर मेजबान कनाडा ने सबसे ज्यादा 14 गोल्ड जीतकर पदक तालिका में पहला स्थान हासिल किया था। 2014 में कनाडा के दल ने 10 गोल्ड जीते थे जबकि 2018 में 11 गोल्ड अपने नाम किए थे। दोनों ही बार कनाडा ने तीसरा स्थान हासिल किया था ।लेकिन इस बार कनाडा टॉप 10 से भी बाहर है। आखिरी बार इससे कम गोल्ड कनाडा ने साल 1994 में जीते थे जब दल ने 3 गोल्ड अपने नाम किए थे।
अगली बार के इंतजार में भारत
भारत को इन खेलों में एक भी पदक नहीं मिला। हालांकि भारत की तरफ से बमुश्किल एक एथलीट आरिफ खान ही क्वालिफाय कर पाए थे। ऐसे में पदक की उम्मीद करना बेईमानी है। फिर भी आरिफ के एल्पाइन स्कीइंग के प्रदर्शन को काफी सराहा गया। देश के खेल प्रेमी उम्मीद करेंगे कि अब 2026 में इटली में होने जा रहे शीतकालीन खेलों में देश अपना पहला विंटर ओलंपिक मेडल जीतने में कामयाब रहे।